ETV Bharat / bharat

Kanker Tribals Boycott Elections: कांकेर के कोयलीबेड़ा में कथित मुठभेड़ के विरोध में आदिवासियों ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान - आदिवासियों ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान

Kanker Tribals Boycott Elections बस्तर संभाग में पहले चरण के वोटिंग से पहले कोयलीबेड़ा के गोमे में पुलिस नक्सली मुठभेड़ का मामला गूंज रहा है.ग्रामीणों ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए इसकी न्यायिक जांच की मांग की है. साथ ही घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने को कहा है.ऐसा ना होने पर ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव बहिष्कार की धमकी दी है.Kanker Election News

kanker Tribals Boycott Elections
कांकेर में चुनाव बहिष्कार
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 27, 2023, 7:44 PM IST

कांकेर में चुनाव बहिष्कार

कांकेर : छत्तीसगढ़ के बस्तर में पहले फेज का इलेक्शन होना है.जिसके लिए तैयारियां अंतिम चरणों पर हैं. 7 नवंबर को बस्तर की 12 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा.लेकिन पहले चरण के मतदान के लिए गोमे गांव के ग्रामीणों ने मतदान में हिस्सा लेने से इनकार किया है. बेचाघाट में ग्रामीणों ने कोयलीबेड़ा के गोमे इलाके में हुई पुलिस नक्सली मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं.

पुलिस नक्सली मुठभेड़ को बताया फर्जी : ग्रामीणों ने पुलिस नक्सली मुठभेड़ को फर्जी बताया है. न्यायिक जांच की मांग के साथ ग्रामीणों ने कथित मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों के परिजनों को पचास लाख का मुआवजा देने की मांग की है. वहीं कोयलीबेड़ा ब्लॉक मुख्यालय में भी 40 किलोमीटर पैदल चलकर ग्रामीण और परिजन कोयलीबेड़ा पहुंचे. जहां विकासखंड कार्यालय में ज्ञापन देकर घटना की न्यायिक जांच की मांग की गई.

क्या है पूरा मामला : कोयलीबेड़ा क्षेत्र के गोमे जंगल में मुठभेड़ के दौरान दो नक्सलियों को ढेर करने का दावा पुलिस कर रही है. घटना के बाद मृतक के परिजनों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय कांकेर पहुंचकर घटना की जांच करने की मांग की थी.शुक्रवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया. आंदोलन में शामिल स्थानीय युवक अजीत नुरेटी ने बताया कि इतने सारे लोगों का इकट्ठा होने का एक ही कारण है. बीते 21 अक्टूबर को कोयलीबेड़ा के गोमे के जंगल में मुठभेड़ हुआ था वो फर्जी है. मुठभेड़ में वर्दी धारी नक्सली दिखाया गया है, हथियार दिखाया गया है वो बिल्कुल झूठ है.

''पुलिस के द्वारा नक्सली बताना भी झूठ है. हम पूरे मुठभेड़ का न्यायिक जांच चाहते हैं. जो पुलिस वाले दोषी हैं. उन पर कार्यवाही करने की भी मांग करते हैं.''- अजीत नुरेटी, ग्रामीण

पामगढ़ में ग्रामीण रोड नहीं तो वोट नहीं पर अड़े, तहसीलदार की समझाईश भी नहीं आई काम
Caste Census In Dhamtari: जातिगत जनगणना पर अजय चंद्राकर का बड़ा बयान, कहा- अपनी जाति का पहले पता लगाए कांग्रेस
Chhattisgarh Farm Loan Waiver: छत्तीसगढ़ में किसान कर्ज माफी, कांग्रेस के मास्टर स्ट्रोक का चुनाव पर पड़ेगा क्या प्रभाव

चुनाव में पड़ सकता है असर : बस्तर में पहला मामला नहीं है जब पुलिस फोर्स पर फर्जी मुठभेड़ करने के आरोप लगे हो.इससे पहले भी ताड़मेटला नक्सली मुठभेड़ मामले में आदिवासियों ने पुलिस पर सवाल उठाए थे. नारायणपुर के भारण्ड और सिलेगर में भी इसी तरह की घटनाएं हुईं हैं. न्याय को लेकर आज तक वहां के आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन अभी तक वहां न्यायिक जांच नहीं हुई है. अब मौजूदा समय में बेचाघाट आंदोलन भी पिछले डेढ़ साल से चल रहा है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले का निराकरण नहीं किया.लिहाजा अब ग्रामीण मतदान नहीं करने की धमकी दे रहे हैं.

