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Beltara Assembly Seat: कांग्रेस में टिकट की मारामारी, बेलतरा विधानसभा सीट पर 117 तो अंबिकापुर में 109 दावेदार - कांग्रेस के बागी त्रिलोक श्रीवास

Beltara Assembly Seat छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के लिए जहां भाजपा और बसपा अपनी पहली लिस्ट जारी कर चुकी हैं, वहीं कांग्रेस में भी उम्मीदवार फाइनल किए जा रहे हैं. बेलतरा और अंबिकापुर विधानसभा सीट पर टिकट बांटना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर बन गई है. दोनों ही सीट पर 100 से ज्यादा दावेदारों ने आवेदन दिए हैं. ऐसे में यहां जिताऊ उम्मीदवार फाइनल करना और बगावत मैनेज करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. Chhattisgarh Assembly Elections 2023

Beltara Assembly Seat
कांग्रेस में टिकट की मारामारी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 26, 2023, 10:27 PM IST

राजनीति के जानकार अनिल तिवारी ने बताया भीतरघात से पार पाने का तरीका

बिलासपुर/अंबिकापुर: कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वालों से आवेदन मांगे. यही आवेदन बेलतरा और अंबिकापुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के लिए चुनौती बन गए हैं. बिलासपुर की बेलतरा सीट पर 117 तो वहीं अंबिकापुर विधानसभा सीट पर 109 आवेदन आए हैं. टिकट वितरण के बाद बगावत की आशंका और पिछले तीन चुनाव की तरह भीतरघात के अंदेशे से पार्टी घिर गई है. इसकी वजह भी है. बेलतरा जो 1998 तक कांग्रेस का गढ़ रही, वहां भीतरघात ही पार्टी को कमजोर करने की सबसे बड़ी वजह है. ऐसे में इन सीटों पर उम्मीदवार तय करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा. वहीं बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में बेलतरा के लिए उम्मीदवार घोषित तो नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस सीट में सिटिंग एमएलए रजनीश सिंह को ही मौका मिल सकता है.

बेलतरा में पार्टी पदाधिकारी से लेकर कार्यकर्ता मांग रहे टिकट: ब्लाॅक कांग्रेस कमेटी में 22 अगस्त तक आवेदन जमा हुए. प्रदेश के 90 विधानसभा में हजारों कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने आवेदन जमा किया है. बेलतरा विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा आवेदन आए. यहां प्रदेश के पर्यटन मंडल अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष, महापौर, जिले के बड़े कांग्रेस पदाधिकारी, प्रदेश सचिव, महामंत्री, क्षेत्रीय अध्यक्ष सहित पीसीसी के कई पदाधिकारी, जमीनी स्तर के नेता और चुनाव जिताने वाले कार्यकर्ता तक अपने लिए टिकट मांग रहे हैं. कांग्रेस कमेटी की चिंता इस बात के लेकर बढ़ गई है कि किसी एक को टिकट मिलने पर अन्य नाराज न हो जाएं. यदि कार्यकर्ता नाराज हुआ तो चुनाव में वोटों पर प्रभाव भी पड़ सकता है. ऐसे में बेलतरा के लिए टिकट वितरण कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर ही साबित हो सकती है. कुछ ऐसा ही हाल अंबिकापुर विधानसभा सीट का भी है, जहां 109 आवेदन आए हैं.

बागियों के चलते यहां 5 बार चुनाव हारी है कांग्रेस : परिसीमन में सीपत विधानसभा को विलोपित कर बेलतरा विधानसभा सीट बनाई गई. सीपत का क्षेत्र कुछ विधानसभा मस्तूरी में है तो कुछ बेलतरा में है. सीपत विधानसभा में भाजपा से बद्रीधर दीवान ने 1998 कांग्रेस के चंद्रप्रकाश बाजपेयी को हराया. 2003 में सीपत से कांग्रेस ने रमेश कौशिक को टिकट दिया. इस बार एनसीपी के टिकट से पूर्व कांग्रेस नेता राजेंद्र चावला ने चुनाव लड़ कर कांग्रेस को हराया. यहां से एक बार फिर बद्रीधर दीवान जीते. बेलतरा सीट बनने के बाद 2008 और फिर 2013 में कांग्रेस उम्मीदवार भुनेश्वर यादव को भीतरघात के चलते हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस ने 2018 में बेलतरा सीट में राजेंद्र साहू को टिकट दिया. इस बार कांग्रेस से अलग होकर जोगी कांग्रेस में शामिल हुए अनिल टाह और कांग्रेस के बागी त्रिलोक श्रीवास ने निर्दलीय चुनाव लड़कर वोट काटे. यहां से भाजपा के रजनीश सिंह ने चुनाव जीता. शुरुआत से ही बेलतरा सीट को पाने के लिए कांग्रेसियों में होड़ मची है. यही कारण है कि इस सीट के लिए उम्मीदवारों की झड़ी लग जाती है.

