रायपुर: बघेल कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद छत्तीसगढ़ में सियासी गहमागहमी का दौर शुरू हो गया है. बीजेपी इस मुद्दे पर सीएम भूपेश बघेल पर हमलावर है. जबकि कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर कोई कुछ नहीं बोल रहा है. कांग्रेस संगठन ने चुप्पी साध ली है. रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने टीएस सिंहदेव के पंचायत मंत्री पद से इस्तीफे पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि" मुझे मीडिया के माध्यम से इसकी सूचना मिली है. अभी तक सिंहदेव का इस्तीफा वाला पत्र मुझे नहीं मिला है. मेरे पास उनका पत्र आएगा तो मैं परीक्षण करा लूंगा. शनिवार को मैंने सिंहदेव को फोन लगाया था. लेकिन फोन नहीं लग पाया. हमारे बीच सब तालमेल है. हम इस संबंध में चर्चा कर लेंगे" सिंहदेव के इस्तीफे पर कांग्रेस संगठन की ओर से कोई कुछ नहीं बोल रहा है. पीएल पुनिया ने इस मु्द्दे पर मीडिया से बात करने से इंकार कर दिया.
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सिंहदेव ने इस्तीफे वाले पत्र में क्या लिखा था: टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए जो पत्र सीएम भूपेश बघेल को लिखा. उसमें उन्होंने कई सवाल खड़े किए. उन्होंने लिखा कि "विगत तीन वर्षों से मैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भारसाधक मंत्री के रूप में कार्य कर रहा हूं. इस दौरान कुछ ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई हैं, जिससे आपको अवगत कराना चाहता हूं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवास विहीन लोगों को आवास बनाकर दिया जाना था. जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया था. किन्तु इस योजना में राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी. फलस्वरूप प्रदेश के लगभग 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाये जा सके.इसके अतिरिक्त 8 लाख घर बनाने में से करीब 10 हजार करोड़ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सहायक होते. हमारे जन घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के 36 लक्ष्य अंतर्गत ग्रामीण आवास का अधिकार प्रमुख रूप से उल्लेखित है. विचारणीय है कि प्रदेश में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगों के लिए एक भी आवास नहीं बनाया जा सका और योजना की प्रगति निरंक रही. मुझे दुःख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगों को नहीं मिल सका."
"मंत्री के प्रोटोकॉल का किया गया उल्लंघन": आगे सिंहदेव ने लिखा, "किसी भी विभाग के अधीन Discretionary योजनाओं के अंतर्गत कार्यो की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मंत्री का निर्धारित अधिकार है. किन्तु मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत कार्यों की अंतिम स्वीकृति हेतु Rules of Business के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गई. कार्यों की स्वीकृति हेतु मंत्री के अनुमोदन उपरांत अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिये जाने की प्रक्रिया बनाई गई. जो प्रोटोकाल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है. जिस पर मेरे द्वारा समय-समय पर लिखित रूप से आपत्ति दर्ज कराई गई. किन्तु आज पर्यन्त इस व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सका है. फलस्वरूप 500 करोड़ से ज्यादा की राशि का उपयोग मंत्री/विधायक/जनप्रतिनिधि के सुझावों के अनुसार विकास कार्यों में नहीं किया जा सका. वर्तमान में पंचायतों में अनके विकास कार्य प्रारंभ ही नहीं हो पाए."
"पेसा के बिंदुओं को बदलने में विश्वास नहीं": सिंहदेव ने लिखा, "पेसा अधिनियम आदिवासी भाई-बहनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम है. इसे प्रदेश में लागू करने के संबंध में जनघोषणा-पत्र में भी वादा किया था तथा काफी मेहनत से नियम बनाये गए थे. ताकि उसे सफलतापूर्वक प्रदेश में लागू किया जा सके. दिनांक 13 जून, 2020 से प्रदेश के आदिवासी ब्लॉकों में जाकर वहां के स्थानीय लोगों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों इत्यादि से निरंतर 02 वर्षों से संवाद स्थापित कर इसका प्रारूप तैयार किया गया. किन्तु विभाग द्वारा जो प्रारूप कैबिनेट कमेटी को भेजा गया था. जिसके अनुसार चर्चा नहीं हुई. उसमें जल, जंगल जमीन से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को बदल कर कैबिनेट की प्रेसिका में शायद पहली बार बदल दिया गया.भारसाधक मंत्री को विश्वास में नहीं लिया गया जो कि अस्वस्थ्य परम्परा को स्थापित करेगा. इस विषय पर पृथक से मैंने व्यक्तिगत पत्र भी आपको लिखा है." सिंहदेव ने इसके अलावा रोजगार सहायकों की हड़ताल और जनघोषणा पत्र के वादों को लेकर सीएम बघेल को पत्र के माध्यम से अपनी बात बताई.
बीजेपी ने सिंहदेव के इस्तीफे पर सीएम भूपेश बघेल को घेरा: बीजेपी ने टीएस सिंहदेव के इस्तीफे पर सीएम भूपेश बघेल को घेरा. बीजेपी की तरफ से रमन सिंह ने कहा कि "बघेल सरकार में संवादहीनता की स्थिति है. टीएस सिंहदेव सरकार के दूसरे नंबर के मंत्री (TS Singhdev resignation) हैं. वह ऐसे मंत्री हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनाने में अहम भूमिक निभाई. उनके बनाए जन घोषणा पत्र की वजह से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सत्ता वापस आ पाई. लेकिन वह आज हताश और निराश हैं. सरकार में कोई भारसाधक मंत्री को यह कहना पड़े कि मेरे धैर्य की सीमा टूट चुकी है और मैं इस पद को धारण नहीं कर सकता. इसका मतलब यह है कि सरकार में मंत्रियों और मुख्यमंत्री के बीच संवाद हीनता की स्थिति (Raman Singh targets Bhupesh Baghel) है. टीएस सिंहदेव ने प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर नाराजगी व्यक्त की है. जिस तरह से टीएस सिंहदेव ने पत्र में यह जिक्र किया है हमने जो वादा गरीबों से किया था. उसकी मंजूरी सरकार ने नहीं दी. मंत्री को अपने विभागों के कामों का अनुमोदन करने का अधिकार रहता (communication gap in the Baghel government) है. लेकिन टीएस सिंहदेव के विभाग में अनुमोदन के लिए चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी निर्णय करती है. यह एक निराशा टीएस सिंहदेव के मन में है. छत्तीसगढ़ के सभी मंत्रियों की स्थिति ऐसी है. कोई हिम्मत करके इस्तीफा दे दिया है. बाकी मंत्री भी मन ही मन में आक्रोशित और नाराज हैं. एक दिन ऐसा विस्फोट होगा जैसा हमने महाराष्ट्र में देखा. जो स्थिति वहां हुई थी सारी सरकार धरी की धरी रह गई. सारे लोग बगावत (chhattisgarh political news) में आ गए. धीरे धीरे यह स्थिति छतीसगढ़ में बनेगी". बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय और पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने भी बघेल सरकार को इस मुद्दे पर घेरा है