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ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली 'कवच' का हुआ परीक्षण, रेलमंत्री ने दिया बड़ा बयान

'कवच' प्रणाली में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का उपयोग किया जाता है. अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल -4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है. एक बार इस प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जायेंगी.

kavach
ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली 'कवच' का परीक्षण होगा
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Published : Mar 4, 2022, 11:54 AM IST

Updated : Mar 4, 2022, 5:53 PM IST

सिकंदराबाद / नई दिल्ली : स्वदेश निर्मित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली 'कवच' का परीक्षण आज सिकंदराबाद में किया गया. इस मौके पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि अगर दो ट्रेन एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ रही हों तो एक सु​रक्षित दूरी पर कवच अपने आप उसे रोक देगा. उन्होंने आगे कहा कि अगर ट्रेन लाल सिग्नल की तरफ बढ़ेगी तो अपने आप स्लो होकर रूक जाएगी. इस साल 2000 किलोमीटर पर कवच को लगाया जाएगा और आगामी वर्षों में हर वर्ष 4000 से 5000 किलोमीटर का लक्ष्य रखेंगे. आत्मनिर्भर भारत की इस मिसाल को दुनिया के विकसित देशों में भी निर्यात किया जाएगा.

बता दें, 'कवच' को रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. 'शून्य दुर्घटना' के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया. कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक देगा, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली 'कवच' का सफल परीक्षण

वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस डिजिटल प्रणाली के कारण मानवी त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन स्वत: रुक जायेगी. अधिकारियों ने कहा कि कवच के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर आएगा, जबकि वैश्विक स्तर पर इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर करीब दो करोड़ रुपये है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर सिस्टम के परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए सिकंदराबाद पहुंचेंगे. अधिकारी ने कहा, रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष चार मार्च को होने वाले परीक्षण में भाग लेंगे. हम दिखाएंगे कि टक्कर सुरक्षा प्रणाली तीन स्थितियों में कैसे काम करती है - आमने-सामने की टक्कर, पीछे से टक्कर और खतरे का संकेत मिलने पर.

'कवच' प्रणाली के ट्रायल के बाद रेल मंत्री का बयान

'कवच' प्रणाली में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का उपयोग किया जाता है. अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल -4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है. एक बार इस प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जायेंगी. कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया है.

वर्ष 2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को 'कवच' के तहत लाने की योजना है. दक्षिण मध्य रेलवे की जारी परियोजनाओं में अब तक कवच को 1098 किलोमीटर मार्ग पर लगाया गया है. कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर भी लगाने की योजना है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है.

पूर्व मध्य रेलवे में सुरक्षित ट्रेन परिचालन के लिए 'कवच' पर काम शुरू
पूर्व मध्य रेलवे ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए अब टक्कर रोधी तकनीक 'कवच' की मदद लेगा. इसी क्रम में ट्रेनों के संरक्षित परिचालन के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से प्रधानखांटा तक 'कवच' प्रणाली की स्थापना के लिए लगभग 151 करोड़ रुपए की निविदा जारी कर दी गयी है. इसके साथ ही इस प्रणाली को पूर्व मध्य रेल के अन्य महत्वपूर्ण रेलखंडों पर भी स्थापित करने की प्रक्रिया पर भी तेजी से कार्य किया जा रहा है.

पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इस प्रणाली से ट्रेनों की दुर्घटना पर हद तक लगाम लगाया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि 408 किलोमीटर लंबे पं.दीनदयाल उपाध्याय जं.-मानपुर-प्रधानखांटा रेलखंड पर इस प्रणाली को स्थापित किया जाना है. यह रेलखंड उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्य से होकर गुजरता है. इस रेलखंड पर 8 जंक्शन स्टेशन सहित कुल 77 स्टेशन, 79 लेवल क्रॉसिंग गेट और 7 इंटरमीडिएट ब्लॉक सिग्नल हैं . इस रेलखंड पर सभी प्रकार के मिश्रित यातायात माल ढुलाई, मेल, एक्सप्रेस, पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन किया जाता है.

वर्तमान में इस रेलखंड पर 130 किमी प्रतिघंटा की गति स्वीकृत है तथा मिशन रफ्तार के तहत इसे बढ़ाकर 160 किमी प्रतिघंटा करने के लिए कार्य किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 'कवच' एक टक्कर रोधी तकनीक है, जो माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और रेडियो संचार के माध्यमों से जुड़ा रहता है. जैसे ही यह तकनीक एक निश्चित दूरी के भीतर उसी ट्रैक में दूसरी ट्रेन का पता लगाती है, तो ट्रेन के इंजन में लगे उपकरण के माध्यम से निरंतर सचेत करते हुए स्वचालित ब्रेक लगाने में सक्षम है.

कवच एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है जो आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्डस ऑगेर्नाइजेशन) द्वारा विकसित है. यह प्रणाली लोको पायलट को सिगनल के साथ-साथ अन्य पहलुओं की स्थिति, स्थायी गति प्रतिबंध के बारे में संकेत देता है और ओवर स्पीड के बारे ड्राईवर को सचेत करता रहता है.

पढ़ें: उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने माल गाड़ियों के दूसरे सर्वाधिक इंटरचेंज का रिकार्ड बनाया

कवच प्रणाली मौजूदा सिग्नलिंग सिस्टम के साथ संपर्क बनाये रखता है तथा इसकी जानकारी परिचालन से जुड़े प्राधिकृत व्यक्तियों को निरंतर साझा करता रहता है. यह प्रणाली किसी भी आपात स्थिति में स्टेशन एवं लोको ड्राइवर को तत्काल कार्रवाई के लिए सचेत करने, साइड-टक्कर,आमाने-सामाने की टक्कर एवं पीछे से होने वाली टक्करों की रोकथाम करने में पूर्णत: सक्षम माना जाता है.