भितरघात को लेकर क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार: कांग्रेस बगियों की वजह से बेलतरा में 1998 से लेकर 2018 तक चुनाव हारती आ रही है. बीजेपी इसे अपना मजबूत गढ़ बताती है. यहां लगातार भाजपा की जीत हो रही है तो वहीं कांग्रेस भितरघात के चलते हारती चली आ रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनाव आते ही सभी टिकट की उम्मीद करते हैं. कांग्रेस में टिकट नहीं मिलने पर लोग बागी हो जाते हैं.

Chhattisgarh Assembly Elections 2023
राजनीति के जानकार अनिल तिवारी ने बताया भीतरघात से पार पाने का तरीका

यदि कांग्रेस इस सीट पर जीत चाहती है तो उसे उन सभी लोगों को निर्देश देना चाहिए जो फार्म भरे हैं, वो कम से कम 500-500 लोगों के पास जाएं और कांग्रेस का प्रचार करें. साथ ही कांग्रेस को एक निगरानी समिति बनानी चाहिए. जो भीतरघात कर रहे हैं, उनकी पहचान कर कड़ी करवाई करें, तभी कांग्रेस बेलतरा सीट जीत सकती है. अन्यथा फिर कई बागी और भितरघाती सिर उठाएंगे और कांग्रेस को हराने में लग जाएंगे. -अनिल तिवारी, राजनीति के जानकार

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बेलतरा की तरह अंबिकापुर में भी टिकट के लिए 100 से ज्यादा आवेदन आए हैं. अब देखना ये है कि पहले के चुनावों और नुकसान से सबक लेकर कांग्रेस क्या नया पैंतरा अपनाती है. सितंबर के पहले सप्ताह में कांग्रेस की भी सूची आने की संभावना है. ऐसे में यदि ठीक तरह से मैनेज नहीं किया गया तो उम्मीदवारी सूची जारी होते ही एक बार फिर कांग्रेस में उथल पुथल मच सकती है.

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बिलासपुर/अंबिकापुर: कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वालों से आवेदन मांगे. यही आवेदन बेलतरा और अंबिकापुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के लिए चुनौती बन गए हैं. बिलासपुर की बेलतरा सीट पर 117 तो वहीं अंबिकापुर विधानसभा सीट पर 109 आवेदन आए हैं. टिकट वितरण के बाद बगावत की आशंका और पिछले तीन चुनाव की तरह भीतरघात के अंदेशे से पार्टी घिर गई है. इसकी वजह भी है. बेलतरा जो 1998 तक कांग्रेस का गढ़ रही, वहां भीतरघात ही पार्टी को कमजोर करने की सबसे बड़ी वजह है. ऐसे में इन सीटों पर उम्मीदवार तय करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा. वहीं बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में बेलतरा के लिए उम्मीदवार घोषित तो नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस सीट में सिटिंग एमएलए रजनीश सिंह को ही मौका मिल सकता है.

