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पढ़ने की बजाय सीखने पर केंद्रित है राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 : पीएम मोदी

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर गवर्नर कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो रहे इस समारोह को पीएम मोदी ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है. ये देश की शिक्षा नीति है. जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है.

शिक्षा नीति पर गवर्नर कॉन्फ्रेंस
शिक्षा नीति पर गवर्नर कॉन्फ्रेंस
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Published : Sep 6, 2020, 9:34 AM IST

Updated : Sep 7, 2020, 11:43 AM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया है. इसके उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. दोनों इस कॉन्फ्रेंस का शीर्षक 'उच्च शिक्षा में बदलाव के मद्देनजर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भूमिका' तय किया गया है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री, राज्यों के विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी सम्मिलित हैं.

राष्ट्रपति का संबोधन :

नई शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि हम सबको भारतीय जीवन-मूल्यों पर आधारित आधुनिक शिक्षा प्रणाली विकसित करनी है। साथ ही यह भी प्रयास करना है कि सभी को उच्च गुणवत्ता से युक्त शिक्षा प्राप्त हो तथा एक जीवंत व समता-मूलक नॉलेज सोसाइटी का निर्माण हो.

राष्ट्रपति का बयान

1968 की शिक्षा नीति से लेकर इस शिक्षा नीति तक, एक स्वर से निरंतर यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में GDP के 6% निवेश का लक्ष्य रखना चाहिए। 2020 की शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की अनुशंसा की गई है.

प्रधानमंत्री के संबोधन के कुछ अंश :

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भविष्य को ध्यान में रखते हुए व्यापक प्रावधान किए गए है. जैसे-जैसे तकनीक का विस्तार गांवों तक हो रहा है. वैसे-वैसे सूचना और शिक्षा का एक्सेस भी बढ़ रहा है.
  • हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर कॉलेज में तकनीकी सॉल्यूशंस को ज्यादा प्रमोट करें.
    राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पीएम का संबोधन
  • लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्ज़ाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं. इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से एड्रेस किया गया है.
  • नई शिक्षा नीति, पढ़ने के बजाय सीखने पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर गहन सोच पर ज़ोर देती है. इस पॉलिसी में प्रक्रिया से ज्यादा जुनून, व्यावहारिकता और प्रदर्शन पर बल दिया गया है.
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सही मायने में बिना दबाव के, बिना अभाव और बिना प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों को हमारी शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाया गया है.
  • देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है. शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र , राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं. लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए.
  • मैं सर्वप्रथम राष्ट्रपति जी का आभार व्यक्त करता हूं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में ये आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. शिक्षा जगत का सैकड़ों वर्षों का अनुभव यहां एकत्रित है.

कॉन्फ्रेंस से जुड़े एक बयान में कहा गया कि एनईपी-2020 तीन दशक से अधिक समय के बाद बनी है. यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है. बता दें कि पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में घोषित की गई थी.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्कूल और उच्च शिक्षा स्तर पर प्रमुख सुधार किए गए हैं.

बयान में कहा गया है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को एक जीवंत नॉलेज सोसायटी बनाने के लिए प्रयासरत है. यह एक भारत-केंद्रित शिक्षा प्रणाली को लागू करती है जो भारत को वैश्विक महाशक्ति में बदलने में सीधे योगदान देता है.

यह भी पढ़ें- 6 सितंबर: पाकिस्तान के ऑपरेशन जिब्राल्टर का भारतीय सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब

बयान के मुताबिक, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यापक परिवर्तन देश की शिक्षा प्रणाली में आदर्श बदलाव लाएगा और प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' के लिए एक सक्षम और सुदृढ़ शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर चर्चा के लिए देशभर में वेबिनार, वर्चुअल कॉन्फ्रेंस और सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं.

शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इससे पहले 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों पर सम्मेलन' आयोजित किया था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित किया था.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया है. इसके उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. दोनों इस कॉन्फ्रेंस का शीर्षक 'उच्च शिक्षा में बदलाव के मद्देनजर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भूमिका' तय किया गया है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री, राज्यों के विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी सम्मिलित हैं.

राष्ट्रपति का संबोधन :

नई शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि हम सबको भारतीय जीवन-मूल्यों पर आधारित आधुनिक शिक्षा प्रणाली विकसित करनी है। साथ ही यह भी प्रयास करना है कि सभी को उच्च गुणवत्ता से युक्त शिक्षा प्राप्त हो तथा एक जीवंत व समता-मूलक नॉलेज सोसाइटी का निर्माण हो.

राष्ट्रपति का बयान

1968 की शिक्षा नीति से लेकर इस शिक्षा नीति तक, एक स्वर से निरंतर यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में GDP के 6% निवेश का लक्ष्य रखना चाहिए। 2020 की शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की अनुशंसा की गई है.

प्रधानमंत्री के संबोधन के कुछ अंश :

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भविष्य को ध्यान में रखते हुए व्यापक प्रावधान किए गए है. जैसे-जैसे तकनीक का विस्तार गांवों तक हो रहा है. वैसे-वैसे सूचना और शिक्षा का एक्सेस भी बढ़ रहा है.
  • हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर कॉलेज में तकनीकी सॉल्यूशंस को ज्यादा प्रमोट करें.
    राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पीएम का संबोधन
  • लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्ज़ाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं. इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से एड्रेस किया गया है.
  • नई शिक्षा नीति, पढ़ने के बजाय सीखने पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर गहन सोच पर ज़ोर देती है. इस पॉलिसी में प्रक्रिया से ज्यादा जुनून, व्यावहारिकता और प्रदर्शन पर बल दिया गया है.
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सही मायने में बिना दबाव के, बिना अभाव और बिना प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों को हमारी शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाया गया है.
  • देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है. शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र , राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं. लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए.
  • मैं सर्वप्रथम राष्ट्रपति जी का आभार व्यक्त करता हूं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में ये आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. शिक्षा जगत का सैकड़ों वर्षों का अनुभव यहां एकत्रित है.

कॉन्फ्रेंस से जुड़े एक बयान में कहा गया कि एनईपी-2020 तीन दशक से अधिक समय के बाद बनी है. यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है. बता दें कि पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में घोषित की गई थी.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्कूल और उच्च शिक्षा स्तर पर प्रमुख सुधार किए गए हैं.

बयान में कहा गया है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को एक जीवंत नॉलेज सोसायटी बनाने के लिए प्रयासरत है. यह एक भारत-केंद्रित शिक्षा प्रणाली को लागू करती है जो भारत को वैश्विक महाशक्ति में बदलने में सीधे योगदान देता है.

यह भी पढ़ें- 6 सितंबर: पाकिस्तान के ऑपरेशन जिब्राल्टर का भारतीय सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब

बयान के मुताबिक, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यापक परिवर्तन देश की शिक्षा प्रणाली में आदर्श बदलाव लाएगा और प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' के लिए एक सक्षम और सुदृढ़ शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर चर्चा के लिए देशभर में वेबिनार, वर्चुअल कॉन्फ्रेंस और सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं.

शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इससे पहले 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों पर सम्मेलन' आयोजित किया था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित किया था.

Last Updated : Sep 7, 2020, 11:43 AM IST
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