नई दिल्ली : देश में पशु क्रूरता को लेकर कई कानून होने के बावजूद लोगों में इसका कोई भय नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पशु क्रूरता और आवारा पशुओं के संरक्षण और क्रूरता के विरुद्ध उनकी रक्षा के लिए कई कानून बनाए हैं. इसके बावजूद शहर में पशु क्रूरता की घटनाएं बढ़ती जा रही है. दक्षिण दिल्ली के महरौली में एक कुत्ते को बड़ी बेरहमी से मारा गया.
पशु क्रूरता और आवारा पशुओं की देखभाल के लिए काम करने वाली एनजीओ ध्यान फाउंडेशन की संस्थापक पूनम ने बताया कि दक्षिण दिल्ली के महरौली इलाके में अब्दुल हसन नामक एक व्यक्ति ने एक आवारा कुत्ते को बर्बर तरीके से मार-मार कर अधमरा कर दिया. इस तरीके से किसी भी पशु के साथ व्यवहार नहीं किया जा सकता है. ओखला इलाके में कुत्ते के पिल्ले को सिर्फ मजे के लिये बेरहमी से मार रहे हैं. फिर उनके अंगों की क्षत-विक्षत कर फेंक देते हैं.
इंडियन पेनल कोड के तहत यह सजा योग्य अपराध है. इसके लिए दो प्रावधान किए गए हैं. एक धारा 428 है, जिसके तहत पशु के साथ क्रूरता करने वाले को कम से कम दो साल की कारावास की सजा दी जाती है. वहीं धारा-11 पशु क्रूरता डिफाइन करती है. कानून की यह धारा सुनिश्चित करता है कि जहां कहीं भी पशु क्रूरता की घटना सामने आती है पुलिस आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें. लेकिन देखने में आता है कि ज्यादातर मामलों में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है.
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व्यक्ति को पशुओं के प्रति संवेदनहीनता त्याग कर संवेदनशील होना चाहिए. उन्हें समझना चाहिए कि जिस तरह उनके पास जीवन है वैसा ही जीवन उन पशुओं के पास भी है और उन्हें भी उतनी ही तकलीफ होती है जितना कि उन्हें होती है. अगर हम आवारा पशुओं को खाना नहीं दे सकते तो उन्हें बेरहमी से मारने का भी हमें कोई हक नहीं है.