रायपुर: भेंट मुलाकात कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल जहां भी गए, लोगों की समस्याएं सुलझाई. खुलकर समाज के हर वर्ग से बात की. जहां भी गए, कार्यक्रम के बाद उसी गांव के साधारण लोगों के घर जाकर परिवार के साथ भोजन किया. इतना ही नहीं सीएम बघेल ने हर उस परिवार को सीएम आवास का मेहमान बनाकर बुलाया, जिनके घरों में उनकी खातिरदारी हुई. कांग्रेस के इस हिट हुए थाली दांव ने भाजपा को विधानसभा चुनाव की रेस में पीछे धकेल दिया है. इसके तोड़ में भाजपा ने टिफिन पार्टी लांच किया है. भाजपा प्रदेश प्रभारी सहित तमाम दिग्गजों ने कार्यकर्ताओं के साथ टिफिन मीटिंग करने का अभियान शुरू किया है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि कांग्रेस की थाली के जबाव में भाजपा की टिफिन पार्टी कितनी कारगर होगी और चुनाव में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.
घर से टिफिन लेकर मीटिंग के लिए पहुंचेंगे कार्यकर्ता: भाजपा के टिफिन मीटिंग अभियान की शुरुआत हो चुकी है. छत्तीसगढ़ भाजपा के पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ लंच और डिनर कर रहे हैं. हालांकि कार्यकर्ताओं की टिफिन बैठक का स्वरूप अलग है. सभी कार्यकर्ता अपने-अपने घरों से टिफिन लेकर आएंगे और साथ में खाना खाएंगे. शीर्ष नेता अपने हाथों से कार्यकर्ताओं को भोजन कराएंगे. इस अभियान के तहत भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर टिफिन शेयर कर रहे हैं और भाजपा सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं.
भाजपा नेताओं को खाना तक नहीं खिला रहे कार्यकर्ता: भाजपा के इस टिफिन मीटिंग पर कांग्रेस ने चुटकी ली है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि "क्या अभी तक पुराने टिफिन रखे हैं. अब यह स्थिति हो गई है कि वहां कार्यकर्ता उनको खाना तक नहीं खिला रहे हैं. अगर 15 सवाल पूछे होते तो यह नौबत नहीं आती."
टिफिन मीटिंग से कांग्रेस के पेट में क्यों हो रहा दर्द: सीएम के कटाक्ष पर भाजपाई भी हत्थे से उखड़ गए. बोले "हमारे टिफिन अभियान से कांग्रेस के पेट में क्यों दर्द हो रहा है." भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि "हर राजनीतिक दल को अपने अभियान और कार्यक्रम करने का अधिकार है. हम अपने कार्यकर्ताओं के साथ सामूहिक रूप से बैठकर भोजन करेंगे, आपस में चर्चा करेंगे, यह हमारे कार्यक्रम का हिस्सा है. जब एक साथ भोजन करते हैं तो आपस में जो बातचीत होती है, उसका बड़ा महत्व होता है. इस उद्देश्य से यह कार्यक्रम है. इससे कांग्रेस के पेट में दर्द होना स्वाभाविक है, क्योंकि आज छत्तीसगढ़ की जनता कांग्रेस से नाराज हैं, कांग्रेस से दूर जा चुकी है. उनमे कांग्रेस सरकार के लिए आक्रोश है. ऐसे में उनके पेट में दर्द होना स्वभाविक है."
केवल जनता से संवाद करने का इवेंट: राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि "यह एक इवेंट है, जिसके तहत राजनीतिक दल कार्यकर्ताओं और आम जनता सहित विभिन्न वर्गों से संवाद स्थापित करते हैं. इसका मुख्य उद्देश होता है कि लोगों तक पहुंचे, बातचीत करें, उनकी समस्याओं को सुनें. यदि कार्यकर्ताओं के साथ बैठते हैं तो उनमें उत्साह का संचार करें. यदि आम जनता के साथ बैठते हैं तो भाजपा अपनी बात उनके सामने रखेगी. राज्य सरकार की कमजोरियों को गिनएगी और केंद्र सरकार के साथ ही 15 साल की रमन सरकार की उपलब्धियों को गिनाएगी. कुल मिलाकर यह जनता से संवाद का इवेंट मात्र है."
"इसकी मूल अवधारणा आरएसएस से आई है, जो संघ के प्रचारकों की जीवन शैली है. यह चीजें वहां से बाहर आई हैं. बाद में इसे कांग्रेस पार्टी ने भी अडॉप्ट कर लिया." -शशांक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
भोजन के साथ सुरक्षित भविष्य देने वालों को वोट: थाली और टिफिन में किसको ज्यादा फायदा होगा, यह तो प्रचार करने और बात रखने के तरीकों पर निर्भर है. जो भी दल भोजन करने के साथ किसानों और महिलाओं को सुरक्षित भविष्य देगा, उन्हें संतुष्ट करेगा, वोट उसके पक्ष में पड़ने की संभावना ज्यादा होगी. किसके साथ कौन बैठकर रोटी खा रहा है, इससे न तो कोई फर्क पड़ेगा और न ही वोटिंग होगी.