रायपुर: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में गिरफ्तार आरोपियों के गैजेट और डिजिटल डिवाइस से ईडी को कई तरह के कोड मिले हैं. अब जांच की सुई इन कोड पर आकर थम गई है. जिसके जरिए शराब घोटाले में लेन देन की बात सामने आ रही है. इस स्कैम में गिरफ्तार चारों आरोपियों से ईडी बारी बारी से पूछताछ कर रही है.लेकिन एपी त्रिपाठी और त्रिलोक सिंह ढिल्लन के बीच हुए लेनदेन को लेकर अब भी ईडी की जांच डिजिटल डाटा पर आकर रुकी है.ईडी के मुताबिक आरोपियों ने कोड वर्ड में बातें की हैं.लेकिन सामने आने पर वो किसी भी सवाल का जवाब देने से बच रहे हैं. सभी आरोपियों से आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की जा रही है. लेकिन यह कोड की उलझन नहीं सुलझ पा रही है. इन कोड वर्ड को डिकोड करना ईडी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है.
कोड वर्ड को डिकोड करने में जुटी ईडी : एपी त्रिपाठी और त्रिलोक ढिल्लन समेत जितने भी लोग कथित शराब घोटाले में अरेस्ट हुए हैं.सभी से ईडी बारी-बारी से पूछताछ कर रही है. इस पूछताछ में ईडी डिजिटल डाटा को आधार बनाकर इस घोटाले की कई कड़ियों को खोलने की कोशिश कर रही है.लेकिन ईडी की सुई हर बार आकर इन घोटाले में शामिल लोगों के बीच हुई उस बातचीत में आकर फंस जाती है.जो साधारण ना होकर कोड वर्ड में हुई है.ये कोड वर्ड क्या हैं और इनका संबंध किन लोगों से डील में है.इस बात की जानकारी ईडी निकालने में जुटी है.
ईडी के वकील ने क्या कहा: ईडी के एडवोकेट डॉ सौरभ पांडेय ने बताया " शराब घोटाले मामले में जो लोग अटेस्ट हुए हैं, उनके मोबाइल से डाटा निकाला जा रहा है. डिजिटल डेटा में बहुत सारी चीजें होती है. मोबाइल में हम किसी को शुभरात्रि , गुड मॉर्निंग, या शादी के सालगिरह के मैसेज भेजते हैं,लेकिन डेटा तो सभी आ जाएगा. जैसे डेटा को एक्सट्रेक्ट किया जाएगा. उसमें से हमारे काम के डाटा को हम निकाल रहे हैं. इसमें बहुत सारी बातें कोड वर्ड में रहती हैं. जिसे समझना थोड़ा कठिन होता है. कोर्ड वर्ड में बात किए डेटा का एनालिसिस किया जा रहा है. हमारे काम के डेटा को अलग कर उनसे पूछताछ होती है.''
करोड़ों के अनसिक्योर्ड लोन का खुलासा : बात यदि हम लेन देन की करें तो कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन ने करोड़ों रुपए के लोन लिया और फिर उसे रिपेमेंट किया है. जिस बैंक अकाउंट में पैसों का लेन देन होता था वो अनसिक्योर्ड लोन के रूप में था. यानी कि ये पैसे किसी बैंक या फर्म से ना लेकर दूसरे माध्यम से लिए गए थे. जिसमें किसी भी तरह की कोई सिक्योरिटी नहीं थी.ईडी त्रिलोक से ये जानना चाहती है कि उन्होंने इतने सारे पैसे किससे लिए और पैसे लेकर उसे वापस करने का सोर्स क्या था. वहीं जिस अकाउंट से पैसों का बड़ा ट्रांजेक्शन हुआ उस अकाउंट को त्रिलोक सिंह ढिल्लन ने बंद करवा दिया. ऐसे में ये भी एक बड़ा सवाल है कि अकाउंट को बंद करवाने की जरुरत क्यों पड़ी.
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किस तरह से एक दूसरे से जुड़ते गए आरोपी : प्रोसीड ऑफ क्राइम के अन्तर्गत ईडी की ओर से कहा गया कि " शराब घोटाले मामले में अब तक 180 करोड़ की संपत्ति अटैच की गई है.प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के अंतर्गत किसी भी तरह के अनियमित लेन देन से कमाए गए पैसों से किसी भी तरह की प्रॉपर्टी ली जाती है या इनवेस्ट किया जाता है तो ये प्रोसीड ऑफ क्राइम के दायरे में आ जाता है.आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होकर अगर कोई प्रॉपर्टी ली गई है. जिनमें कैश, गोल्ड, लैंड, या अन्य प्रॉपर्टी है, ऐसी संपत्ति प्रोसीड ऑफ क्राइम के दायरे में आती है.''
दो हजार करोड़ के घोटाले का खुलासा : ईडी ने 2000 करोड़ के शराब घोटाले का दावा किया है. अब तक इस मामले में जिन लोगों की गिरफ्तारियां हुईं हैं उनकी संपत्तियों को ईडी ने अटैच किया है. शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें कारोबारी अनवर ढेबर और नितेश पुरोहित ज्यूडिशियल रिमांड पर जेल में है. वहीं आबकारी विभाग के विशेष सचिव एपी त्रिपाठी और पप्पू ढिल्लन ईडी रिमांड पर चल रहे हैं, कारोबारी पप्पू ढिल्लन को गुरुवार ईडी ने कोर्ट में पेश किया है, जहां से उसे 14 दिन के न्यायिक रिमांड में जेल भेजा गया है.