नई दिल्ली: पीएम श्री स्कूल स्कीम (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) को लागू करने में हीलाहवाली हो रही है. ईटीवी भारत को सरकार के सूत्रों ने बताया कि अब तक केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) और नवोदय विद्यालय संगठन (NVS) सहित 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं और चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है. लेकिन आठ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इसमें बिहार, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल हैं.
PM SHRI एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत पांच साल की अवधि में 27,360 करोड़ रुपये की लागत से 14,500 स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए 7 सितंबर, 2020 को लॉन्च किया गया था.
सूत्रों ने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया था कि वे एनईपी 2020 को लागू करने के लिए प्रतिबद्धताओं को निर्धारित करते हुए डीओएसई एंड एल के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करें.
सूत्रों ने कहा कि '30 जनवरी, 2023 तक, केवीएस और एनवीएस सहित 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1,79,908 बेंचमार्क स्कूलों में से 1,65,381 स्कूलों ने पीएम श्री स्कूलों के लिए आवेदन किया है, जिसमें 1,00,384 स्कूलों को जिले और 5,932 स्कूलों द्वारा सत्यापित किया गया है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्तर पर सत्यापित किया गया है.'
NEP 2020 के विजन के अनुसार PM SHRI के तहत, लाभार्थियों को एक समान, समावेशी और आनंदमय स्कूल वातावरण में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जाएगी जो विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं और बच्चों की विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ध्यान रखती है और उन्हें अपनी स्वयं की सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाती है.
सूत्रों का कहना है कि '2023-24 के बजट अनुमान (बीई) के तहत पीएम श्री योजना के तहत 4000.00 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित स्कूलों में से मौजूदा स्कूलों को मजबूत करके 4,500 पीएम श्री स्कूलों की स्थापना का प्रावधान है.'
योजना की अवधि 2022-23 से 2026-27 तक प्रस्तावित है, जिसके बाद यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी होगी कि वे इन स्कूलों द्वारा हासिल किए गए बेंचमार्क को बनाए रखना जारी रखें. इस योजना से 20 लाख से अधिक छात्रों के योजना के प्रत्यक्ष लाभार्थी होने की उम्मीद है. परियोजना की कुल लागत पांच साल की अवधि में 27,360 करोड़ रुपये होगी, जिसमें 18,128 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है.
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