हिंदी दिवस: अपने पैतृक गांव में कविताओं के जरिए आज भी जिंदा हैं राष्ट्रकवि दिनकर
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'दिनकर' की कविताएं हिंदी के पाठकों के बीच खासी लोकप्रिय हैं और बहुत ही सहज रूप से पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. 'दिनकर' हिंदी के उन रचनाकारों में से हैं, जिनकी कलम से 'परशुराम की प्रतीक्षा' के रूप में अंगारे भी फूटे और 'उर्वशी' के रूप में प्रेम की धारा भी बही.