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चिदंबरम, कांग्रेस को बदनाम करने की सरकार की साजिश : जयराम रमेश

आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेसी नेता जयराम रमेश पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम का बचाव करते नजर आए. जयराम रमेश ने सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि चिदंबरम को बदनाम किया जा रहा है.

जयराम रमेश
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Published : Sep 20, 2019, 10:21 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 9:29 AM IST

नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम का बचाव करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि चिदंबरम के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के तौर पर मामले दर्ज किए गए गए हैं. रमेश ने सरकार पर आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री चिदंबरम और कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने के लिए ये मामले दर्ज किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि अगर यही धारणा रही तो जल्द ही आपको फाइलों पर हस्ताक्षर करने वाला कोई मंत्री नहीं मिलेगा. अगर फाइलों पर हस्ताक्षर करने की सजा तिहाड़ जेल है तो कोई भी मंत्री फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करेगा.

उन्होंने आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम का बचाव करते हुए कहा कि 1991 में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की स्थापना की गई थी. एफआईपीबी के अध्यक्ष के रूप में वित्त सचिव के साथ इसमें छह सचिव भी हैं.

रमेश ने जोर देकर कहा कि आईएनएक्स मीडिया प्रस्ताव को एफआईपीबी द्वारा अनुशंसित किया गया था. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय में इसकी जांच सचिव, उपसचिव, संयुक्त सचिव और अपर सचिव द्वारा की गई. इसके अलावा वित्त सचिव द्वारा भी इसकी जांच हुई.

पढ़ें: अमेरिका में मोदी का ये है एजेंडा

उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि चिदंबरम द्वारा फाइल पर हस्ताक्षर करने से पहले 11 नौकरशाहों ने भी हस्ताक्षर किए थे. लेकिन केवल चिदंबरम को निशाना बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि जब आईएनएक्स मीडिया का प्रस्ताव चिदंबरम को भेजा गया था तो 24 और प्रस्तावों की सिफारिश की गई थी. सभी सिफारिशें किए जाने के बाद चिदंबरम ने 28 मई, 2007 को फाइल पर हस्ताक्षर किए. चिदंबरम ने हालांकि नौ सितंबर को एक बयान दिया है कि वह नहीं चाहते कि किसी भी अधिकारी पर दोष लगाया जाए और उसे गिरफ्तार किया जाए.

नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम का बचाव करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि चिदंबरम के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के तौर पर मामले दर्ज किए गए गए हैं. रमेश ने सरकार पर आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री चिदंबरम और कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने के लिए ये मामले दर्ज किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि अगर यही धारणा रही तो जल्द ही आपको फाइलों पर हस्ताक्षर करने वाला कोई मंत्री नहीं मिलेगा. अगर फाइलों पर हस्ताक्षर करने की सजा तिहाड़ जेल है तो कोई भी मंत्री फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करेगा.

उन्होंने आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम का बचाव करते हुए कहा कि 1991 में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की स्थापना की गई थी. एफआईपीबी के अध्यक्ष के रूप में वित्त सचिव के साथ इसमें छह सचिव भी हैं.

रमेश ने जोर देकर कहा कि आईएनएक्स मीडिया प्रस्ताव को एफआईपीबी द्वारा अनुशंसित किया गया था. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय में इसकी जांच सचिव, उपसचिव, संयुक्त सचिव और अपर सचिव द्वारा की गई. इसके अलावा वित्त सचिव द्वारा भी इसकी जांच हुई.

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उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि चिदंबरम द्वारा फाइल पर हस्ताक्षर करने से पहले 11 नौकरशाहों ने भी हस्ताक्षर किए थे. लेकिन केवल चिदंबरम को निशाना बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि जब आईएनएक्स मीडिया का प्रस्ताव चिदंबरम को भेजा गया था तो 24 और प्रस्तावों की सिफारिश की गई थी. सभी सिफारिशें किए जाने के बाद चिदंबरम ने 28 मई, 2007 को फाइल पर हस्ताक्षर किए. चिदंबरम ने हालांकि नौ सितंबर को एक बयान दिया है कि वह नहीं चाहते कि किसी भी अधिकारी पर दोष लगाया जाए और उसे गिरफ्तार किया जाए.

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चिदंबरम, कांग्रेस को बदनाम करने की सरकार की साजिश : जयराम रमेश

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)| आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम का बचाव करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि चिदंबरम के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के तौर पर मामले दर्ज किए गए गए हैं। रमेश ने सरकार पर आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री चिदंबरम और कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने के लिए ये मामले दर्ज किए गए हैं।



उन्होंने कहा, "अगर यही धारणा रही तो जल्द ही आपको फाइलों पर हस्ताक्षर करने वाला कोई मंत्री नहीं मिलेगा। अगर फाइलों पर हस्ताक्षर करने की सजा तिहाड़ जेल है तो कोई भी मंत्री फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।"



उन्होंने आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम का बचाव करते हुए कहा कि 1991 में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की स्थापना की गई थी। एफआईपीबी के अध्यक्ष के रूप में वित्त सचिव के साथ इसमें छह सचिव भी हैं।



रमेश ने जोर देकर कहा कि आईएनएक्स मीडिया प्रस्ताव को एफआईपीबी द्वारा अनुशंसित किया गया था। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय में इसकी जांच सचिव, उपसचिव, संयुक्त सचिव और अपर सचिव द्वारा की गई। इसके अलावा वित्त सचिव द्वारा भी इसकी जांच हुई।



उन्होंने कहा, "इसका मतलब है कि चिदंबरम द्वारा फाइल पर हस्ताक्षर करने से पहले 11 नौकरशाहों ने भी हस्ताक्षर किए थे। लेकिन केवल चिदंबरम को निशाना बनाया जा रहा है।"



उन्होंने कहा कि जब आईएनएक्स मीडिया का प्रस्ताव चिदंबरम को भेजा गया था तो 24 और प्रस्तावों की सिफारिश की गई थी। सभी सिफारिशें किए जाने के बाद चिदंबरम ने 28 मई, 2007 को फाइल पर हस्ताक्षर किए।



चिदंबरम ने हालांकि नौ सितंबर को एक बयान दिया है कि वह नहीं चाहते कि किसी भी अधिकारी पर दोष लगाया जाए और उसे गिरफ्तार किया जाए।



--आईएएनएस 


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Last Updated : Oct 1, 2019, 9:29 AM IST
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