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दुनिया का सबसे बड़ा और जटिल निकासी अभियान चलाएगा भारत - प्रवासी भारतीयों के लिए निकासी अभियान

भारत बहुत जल्द प्रवासी भारतीयों के लिए निकासी अभियान चलाने वाला है. यह निकासी अभियान दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे जटिल होगा. खाड़ी देशों के अलावा जिन विदेशी देशों से सबसे अधिक निकासी अभियान की आवश्यकता है, उनमें यूके, यूएस, यूक्रेन आदि शामिल हैं. एक शीर्ष सरकारी सूत्र के अनुसार वृहद निकासी योजना को अंतिम रूप देने में कई जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : May 1, 2020, 8:10 PM IST

हैदराबाद : भारत ने संकट काल में अपने प्रवासी नागरिकों को मदद पहुंचाकर हमेशा एक नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया है. जब भी प्रवासी भारतीयों को घर लाने की मांग उठी, सरकार हाजिर रही है. भारत ने अब तक 30 से अधिक अभियान विदेश से प्रवासी भारतीयों को लाने में चलाया है. इनमें से कोरोना वायरस से उत्पन्न त्रासदी के समय का निकासी अभियान दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे जटिल होगा.

कोविड​-19 महामारी के बीच नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नौ परिवहन महानिदेशालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय वायु सेना (आईएएफ), भारतीय नौसेना और विदेश मंत्रालय आधुनिक समय के सबसे कठिन निकासी अभियान में कार्यरत हैं. इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मात्र केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के अनुसार 201 देशों में बसे 3,50,000 से अधिक केरलवासी वापस देश आना चाहते हैं. इनमें से लगभग आधे तो खाड़ी देश में रहते हैं.

इस तरह से भारत द्वारा दुनिया का सबसे बड़ा निकासी अभियान शुरू किया जाएगा. इसके पहले 1,70,000 प्रवासी भारतीय 1990-91 में इराक के सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला किया था, तब आए थे.

सैन्य सहयोग के अलावा निकासी के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा निभाई जाएगी, जो एयर इंडिया के बेड़े को परिचालन में लाएगी, जबकि दूसरी महत्वपूर्ण भूमिका शिपिंग मंत्रालय द्वारा की जाएगी. सैन्य क्षमताओं को तैनात करने के अलावा, इसमें असैनिक विमानों और जहाजों के चार्टरिंग भी शामिल होंगे.

अभियान से परिचित एक सैन्य अधिकारी ने नाम नहीं लिए जाने की शर्त पर बताया, 'उत्तर भारत के वायुसेना के अड्डे पर कम से कम चार सी-17 ग्लोबमास्टर छह घंटे से तैयार खड़े हैं, जबकि अन्य विमान भी तैयार हैं. अन्य प्लेटफार्मों को भी उपयोग में लाया जाएगा. लगभग तीन से पांच नौसेना युद्धपोत भी तैयार हैं. सभी सरकार से आदेश का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्लेटफार्म की अंतिम संख्या और वह कहां से आएंगे यह सरकार के अंतिम निर्णय पर निर्भर करता है.'

खाड़ी देशों के अलावा जिन देशों से सबसे अधिक निकासी अभियान की आवश्यकता है, उनमें यूके, यूएस, यूक्रेन आदि शामिल हैं. एक शीर्ष सरकारी सूत्र के अनुसार वृहद निकासी योजना को अंतिम रूप देने में कई जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

पहला भारतीयों को देश वापसी करते समय सामाजिक दूरी और स्वास्थ्य मानदंडों को बनाए रखना होगा. विमान और जहाज उन वातावरणों में से है, जहां कोरोना वायरस सबसे तेजी से संक्रमण फैलाता है. इन मानदंडों का पालन करने से यात्रियों के लिए जगह कम होगी, जो विमान या जहाज की पेलोड क्षमता को प्रभावित करेगा.

दूसरा यह कि विदेश में काम करने वाले भारतीय और फंसे दोनों शामिल हैं, लेकिन कौन वापस लौटना चाहता है. भारतीय तेजी से विदेश के घुमंतू आबादी बने हैं. कार्नेगी के एक अध्ययन के अनुसार, 2015 में दो करोड़ से अधिक भारतीयों ने विदेश यात्रा की. यह आंकड़ा 2020 में बढ़कर तीन करोड़ हो जाने की संभावना रही.

तीन, सरकार देश के अंदर फंसे प्रवासियों को उनके संबंधित राज्यों में वापस ले जाने का आदेश देने की संभावना है, जो अब गंभीर चिंता का विषय बन रहा है. इसका अर्थ है कि निकासी के प्रयास को शुरू करने में कुछ और समय लग सकता है.

चार, निकासी चुनौतियों का केवल एक हिस्सा है. चुनौती पर्याप्त क्वारंटाइन सुविधाओं को सुनिश्चित करना, स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों को बनाए रखने और लोगों को गंतव्य स्थान तक व्यवस्था सुविधाजनक बनाने में रहेगी.

