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Chhindwara Jal Satyagraha: हक मांगने के लिए जल सत्याग्रह में बैठे 31 गांवों के किसान, घर छूटा अब रिश्ते भी नहीं मिल रहे

Farmers of 31 villages doing Jal Satyagraha: छिंदवाड़ा के चौरई विधानसभा क्षेत्र के माचागोरा डैम पर ग्रामीणों ने मांगों को लेकर जल सत्याग्रह किया. किसानों ने कहना है कि माचागोरा बांध में जल भराव होने के कारण आसपास के 31 गांव के करीब 50,000 की आबादी प्रभावित हो गई है. उन्होंने सरकार से उचित मुआवजे और पुनर्वास की मांग की है. पढ़िए ईटीवी भारत के लिए छिंदवाड़ा से संवाददाता महेंद्र राय की खास रिपोर्ट...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 26, 2023, 9:18 AM IST

Updated : Sep 26, 2023, 12:02 PM IST

Farmers of 31 villages doing Jal Satyagraha
छिंदवाड़ा में माचागोरा डैम में जल सत्याग्रह
छिंदवाड़ा में माचागोरा डैम में जल सत्याग्रह

छिंदवाड़ा। जिले के चौरई विधानसभा क्षेत्र में पेंच व्यपवर्तन परियोजना जिसे माचागोरा डैम के नाम से जाता है. वहां डूब प्रभावित किसानों ने मांगों को लेकर जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है. इस आंदोलन में हजारों किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं ने मोर्चा संभाला है और नदी के अंदर सत्याग्रह में शामिल हुई हैं. पेंच बांध प्रभावित किसान संगठन के तत्वाधान में आयोजित इस जल सत्याग्रह कर किसान अपनी समस्याओं को लेकर समाधान करने की मांग कर रहे हैं.

किसानों की क्या है मांग, क्यों करना पड़ा जल सत्यागृह: माचागोरा बांध में जल भराव होने के कारण आसपास के 31 गांव के करीब 50,000 की आबादी प्रभावित हो गई है, जिनकी आबादी के हिसाब से ग्राम भुतेरा, धनोरा, भूला, बाराहबिहारी पूरी तरह जलमग्न हैं और 14 ग्राम आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं. 13 ग्रामों की मात्र भूमि प्रभावित हुई है. बांध प्रभावित किसानों की मुख्य मांगे हैं कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार, चार गुना मुआवजा प्रदान किया जाए. सरदार सरोवर बांध की तर्ज पर विशेष पैकेज दिया जाए. शासन द्वारा बसाए गए पुनर्वास को पुनःअर्जन कर शहर के किनारे विस्थापित किया जाए. मत्स्य पालन एवं मछली का ठेका प्रभावित ग्रामों की समिति एवं मछुआरों को दिया जाये. जिन किसानों के विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन के भू-अर्जन प्रकरण लंबित हैं उन सभी अपीलीय प्रकरणों को वापस लेकर फरियादी किसानों को मुआवजा दिया जाए.

जमीन न होने से नहीं हो रहे गांव में रिश्ते: किसानों ने बताया कि ''उनके पास पुश्तैनी जमीन हुआ करती थी. सरकार ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया लेकिन उचित मुआवजा नहीं दिया. जिसकी वजह से वह महंगी जमीन नहीं खरीद पाए. हालत यह है कि अब कुछ दिनों में उनकी जमा पूंजी भी खत्म हो गई है. उनके घरों में अब बेटे बेटियां शादी लायक तो हो गए हैं. लेकिन उन्हें रिश्ते नहीं मिल रहे हैं क्योंकि पुश्तैनी जमीन नहीं है इसलिए रोजगार का संकट है.''

पुनर्वास में भी नहीं है बुनियादी सुविधाएं: माचा गोरा बांध के प्रभावित किसानों ने बताया कि ''सरकार ने उनकी जमीन भी अधिग्रहण कर ली और उनका गांव भी जलमग्न हो गया. सरकार ने पुनर्वास के नाम पर सिर्फ उन्हें मकान बनाने के लिए जंगल में जमीन दे दी, जहां ना तो बुनियादी सुविधाएं हैं और ना ही रहने के लायक स्थिति. क्योंकि चारों तरफ पानी भरा हुआ है और टापू में वे रहने को मजबूर हैं, ऐसे में उनकी मांग है कि उन्हें शहर के किनारे कहीं नजदीक विस्थापित किया जाए.''

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सिवनी को मिल रहा सिंचाई का फायदा: छिंदवाड़ा जिले के 164 और सिवनी जिले के 152 गांव को पेंच व्यपवर्तन परियोजना से बने माचागोरा बांध से सिंचाई के लिए दो नहरों का पानी पहुंचाया जा रहा है. कुछ इलाकों में माइक्रो इरिगेशन प्रणाली का भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे ऊंचे भाग में पानी पहुंच सके. दोनों जिलों में पानी के लिए 20.07 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर एवं 30.20 किलोमीटर लंबी दाएं तट मुख्य नहर सहित 605.045 किलोमीटर की नहर प्रणाली बनाई गई है. जिससे कुल 114882 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई हो रही है.