(इनपुट-पीटीआई)

सिकंदराबाद / नई दिल्ली : स्वदेश निर्मित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली 'कवच' का परीक्षण आज सिकंदराबाद में किया गया. इस मौके पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि अगर दो ट्रेन एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ रही हों तो एक सु​रक्षित दूरी पर कवच अपने आप उसे रोक देगा. उन्होंने आगे कहा कि अगर ट्रेन लाल सिग्नल की तरफ बढ़ेगी तो अपने आप स्लो होकर रूक जाएगी. इस साल 2000 किलोमीटर पर कवच को लगाया जाएगा और आगामी वर्षों में हर वर्ष 4000 से 5000 किलोमीटर का लक्ष्य रखेंगे. आत्मनिर्भर भारत की इस मिसाल को दुनिया के विकसित देशों में भी निर्यात किया जाएगा.

बता दें, 'कवच' को रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. 'शून्य दुर्घटना' के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया. कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक देगा, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली 'कवच' का सफल परीक्षण

वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस डिजिटल प्रणाली के कारण मानवी त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन स्वत: रुक जायेगी. अधिकारियों ने कहा कि कवच के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर आएगा, जबकि वैश्विक स्तर पर इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर करीब दो करोड़ रुपये है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर सिस्टम के परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए सिकंदराबाद पहुंचेंगे. अधिकारी ने कहा, रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष चार मार्च को होने वाले परीक्षण में भाग लेंगे. हम दिखाएंगे कि टक्कर सुरक्षा प्रणाली तीन स्थितियों में कैसे काम करती है - आमने-सामने की टक्कर, पीछे से टक्कर और खतरे का संकेत मिलने पर.

'कवच' प्रणाली के ट्रायल के बाद रेल मंत्री का बयान

'कवच' प्रणाली में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का उपयोग किया जाता है. अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल -4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है. एक बार इस प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जायेंगी. कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया है.

वर्ष 2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को 'कवच' के तहत लाने की योजना है. दक्षिण मध्य रेलवे की जारी परियोजनाओं में अब तक कवच को 1098 किलोमीटर मार्ग पर लगाया गया है. कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर भी लगाने की योजना है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है.

पूर्व मध्य रेलवे में सुरक्षित ट्रेन परिचालन के लिए 'कवच' पर काम शुरू
पूर्व मध्य रेलवे ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए अब टक्कर रोधी तकनीक 'कवच' की मदद लेगा. इसी क्रम में ट्रेनों के संरक्षित परिचालन के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से प्रधानखांटा तक 'कवच' प्रणाली की स्थापना के लिए लगभग 151 करोड़ रुपए की निविदा जारी कर दी गयी है. इसके साथ ही इस प्रणाली को पूर्व मध्य रेल के अन्य महत्वपूर्ण रेलखंडों पर भी स्थापित करने की प्रक्रिया पर भी तेजी से कार्य किया जा रहा है.

पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इस प्रणाली से ट्रेनों की दुर्घटना पर हद तक लगाम लगाया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि 408 किलोमीटर लंबे पं.दीनदयाल उपाध्याय जं.-मानपुर-प्रधानखांटा रेलखंड पर इस प्रणाली को स्थापित किया जाना है. यह रेलखंड उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्य से होकर गुजरता है. इस रेलखंड पर 8 जंक्शन स्टेशन सहित कुल 77 स्टेशन, 79 लेवल क्रॉसिंग गेट और 7 इंटरमीडिएट ब्लॉक सिग्नल हैं . इस रेलखंड पर सभी प्रकार के मिश्रित यातायात माल ढुलाई, मेल, एक्सप्रेस, पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन किया जाता है.

वर्तमान में इस रेलखंड पर 130 किमी प्रतिघंटा की गति स्वीकृत है तथा मिशन रफ्तार के तहत इसे बढ़ाकर 160 किमी प्रतिघंटा करने के लिए कार्य किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 'कवच' एक टक्कर रोधी तकनीक है, जो माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और रेडियो संचार के माध्यमों से जुड़ा रहता है. जैसे ही यह तकनीक एक निश्चित दूरी के भीतर उसी ट्रैक में दूसरी ट्रेन का पता लगाती है, तो ट्रेन के इंजन में लगे उपकरण के माध्यम से निरंतर सचेत करते हुए स्वचालित ब्रेक लगाने में सक्षम है.

कवच एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है जो आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्डस ऑगेर्नाइजेशन) द्वारा विकसित है. यह प्रणाली लोको पायलट को सिगनल के साथ-साथ अन्य पहलुओं की स्थिति, स्थायी गति प्रतिबंध के बारे में संकेत देता है और ओवर स्पीड के बारे ड्राईवर को सचेत करता रहता है.

पढ़ें: उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने माल गाड़ियों के दूसरे सर्वाधिक इंटरचेंज का रिकार्ड बनाया

कवच प्रणाली मौजूदा सिग्नलिंग सिस्टम के साथ संपर्क बनाये रखता है तथा इसकी जानकारी परिचालन से जुड़े प्राधिकृत व्यक्तियों को निरंतर साझा करता रहता है. यह प्रणाली किसी भी आपात स्थिति में स्टेशन एवं लोको ड्राइवर को तत्काल कार्रवाई के लिए सचेत करने, साइड-टक्कर,आमाने-सामाने की टक्कर एवं पीछे से होने वाली टक्करों की रोकथाम करने में पूर्णत: सक्षम माना जाता है.

(इनपुट-पीटीआई)

Last Updated : Mar 4, 2022, 5:53 PM IST
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