पांचवीं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सैन्य संसाधनों को कैसे उपयोग किया जाए. इसका निर्णय महत्वपूर्ण होगा, जिसमें सामरिक मुद्दों को ध्यान में रखकर करना होगा. इसमें यह भी शामिल है कि सैन्य संसाधनों का वायरस से उपजी त्रासदी में कैसे इस्तेमाल किया जाएगा.

हैदराबाद : भारत ने संकट काल में अपने प्रवासी नागरिकों को मदद पहुंचाकर हमेशा एक नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया है. जब भी प्रवासी भारतीयों को घर लाने की मांग उठी, सरकार हाजिर रही है. भारत ने अब तक 30 से अधिक अभियान विदेश से प्रवासी भारतीयों को लाने में चलाया है. इनमें से कोरोना वायरस से उत्पन्न त्रासदी के समय का निकासी अभियान दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे जटिल होगा.

कोविड​-19 महामारी के बीच नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नौ परिवहन महानिदेशालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय वायु सेना (आईएएफ), भारतीय नौसेना और विदेश मंत्रालय आधुनिक समय के सबसे कठिन निकासी अभियान में कार्यरत हैं. इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मात्र केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के अनुसार 201 देशों में बसे 3,50,000 से अधिक केरलवासी वापस देश आना चाहते हैं. इनमें से लगभग आधे तो खाड़ी देश में रहते हैं.

इस तरह से भारत द्वारा दुनिया का सबसे बड़ा निकासी अभियान शुरू किया जाएगा. इसके पहले 1,70,000 प्रवासी भारतीय 1990-91 में इराक के सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला किया था, तब आए थे.

सैन्य सहयोग के अलावा निकासी के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा निभाई जाएगी, जो एयर इंडिया के बेड़े को परिचालन में लाएगी, जबकि दूसरी महत्वपूर्ण भूमिका शिपिंग मंत्रालय द्वारा की जाएगी. सैन्य क्षमताओं को तैनात करने के अलावा, इसमें असैनिक विमानों और जहाजों के चार्टरिंग भी शामिल होंगे.

अभियान से परिचित एक सैन्य अधिकारी ने नाम नहीं लिए जाने की शर्त पर बताया, 'उत्तर भारत के वायुसेना के अड्डे पर कम से कम चार सी-17 ग्लोबमास्टर छह घंटे से तैयार खड़े हैं, जबकि अन्य विमान भी तैयार हैं. अन्य प्लेटफार्मों को भी उपयोग में लाया जाएगा. लगभग तीन से पांच नौसेना युद्धपोत भी तैयार हैं. सभी सरकार से आदेश का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्लेटफार्म की अंतिम संख्या और वह कहां से आएंगे यह सरकार के अंतिम निर्णय पर निर्भर करता है.'

खाड़ी देशों के अलावा जिन देशों से सबसे अधिक निकासी अभियान की आवश्यकता है, उनमें यूके, यूएस, यूक्रेन आदि शामिल हैं. एक शीर्ष सरकारी सूत्र के अनुसार वृहद निकासी योजना को अंतिम रूप देने में कई जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

पहला भारतीयों को देश वापसी करते समय सामाजिक दूरी और स्वास्थ्य मानदंडों को बनाए रखना होगा. विमान और जहाज उन वातावरणों में से है, जहां कोरोना वायरस सबसे तेजी से संक्रमण फैलाता है. इन मानदंडों का पालन करने से यात्रियों के लिए जगह कम होगी, जो विमान या जहाज की पेलोड क्षमता को प्रभावित करेगा.

दूसरा यह कि विदेश में काम करने वाले भारतीय और फंसे दोनों शामिल हैं, लेकिन कौन वापस लौटना चाहता है. भारतीय तेजी से विदेश के घुमंतू आबादी बने हैं. कार्नेगी के एक अध्ययन के अनुसार, 2015 में दो करोड़ से अधिक भारतीयों ने विदेश यात्रा की. यह आंकड़ा 2020 में बढ़कर तीन करोड़ हो जाने की संभावना रही.

तीन, सरकार देश के अंदर फंसे प्रवासियों को उनके संबंधित राज्यों में वापस ले जाने का आदेश देने की संभावना है, जो अब गंभीर चिंता का विषय बन रहा है. इसका अर्थ है कि निकासी के प्रयास को शुरू करने में कुछ और समय लग सकता है.

चार, निकासी चुनौतियों का केवल एक हिस्सा है. चुनौती पर्याप्त क्वारंटाइन सुविधाओं को सुनिश्चित करना, स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों को बनाए रखने और लोगों को गंतव्य स्थान तक व्यवस्था सुविधाजनक बनाने में रहेगी.

पांचवीं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सैन्य संसाधनों को कैसे उपयोग किया जाए. इसका निर्णय महत्वपूर्ण होगा, जिसमें सामरिक मुद्दों को ध्यान में रखकर करना होगा. इसमें यह भी शामिल है कि सैन्य संसाधनों का वायरस से उपजी त्रासदी में कैसे इस्तेमाल किया जाएगा.

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