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कंडम रेल के डिब्बों को रेस्टोरेंट बनाने जा रहा रेलवे, जानिए कैसे टेंडर प्रक्रिया में आप हो सकते हैं शामिल

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Published : Jan 6, 2023, 9:45 PM IST

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर एक अभिनव पहल करने जा रहा है, जिसमें Restaurant on Wheels की संकल्पना को साकार किया जा रहा है. इसके तहत बिलासपुर रेलवे स्टेशन के निकट, स्टेशन चौराहे में पुराने हो चुके कोच को रेनोवेट करके रेस्टोरेंट की तैयारी की जा रही Plan to open restaurant in unused railway coach है. इसके लिए प्रक्रिया जल्द शुरू हो जाएगी. आने वाले वर्ष में रेस्टोरेंट्स शुरू हो जाएगा.

Railway will use condom rail coaches in restaurant
रेलगाड़ी में रेस्टोरेंट
कंडम रेल के डिब्बों से बनेगा रेस्टोरेंट

बिलासपुर: ट्रेन के डिब्बे एक समय बाद किसी उपयोग लायक नहीं रहते हैं. सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे के ऐसे डिब्बों को ट्रैक से हटा दिया जाता है. ऐसे कोच की वजह से रेलवे की काफी जगह उन्हें रखने में भी खराब होती है. सालों साल Bilaspur Coaching Yard में सिर्फ कबाड़ होने के अलावा दूसरे किसी काम में नहीं लाए जाते हैं. बिलासपुर कोचिंग यार्ड के साथ ही दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के तीनों मंडलों में सैकड़ों कोच खराब unused railway coach in Bilaspur हैं. इनको अब दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे इस्तेमाल के साथ ही अपनी आय का जरिया बनाने जा रही है. रेलवे इन कोच को ठेकेदारों को सौंपने वाली है. ठेकेदार इनको स्टेशन और आसपास के क्षेत्र में स्थापित कर कोच रेस्टोरेंट्स तैयार Plan to open restaurant in unused railway coach करेंगे.

बाहर से कोच और अंदर से रेस्टोरेंट: कोच रेस्टोरेंट की सबसे खास बात यह रहेगी कि इसे स्टेशन के उस जगह स्थापित किया जाएगा. जहां आसपास पेड़ और जंगल जैसा माहौल हो. ताकि रेस्टोरेंट में आने वाले लोगों को अंदर बैठने के बाद ये लगे कि वो ट्रेन में सफर करते हुए बेहतरीन, स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले रहे हैं. कोच रेस्टोरेंट्स बाहर से कोच की तरह ही रहेगा और अंदर ठेकेदार अपने मुताबिक इसे रेस्टोरेंट्स की तरह डेकोरेट कर सकेगा. ठेकेदार को यह व्यवस्था दी जाएगी कि वह कोच के बाहर खाली जगह पर टेबल कुर्सी लगाकर भोजन परोस सकता है, ताकि लोगों को यह महसूस हो कि उनकी ट्रेन जंगल में रुकी है और वह टेबल कुर्सी में बैठकर भोजन का आनंद ले रहे हैं.

यह भी पढ़ें: bilaspur railway zone: ट्रेनों में यात्री सुरक्षा के लिए दपुमरे ने 190 कोच में लगाया सीसीटीवी कैमरा

क्या है रेलवे से कोच लेने का तरीका: आम आदमी भी रेलवे का ठेकेदार बनने और कोच रेस्टोरेंट चलाने की प्रक्रिया में शामिल हो सकता है. वह रेल कोच किराए में लेकर रेस्टोरेंट संचालित कर सकता है. लेकिन यह रेस्टोरेंट रेलवे क्षेत्र में ही लगाया जा सकेगा. इस प्रक्रिया में शामिल होने के लिए सबसे पहले डिजिटल सिग्नेचर की सुविधा होनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना टेंडर प्रक्रिया में कोई शामिल नहीं हो सकता है. इस प्रक्रिया में ठेकेदार बनने के लिए डिजिटल सिग्नेचर के साथ ही फूड लाइसेंस की आवश्यकता पड़ेगी. इस प्रक्रिया के तहत कोई भी आम व्यक्ति रेलवे के कंडम कोच को किराए में लेकर रेस्टोरेंट्स संचालित कर सकता है.What is the way to take coach from railway

क्या है डिजिटल सिग्नेचर: डिजिटल सिग्नेचर कंपनी या व्यक्ति की पहचान प्रमाणित करता है. जिस तरह से व्यक्ति सामने साइन करता है. ठीक उसी तरह डिजिटल सर्टिफिकेट काम करता है. बस फर्क इतना है कि इसे इंटरनेट द्वारा भेजे जाने वाले डॉक्यूमेंट्स में उपयोग किया जाता है. यह सर्टिफिकेट एक इलेक्ट्रानिक क्रेडिट कार्ड की तरह है, जो बिजनेस करते समय या वेब पर कोई भी ट्रांजेक्शन करते हुए उपयोगकर्ता ई पहचान को स्थापित करता है. इस सिग्नेचर के साथ भेजे गए डॉक्युमेंट से भेजने वाला कभी इनकार नहीं कर सकता. यह साइन यह सुनिश्चित भी करता है कि अगर कोई डॉक्युमेंट एक बार डिजिटली साइन हो गया तो फिर उसमें कोई रद्दोबदल या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.