कांकेर में चुनाव बहिष्कार

कांकेर : छत्तीसगढ़ के बस्तर में पहले फेज का इलेक्शन होना है.जिसके लिए तैयारियां अंतिम चरणों पर हैं. 7 नवंबर को बस्तर की 12 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा.लेकिन पहले चरण के मतदान के लिए गोमे गांव के ग्रामीणों ने मतदान में हिस्सा लेने से इनकार किया है. बेचाघाट में ग्रामीणों ने कोयलीबेड़ा के गोमे इलाके में हुई पुलिस नक्सली मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं.

पुलिस नक्सली मुठभेड़ को बताया फर्जी : ग्रामीणों ने पुलिस नक्सली मुठभेड़ को फर्जी बताया है. न्यायिक जांच की मांग के साथ ग्रामीणों ने कथित मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों के परिजनों को पचास लाख का मुआवजा देने की मांग की है. वहीं कोयलीबेड़ा ब्लॉक मुख्यालय में भी 40 किलोमीटर पैदल चलकर ग्रामीण और परिजन कोयलीबेड़ा पहुंचे. जहां विकासखंड कार्यालय में ज्ञापन देकर घटना की न्यायिक जांच की मांग की गई.

क्या है पूरा मामला : कोयलीबेड़ा क्षेत्र के गोमे जंगल में मुठभेड़ के दौरान दो नक्सलियों को ढेर करने का दावा पुलिस कर रही है. घटना के बाद मृतक के परिजनों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय कांकेर पहुंचकर घटना की जांच करने की मांग की थी.शुक्रवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया. आंदोलन में शामिल स्थानीय युवक अजीत नुरेटी ने बताया कि इतने सारे लोगों का इकट्ठा होने का एक ही कारण है. बीते 21 अक्टूबर को कोयलीबेड़ा के गोमे के जंगल में मुठभेड़ हुआ था वो फर्जी है. मुठभेड़ में वर्दी धारी नक्सली दिखाया गया है, हथियार दिखाया गया है वो बिल्कुल झूठ है.

''पुलिस के द्वारा नक्सली बताना भी झूठ है. हम पूरे मुठभेड़ का न्यायिक जांच चाहते हैं. जो पुलिस वाले दोषी हैं. उन पर कार्यवाही करने की भी मांग करते हैं.''- अजीत नुरेटी, ग्रामीण

पामगढ़ में ग्रामीण रोड नहीं तो वोट नहीं पर अड़े, तहसीलदार की समझाईश भी नहीं आई काम
Caste Census In Dhamtari: जातिगत जनगणना पर अजय चंद्राकर का बड़ा बयान, कहा- अपनी जाति का पहले पता लगाए कांग्रेस
Chhattisgarh Farm Loan Waiver: छत्तीसगढ़ में किसान कर्ज माफी, कांग्रेस के मास्टर स्ट्रोक का चुनाव पर पड़ेगा क्या प्रभाव

चुनाव में पड़ सकता है असर : बस्तर में पहला मामला नहीं है जब पुलिस फोर्स पर फर्जी मुठभेड़ करने के आरोप लगे हो.इससे पहले भी ताड़मेटला नक्सली मुठभेड़ मामले में आदिवासियों ने पुलिस पर सवाल उठाए थे. नारायणपुर के भारण्ड और सिलेगर में भी इसी तरह की घटनाएं हुईं हैं. न्याय को लेकर आज तक वहां के आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन अभी तक वहां न्यायिक जांच नहीं हुई है. अब मौजूदा समय में बेचाघाट आंदोलन भी पिछले डेढ़ साल से चल रहा है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले का निराकरण नहीं किया.लिहाजा अब ग्रामीण मतदान नहीं करने की धमकी दे रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.