बेलतरा में पार्टी पदाधिकारी से लेकर कार्यकर्ता मांग रहे टिकट: ब्लाॅक कांग्रेस कमेटी में 22 अगस्त तक आवेदन जमा हुए. प्रदेश के 90 विधानसभा में हजारों कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने आवेदन जमा किया है. बेलतरा विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा आवेदन आए. यहां प्रदेश के पर्यटन मंडल अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष, महापौर, जिले के बड़े कांग्रेस पदाधिकारी, प्रदेश सचिव, महामंत्री, क्षेत्रीय अध्यक्ष सहित पीसीसी के कई पदाधिकारी, जमीनी स्तर के नेता और चुनाव जिताने वाले कार्यकर्ता तक अपने लिए टिकट मांग रहे हैं. कांग्रेस कमेटी की चिंता इस बात के लेकर बढ़ गई है कि किसी एक को टिकट मिलने पर अन्य नाराज न हो जाएं. यदि कार्यकर्ता नाराज हुआ तो चुनाव में वोटों पर प्रभाव भी पड़ सकता है. ऐसे में बेलतरा के लिए टिकट वितरण कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर ही साबित हो सकती है. कुछ ऐसा ही हाल अंबिकापुर विधानसभा सीट का भी है, जहां 109 आवेदन आए हैं.

बागियों के चलते यहां 5 बार चुनाव हारी है कांग्रेस : परिसीमन में सीपत विधानसभा को विलोपित कर बेलतरा विधानसभा सीट बनाई गई. सीपत का क्षेत्र कुछ विधानसभा मस्तूरी में है तो कुछ बेलतरा में है. सीपत विधानसभा में भाजपा से बद्रीधर दीवान ने 1998 कांग्रेस के चंद्रप्रकाश बाजपेयी को हराया. 2003 में सीपत से कांग्रेस ने रमेश कौशिक को टिकट दिया. इस बार एनसीपी के टिकट से पूर्व कांग्रेस नेता राजेंद्र चावला ने चुनाव लड़ कर कांग्रेस को हराया. यहां से एक बार फिर बद्रीधर दीवान जीते. बेलतरा सीट बनने के बाद 2008 और फिर 2013 में कांग्रेस उम्मीदवार भुनेश्वर यादव को भीतरघात के चलते हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस ने 2018 में बेलतरा सीट में राजेंद्र साहू को टिकट दिया. इस बार कांग्रेस से अलग होकर जोगी कांग्रेस में शामिल हुए अनिल टाह और कांग्रेस के बागी त्रिलोक श्रीवास ने निर्दलीय चुनाव लड़कर वोट काटे. यहां से भाजपा के रजनीश सिंह ने चुनाव जीता. शुरुआत से ही बेलतरा सीट को पाने के लिए कांग्रेसियों में होड़ मची है. यही कारण है कि इस सीट के लिए उम्मीदवारों की झड़ी लग जाती है.

भितरघात को लेकर क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार: कांग्रेस बगियों की वजह से बेलतरा में 1998 से लेकर 2018 तक चुनाव हारती आ रही है. बीजेपी इसे अपना मजबूत गढ़ बताती है. यहां लगातार भाजपा की जीत हो रही है तो वहीं कांग्रेस भितरघात के चलते हारती चली आ रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनाव आते ही सभी टिकट की उम्मीद करते हैं. कांग्रेस में टिकट नहीं मिलने पर लोग बागी हो जाते हैं.

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यदि कांग्रेस इस सीट पर जीत चाहती है तो उसे उन सभी लोगों को निर्देश देना चाहिए जो फार्म भरे हैं, वो कम से कम 500-500 लोगों के पास जाएं और कांग्रेस का प्रचार करें. साथ ही कांग्रेस को एक निगरानी समिति बनानी चाहिए. जो भीतरघात कर रहे हैं, उनकी पहचान कर कड़ी करवाई करें, तभी कांग्रेस बेलतरा सीट जीत सकती है. अन्यथा फिर कई बागी और भितरघाती सिर उठाएंगे और कांग्रेस को हराने में लग जाएंगे. -अनिल तिवारी, राजनीति के जानकार

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बेलतरा की तरह अंबिकापुर में भी टिकट के लिए 100 से ज्यादा आवेदन आए हैं. अब देखना ये है कि पहले के चुनावों और नुकसान से सबक लेकर कांग्रेस क्या नया पैंतरा अपनाती है. सितंबर के पहले सप्ताह में कांग्रेस की भी सूची आने की संभावना है. ऐसे में यदि ठीक तरह से मैनेज नहीं किया गया तो उम्मीदवारी सूची जारी होते ही एक बार फिर कांग्रेस में उथल पुथल मच सकती है.

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