बक्सर में पंचकोशी परिक्रमा मेले का पहला पड़ाव अहिरौली में, मन्नत पूरी होने बाद मां के आंचल पर 'लौंडा डांस' की परंपरा
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बक्सर: विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक पंचकोशी परिक्रमा मेले का आज दूसरा दिन है. पंचकोशी यात्रा का पहला पड़ाव अहिरौली होता है, जहां पहले दिन दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचे और गंगा स्नान कर माता अहिल्या के मंदिर में पूजा अर्चना की. अहिरौली पहुंचे महिला श्रद्धालु माता अहिल्या के मंदिर में दीप जलाती है और सुख समृद्धि की कामना करती है. अहिरौली में स्थित यह माता अहिल्या का मंदिर बहुत प्राचीन है. मान्यता है कि यही गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बनी अहिल्या को भगवान श्रीराम के चरण स्पर्श से मुक्ति मिली थी. अहिरौली को हनुमानजी का ननिहाल भी माना जाता है, क्योंकि गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या, हनुमान जी की नानी थी. कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम बक्सर आए थे, तब पांच जगहों की परिक्रमा की थी. पंचकोशी परिक्रमा के दौरान वे अहिरौली में पकवान और स्वादिष्ट भोजन किए थे. इसलिए आज भी प्रसाद के रूप में पहले दिन अहिरौली में पुआ और पकवान बनता है और लोग उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. वहीं, अहिल्या धाम अहिरौली के संबंध में एक विशेष मान्यता है कि जिन दंपतियों को संतान की प्राप्ति नहीं होती है, वे यंहा संतान प्राप्ति की मन्नत मांगते हैं और फिर मन्नत पूरी होने के बाद यहां आंचल डांस की एक खास प्रथा है. जिसे स्थानीय भाषा में लौंडा नाच भी कहा जाता हैं. मन्नतें पूरी होने के बाद लोग अपनी संतान के साथ आते हैं, जहां बालक की मां अपनी आंचल जमीन पर फैला देती है और नाचनेवाले बच्चे को गोद में लेकर उसी आंचल पर नाचते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो अभी भी कायम है.
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