हैदराबाद : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान के बाद कि आजादी के बाद वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चली थी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के यह कहने पर कि सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर दया याचिका दायर की थी, राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी के सावरकर को राष्ट्रपिता के रूप में टिप्पणी पर वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि गांधी राष्ट्रपिता हैं. भारत जैसे देश का एक राष्ट्रपिता नहीं हो सकता है, हजारों ऐसे हैं जिन्हें भुला दिया गया है.
बता दें कि मंगलवार को उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की पुस्तक 'वीर सावरकर हु कुड हैव प्रीवेंटेड पार्टिशन' के विमोचन कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने कहा था कि एक खास विचारधारा से प्रभावित तबका वीर सावरकर के जीवन एवं विचारधारा से अपरिचित है और उन्हें इसकी सही समझ नहीं है, वे सवाल उठाते रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें हेय दृष्टि से देखना किसी भी तरह से उचित और न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है. वीर सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानी थे, ऐसे में विचारधारा के चश्मे से देखकर उनके योगदान की अनदेखी करना और उनका अपमान करना क्षमा योग्य नहीं है.
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में कहा था कि सावरकर को अंग्रेजों से दया याचिका लिखने के लिए गांधी जी ने कहा था. राजनाथ सिंह के इस बयान के बाद इसमें राजनीति शुरू हो गई इसके बाद इस मुद्दे पर देश की राजनीति गरमा गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा वीर सावरकर को लेकर दिए बयान के बाद एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उनपर निशाना साधा. हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने आरोप लगाया कि देश में इतिहास को गलत तरीके से गढ़ा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि यदि यह जारी रहा, तो वे महात्मा गांधी की जगह सावरकर को राष्ट्रपिता बना देंगे, जिन पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया गया था. ओवैसी ने कहा कि न्यायमूर्ति जीवन लाल कपूर की जांच में सावरकर को महात्मा गांधी की हत्या में शामिल पाया गया था.
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