ETV Bharat / bharat

राम मंदिर निर्माण : 34 साल पहले किया गया था बंशी पहाड़पुर के प्रसिद्ध पत्थर का चयन

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 9, 2024, 9:20 AM IST

Ayodhya Ram Temple Construction, राम मंदिर निर्माण में भरतपुर का भी बड़ा योगदान है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 34 साल पहले बंशी पहाड़पुर के प्रसिद्ध पत्थर का चयन किया गया था. इतना ही नहीं, पूजन के लिए ईंटें भी भरतपुर से भेजी गईं थीं.

Ayodhya Ram Temple Construction
बंशी पहाड़पुर के प्रसिद्ध पत्थर
राम मंदिर निर्माण में भरतपुर का बड़ा योगदान...

भरतपुर. पूरा देश रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों में जुटा है. देशवासियों को घर-घर जाकर चावल देकर निमंत्रण दिया जा रहा है. राम मंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भारतपुर वासियों में अनूठा उत्साह है. इसके पीछे की खास वजह यह है कि राम मंदिर का निर्माण जिस पत्थर से हो रहा है, वो पत्थर भरतपुर के बंशी पहाड़पुर से भेजा जा रहा है. इस पत्थर की मजबूती और सुंदरता की वजह से 34 साल पहले मंदिर निर्माण के लिए इसका चयन किया गया. इतना ही नहीं, मंदिर निर्माण में भरतपुर के और भी कई महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं.

भाजपा के प्रदेश मंत्री (हिंदू जागरण मंच के पूर्व विभाग संयोजक) गिरधारी तिवारी ने बताया कि वर्ष 1989 में राम मंदिर मुहिम जोर पकड़ रही थी. उस समय रामशिला पूजन कार्यक्रम में भरतपुर से श्री राम लिखी हुई ईंटें तैयार कर भेजी गईं. राम जन्मभूमि आंदोलन में एकदम से भरतपुर का महत्व बढ़ गया. कार सेवकों के दलों का उत्तर प्रदेश में प्रवेश भरतपुर के रास्ते से कराया गया. उसी दौरान वर्ष 1990 में राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर में उच्च गुणवत्ता वाले पत्थर की तलाश की जा रही थी. भरतपुर के बंशी पहाड़पुर के पत्थर की जांच के लिए आचार्य गिर्राज किशोर, अशोक सिंघल और राम मंदिर के आर्किटेक चंद्रकांत सोमपुरा भरतपुर आए. बंशी पहाड़पुर के पत्थर को मंदिर निर्माण के लिए चुना गया.

पढ़ें : 45 दिन तक जलती रहेगी 108 फीट लंबी अगरबत्ती, जानिए कितने किलोमीटर तक फैलेगी इसकी खुशबू

तिवारी ने बताया कि उस समय राम मंदिर गर्भगृह, शिक्षर, रंग मंडप आदि के निर्माण के लिए करीब 3.50 लाख घन फीट पत्थर की जरूरत बताई. उस समय बंशी पहाड़पुर के पत्थर के खनन और परिवहन में तमाम प्रशासनिक अड़चनें आईं. मंदिर निर्माण के लिए पत्थर देने से व्यापारी कतरा रहे थे. ऐसे में अन्य व्यवसायिक कार्यों के नाम पर व्यापारियों से पत्थर खरीदकर पत्थर अयोध्या भेजा गया.

13.50 लाख घन फीट की जरूरत : मंदिर के भवन निर्माण में अब तक करीब 8 लाख घन फीट पत्थर लग चुका है. इससे प्रवेश द्वार से निकासी द्वार तक करीब 4 लाख घन फीट पत्थर और अन्य कार्यों समेत 8 लाख घन फीट पत्थर लग गया. अभी परिक्रमा, कॉरिडोर और अन्य कार्य के लिए भी कई लाख घन फीट पत्थर की जरूरत है. गिरधारी तिवारी ने बताया कि वर्ष 1990 से अब तक लगातार पत्थर भेजा जा रहा है. आगे भी जरूरत के अनुसार पत्थर भेजा जाता रहेगा.

राम मंदिर निर्माण में भरतपुर का बड़ा योगदान...

भरतपुर. पूरा देश रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों में जुटा है. देशवासियों को घर-घर जाकर चावल देकर निमंत्रण दिया जा रहा है. राम मंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भारतपुर वासियों में अनूठा उत्साह है. इसके पीछे की खास वजह यह है कि राम मंदिर का निर्माण जिस पत्थर से हो रहा है, वो पत्थर भरतपुर के बंशी पहाड़पुर से भेजा जा रहा है. इस पत्थर की मजबूती और सुंदरता की वजह से 34 साल पहले मंदिर निर्माण के लिए इसका चयन किया गया. इतना ही नहीं, मंदिर निर्माण में भरतपुर के और भी कई महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं.

भाजपा के प्रदेश मंत्री (हिंदू जागरण मंच के पूर्व विभाग संयोजक) गिरधारी तिवारी ने बताया कि वर्ष 1989 में राम मंदिर मुहिम जोर पकड़ रही थी. उस समय रामशिला पूजन कार्यक्रम में भरतपुर से श्री राम लिखी हुई ईंटें तैयार कर भेजी गईं. राम जन्मभूमि आंदोलन में एकदम से भरतपुर का महत्व बढ़ गया. कार सेवकों के दलों का उत्तर प्रदेश में प्रवेश भरतपुर के रास्ते से कराया गया. उसी दौरान वर्ष 1990 में राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर में उच्च गुणवत्ता वाले पत्थर की तलाश की जा रही थी. भरतपुर के बंशी पहाड़पुर के पत्थर की जांच के लिए आचार्य गिर्राज किशोर, अशोक सिंघल और राम मंदिर के आर्किटेक चंद्रकांत सोमपुरा भरतपुर आए. बंशी पहाड़पुर के पत्थर को मंदिर निर्माण के लिए चुना गया.

पढ़ें : 45 दिन तक जलती रहेगी 108 फीट लंबी अगरबत्ती, जानिए कितने किलोमीटर तक फैलेगी इसकी खुशबू

तिवारी ने बताया कि उस समय राम मंदिर गर्भगृह, शिक्षर, रंग मंडप आदि के निर्माण के लिए करीब 3.50 लाख घन फीट पत्थर की जरूरत बताई. उस समय बंशी पहाड़पुर के पत्थर के खनन और परिवहन में तमाम प्रशासनिक अड़चनें आईं. मंदिर निर्माण के लिए पत्थर देने से व्यापारी कतरा रहे थे. ऐसे में अन्य व्यवसायिक कार्यों के नाम पर व्यापारियों से पत्थर खरीदकर पत्थर अयोध्या भेजा गया.

13.50 लाख घन फीट की जरूरत : मंदिर के भवन निर्माण में अब तक करीब 8 लाख घन फीट पत्थर लग चुका है. इससे प्रवेश द्वार से निकासी द्वार तक करीब 4 लाख घन फीट पत्थर और अन्य कार्यों समेत 8 लाख घन फीट पत्थर लग गया. अभी परिक्रमा, कॉरिडोर और अन्य कार्य के लिए भी कई लाख घन फीट पत्थर की जरूरत है. गिरधारी तिवारी ने बताया कि वर्ष 1990 से अब तक लगातार पत्थर भेजा जा रहा है. आगे भी जरूरत के अनुसार पत्थर भेजा जाता रहेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.