कहां इस्तेमाल हो रहा है डिजिटल सिग्नेचर: वर्तमान में डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग कंपनी की रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में, ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग करने में होता है. इसके अलावा टेंडर लेने, EPFO के लिए ऑनलाइन रजिस्टर्ड करने और ऑनलाइन सेवाओं का फायदा लेने के साथ ही ई मेल भेजने और रिसीव करने, इंटरनेट आधारित कोई भी लेन देन सुरक्षित करने के लिए के लिए इसकी जरूरत होती है. एमएसवर्ड, एमएस एक्सेल और पीडीएफ डॉक्युमेंट्स को साइन करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग किया जाता है. यह ऑफिस को पेपरलेस बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

यह भी पढ़ें: फूलों के बगीचों से SECR के रेलवे स्टेशनों में फैलेगी खुशबू, पटरी किनारे किया जाएगा ब्यूटीफिकेशन

कंडम रेल के डिब्बों से बनेगा रेस्टोरेंट

बिलासपुर: ट्रेन के डिब्बे एक समय बाद किसी उपयोग लायक नहीं रहते हैं. सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे के ऐसे डिब्बों को ट्रैक से हटा दिया जाता है. ऐसे कोच की वजह से रेलवे की काफी जगह उन्हें रखने में भी खराब होती है. सालों साल Bilaspur Coaching Yard में सिर्फ कबाड़ होने के अलावा दूसरे किसी काम में नहीं लाए जाते हैं. बिलासपुर कोचिंग यार्ड के साथ ही दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के तीनों मंडलों में सैकड़ों कोच खराब unused railway coach in Bilaspur हैं. इनको अब दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे इस्तेमाल के साथ ही अपनी आय का जरिया बनाने जा रही है. रेलवे इन कोच को ठेकेदारों को सौंपने वाली है. ठेकेदार इनको स्टेशन और आसपास के क्षेत्र में स्थापित कर कोच रेस्टोरेंट्स तैयार Plan to open restaurant in unused railway coach करेंगे.

बाहर से कोच और अंदर से रेस्टोरेंट: कोच रेस्टोरेंट की सबसे खास बात यह रहेगी कि इसे स्टेशन के उस जगह स्थापित किया जाएगा. जहां आसपास पेड़ और जंगल जैसा माहौल हो. ताकि रेस्टोरेंट में आने वाले लोगों को अंदर बैठने के बाद ये लगे कि वो ट्रेन में सफर करते हुए बेहतरीन, स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले रहे हैं. कोच रेस्टोरेंट्स बाहर से कोच की तरह ही रहेगा और अंदर ठेकेदार अपने मुताबिक इसे रेस्टोरेंट्स की तरह डेकोरेट कर सकेगा. ठेकेदार को यह व्यवस्था दी जाएगी कि वह कोच के बाहर खाली जगह पर टेबल कुर्सी लगाकर भोजन परोस सकता है, ताकि लोगों को यह महसूस हो कि उनकी ट्रेन जंगल में रुकी है और वह टेबल कुर्सी में बैठकर भोजन का आनंद ले रहे हैं.

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क्या है रेलवे से कोच लेने का तरीका: आम आदमी भी रेलवे का ठेकेदार बनने और कोच रेस्टोरेंट चलाने की प्रक्रिया में शामिल हो सकता है. वह रेल कोच किराए में लेकर रेस्टोरेंट संचालित कर सकता है. लेकिन यह रेस्टोरेंट रेलवे क्षेत्र में ही लगाया जा सकेगा. इस प्रक्रिया में शामिल होने के लिए सबसे पहले डिजिटल सिग्नेचर की सुविधा होनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना टेंडर प्रक्रिया में कोई शामिल नहीं हो सकता है. इस प्रक्रिया में ठेकेदार बनने के लिए डिजिटल सिग्नेचर के साथ ही फूड लाइसेंस की आवश्यकता पड़ेगी. इस प्रक्रिया के तहत कोई भी आम व्यक्ति रेलवे के कंडम कोच को किराए में लेकर रेस्टोरेंट्स संचालित कर सकता है.What is the way to take coach from railway

क्या है डिजिटल सिग्नेचर: डिजिटल सिग्नेचर कंपनी या व्यक्ति की पहचान प्रमाणित करता है. जिस तरह से व्यक्ति सामने साइन करता है. ठीक उसी तरह डिजिटल सर्टिफिकेट काम करता है. बस फर्क इतना है कि इसे इंटरनेट द्वारा भेजे जाने वाले डॉक्यूमेंट्स में उपयोग किया जाता है. यह सर्टिफिकेट एक इलेक्ट्रानिक क्रेडिट कार्ड की तरह है, जो बिजनेस करते समय या वेब पर कोई भी ट्रांजेक्शन करते हुए उपयोगकर्ता ई पहचान को स्थापित करता है. इस सिग्नेचर के साथ भेजे गए डॉक्युमेंट से भेजने वाला कभी इनकार नहीं कर सकता. यह साइन यह सुनिश्चित भी करता है कि अगर कोई डॉक्युमेंट एक बार डिजिटली साइन हो गया तो फिर उसमें कोई रद्दोबदल या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.

कहां इस्तेमाल हो रहा है डिजिटल सिग्नेचर: वर्तमान में डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग कंपनी की रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में, ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग करने में होता है. इसके अलावा टेंडर लेने, EPFO के लिए ऑनलाइन रजिस्टर्ड करने और ऑनलाइन सेवाओं का फायदा लेने के साथ ही ई मेल भेजने और रिसीव करने, इंटरनेट आधारित कोई भी लेन देन सुरक्षित करने के लिए के लिए इसकी जरूरत होती है. एमएसवर्ड, एमएस एक्सेल और पीडीएफ डॉक्युमेंट्स को साइन करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग किया जाता है. यह ऑफिस को पेपरलेस बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

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