राजनीतिक लाभ लेने को तैयार पार्टियां: पेंच नदी पर जब माता गोरा बांध बनाने की योजना तैयार की गई थी उसी समय मध्य प्रदेश में 1986 में कांग्रेस की सरकार थी. 1988 इस पर काम तो शुरू हो गया था, लेकिन इसका भूमि पूजन 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने किया. हालांकि उसके बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. जब बांध का प्रपोजल तैयार हुआ था उस समय इसकी लागत लगभग 91.60 करोड़ आंकी गई थी. सिंचाई लगभग 19000 हेक्टेयर रकबे में होनी थी. फिर साल 2017 में यह बांध बनकर तैयार हुआ, जब तक इसकी लागत 2544.57 करोड़ रुपए हो गई. हालांकि सिंचाई का रकबा भी 114882 हेक्टेयर हो गया है.

छिंदवाड़ा में माचागोरा डैम में जल सत्याग्रह

छिंदवाड़ा। जिले के चौरई विधानसभा क्षेत्र में पेंच व्यपवर्तन परियोजना जिसे माचागोरा डैम के नाम से जाता है. वहां डूब प्रभावित किसानों ने मांगों को लेकर जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है. इस आंदोलन में हजारों किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं ने मोर्चा संभाला है और नदी के अंदर सत्याग्रह में शामिल हुई हैं. पेंच बांध प्रभावित किसान संगठन के तत्वाधान में आयोजित इस जल सत्याग्रह कर किसान अपनी समस्याओं को लेकर समाधान करने की मांग कर रहे हैं.

किसानों की क्या है मांग, क्यों करना पड़ा जल सत्यागृह: माचागोरा बांध में जल भराव होने के कारण आसपास के 31 गांव के करीब 50,000 की आबादी प्रभावित हो गई है, जिनकी आबादी के हिसाब से ग्राम भुतेरा, धनोरा, भूला, बाराहबिहारी पूरी तरह जलमग्न हैं और 14 ग्राम आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं. 13 ग्रामों की मात्र भूमि प्रभावित हुई है. बांध प्रभावित किसानों की मुख्य मांगे हैं कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार, चार गुना मुआवजा प्रदान किया जाए. सरदार सरोवर बांध की तर्ज पर विशेष पैकेज दिया जाए. शासन द्वारा बसाए गए पुनर्वास को पुनःअर्जन कर शहर के किनारे विस्थापित किया जाए. मत्स्य पालन एवं मछली का ठेका प्रभावित ग्रामों की समिति एवं मछुआरों को दिया जाये. जिन किसानों के विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन के भू-अर्जन प्रकरण लंबित हैं उन सभी अपीलीय प्रकरणों को वापस लेकर फरियादी किसानों को मुआवजा दिया जाए.

जमीन न होने से नहीं हो रहे गांव में रिश्ते: किसानों ने बताया कि ''उनके पास पुश्तैनी जमीन हुआ करती थी. सरकार ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया लेकिन उचित मुआवजा नहीं दिया. जिसकी वजह से वह महंगी जमीन नहीं खरीद पाए. हालत यह है कि अब कुछ दिनों में उनकी जमा पूंजी भी खत्म हो गई है. उनके घरों में अब बेटे बेटियां शादी लायक तो हो गए हैं. लेकिन उन्हें रिश्ते नहीं मिल रहे हैं क्योंकि पुश्तैनी जमीन नहीं है इसलिए रोजगार का संकट है.''

पुनर्वास में भी नहीं है बुनियादी सुविधाएं: माचा गोरा बांध के प्रभावित किसानों ने बताया कि ''सरकार ने उनकी जमीन भी अधिग्रहण कर ली और उनका गांव भी जलमग्न हो गया. सरकार ने पुनर्वास के नाम पर सिर्फ उन्हें मकान बनाने के लिए जंगल में जमीन दे दी, जहां ना तो बुनियादी सुविधाएं हैं और ना ही रहने के लायक स्थिति. क्योंकि चारों तरफ पानी भरा हुआ है और टापू में वे रहने को मजबूर हैं, ऐसे में उनकी मांग है कि उन्हें शहर के किनारे कहीं नजदीक विस्थापित किया जाए.''

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सिवनी को मिल रहा सिंचाई का फायदा: छिंदवाड़ा जिले के 164 और सिवनी जिले के 152 गांव को पेंच व्यपवर्तन परियोजना से बने माचागोरा बांध से सिंचाई के लिए दो नहरों का पानी पहुंचाया जा रहा है. कुछ इलाकों में माइक्रो इरिगेशन प्रणाली का भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे ऊंचे भाग में पानी पहुंच सके. दोनों जिलों में पानी के लिए 20.07 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर एवं 30.20 किलोमीटर लंबी दाएं तट मुख्य नहर सहित 605.045 किलोमीटर की नहर प्रणाली बनाई गई है. जिससे कुल 114882 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई हो रही है.

राजनीतिक लाभ लेने को तैयार पार्टियां: पेंच नदी पर जब माता गोरा बांध बनाने की योजना तैयार की गई थी उसी समय मध्य प्रदेश में 1986 में कांग्रेस की सरकार थी. 1988 इस पर काम तो शुरू हो गया था, लेकिन इसका भूमि पूजन 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने किया. हालांकि उसके बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. जब बांध का प्रपोजल तैयार हुआ था उस समय इसकी लागत लगभग 91.60 करोड़ आंकी गई थी. सिंचाई लगभग 19000 हेक्टेयर रकबे में होनी थी. फिर साल 2017 में यह बांध बनकर तैयार हुआ, जब तक इसकी लागत 2544.57 करोड़ रुपए हो गई. हालांकि सिंचाई का रकबा भी 114882 हेक्टेयर हो गया है.

Last Updated : Sep 26, 2023, 12:02 PM IST
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