एक उम्र के बाद उठते बैठते या किसी अन्य तरह का कार्य करते समय कभी-कभी जोड़ों या हड्डियों से चटकने जैसी आवाज आना आम बात माना जाता है. हालांकि ज्यादातर मामलों में इसे किसी गंभीर समस्या या रोग की श्रेणी में नहीं रखा जाता है लेकिन इसे नजरअंदाज करना भी सही नहीं है. क्योंकि कई बार यह हड्डियों में कमजोरी, गठिया या किसी अन्य हड्डी संबंधी रोग या कमी का लक्षण हो सकता है.
नजरअंदाज ना करें चटकने की आवाज : कई बार कुछ लोगों के उठते बैठते समय या जोड़ों से संबंधित गतिविधि होने पर उनकी हड्डियों से चटखने या कट-कट जैसी आवाज आती है. इसे बढ़ती उम्र की आम समस्या माना जाता है. ज्यादातर मामलों में लोग इसे नजर अंदाज कर देते या ऐसा सोचकर कि ज्यादा उम्र में यह तो होना ही है, इसकी तरफ ज्यादा ध्यान नही देते हैं. हालांकि ऐसा करना बिल्कुल सही नही हैं क्योंकि कई बार यह किसी समस्या का लक्षण भी हो सकती हैं.
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वर्ष 2018 में नेचर पत्रिका (Nature journal) में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में क्रेपिटस नामक इस अवस्था का उल्लेख किया गया था. जिसमें बताया गया था कि जोड़ों की हड्डियों से चटकने की आवाज आने के लिए ज्यादातर मामलों में कार्टीलेज संबंधी समस्या जिम्मेदार होती है. इसके अलावा कई बार ज्यादा उम्र में गठिया तथा मांसपेशियों व हड्डियों में कमजोरी (bone weakness) के चलते भी हड्डियों से चटकने की आवाज आने लगती है. शोध में बताया गया था कि उम्र के बढ़ने के साथ जब जोड़ों के बीच के कुछ कार्टिलेज खराब होने लगते हैं तो जोड़ों की हड्डियों से उठने बैठने जैसी आम गतिविधियों में भी चटखने जैसी आवाज आने लगती हैं.
क्या है क्रेपिटस : सिंह क्लिनिक जयपुर राजस्थान की ऑर्थोपेडिक सलाहकार डॉ संगीता सिंह (Dr Sangeeta Singh) बताती हैं कि आमतौर पर क्रेपिटस को किसी गंभीर बीमारी की श्रेणी में नही रखा जाता है. यह एक आम अवस्था है जो कि ज्यादा उम्र के महिलाओं और पुरुषों में आमतौर पर नजर आ जाती है. लेकिन कुछ मामलों में इसके लिए ओस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) को जिम्मेदार माना जाता है जोकि अर्थराइटिस (arthritis) यानी गठिया का सबसे आम प्रकार है.
डॉ संगीता सिंह (Dr Sangeeta Singh, Orthopedic Consultant, Jaipur) बताती हैं कि जोड़ों की हड्डियां आपस में बिना टकराए आसानी से अपनी गतिविधि कर सकें, इसमें कार्टिलेज काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. दरअसल कार्टिलेज वे लचीले ऊतक होते है जो जोड़ों की हड्डियों के बीच एक कुशन का कार्य करते है. इसकी मदद से जोड़ों की अलग-अलग हड्डियां बिना आपस में टकराए आराम से हिलती डुलती रहती हैं. यह कॉलेजन या एलास्टिन से बनते हैं. दरअसल ओस्टियोआर्थराइटिस की समस्या होने पर कार्टिलेज में कमजोरी आने लगती है और वे कम होने लगते हैं. ऐसा होने पर हड्डियों में क्रेपिटस (Crepitus Condition) होने की आशंका बढ़ जाती है. लेकिन यहां यह जानना जरूरी है जोड़ों से आवाज आने का मतलब यह नही है कि निश्चित तौर पर व्यक्ति को गठिया है.
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इसके अलावा कई बार जोड़ों की हड्डियों के बीच एयर बबल्स जमा होने लगते हैं. ऐसी अवस्था में भी यह आवाज आ सकती है. वहीं कई बार हड्डियों व मांसपेशियों में कमजोरी होने पर या फिर हड्डी संबंधी कोई अन्य बीमारी होने पर (Bone disease) लक्षण के रूप में यह समस्या नजर आ सकती है. इस अवस्था में कई बार जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्या भी हो सकती है.
डॉ संगीता सिंह (Dr. Sangeeta Singh) बताती हैं कि यह समस्या कई बार युवाओं में भी नजर आ सकती है. जोड़ों में किसी प्रकार की चोट लगने और उसके कारण कार्टिलेज टूटने, लिगामेंट में चोट लगने, जोड़ों के डिस्लोकेट होने, शरीर में हड्डियों के लिए जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने, मोटापा तथा खराब पॉश्चर सहित कई अन्य कारणों से भी (cartilage problem, bone joints problem, bone crepitus condition) कम उम्र के लोगों में भी हड्डियों से आवाज आने की समस्या हो सकती है
कैसे करें बचाव और देखभाल : डॉ संगीता बताती हैं कि इस समस्या से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि खानपान पर विशेष ध्यान दिया जाए. जिससे शरीर को कैल्शियम, प्रोटीन, पोटेशियम, विटामिन सी, डी तथा ओमेगा 3 फैटी एसिड (calcium, protein, potassium, vitamin C, vitamin D, omega 3 fatty acids) सहित सभी पोषक तत्व जरूरी मात्रा में मिलते रहें. जिससे शरीर में कॉलेजन का निर्माण सही मात्रा में हो, हड्डियों में कमजोरी दूर हो तथा किसी रोग या समस्या के कारण कॉलेजन के क्षतिग्रस्त होने की आशंका कम हो.
डॉ संगीता बताती हैं कि बहुत जरूरी है कि सही आहार के साथ-साथ नियमित व्यायाम भी किया जाए. जिससे शरीर की मांसपेशियां तथा हड्डियां दोनों सक्रिय व स्वस्थ रहें . जरूरी नहीं है कि इसके लिए काफी जटिल या बहुत मेहनत वाले व्यायाम किए जाएं. नियमित रूप से सुबह-शाम वॉक करना, तेज गति से चलना, स्विमिंग तथा सामान्य स्ट्रेचिंग करने से भी शरीर को काफी फायदा मिल सकता है.
30 की आयु के बाद हो सचेत : डॉ संगीता बताती हैं कि 30 की आयु के बाद से ही महिलाओं और पुरुषों को अपने आहार तथा उनसे मिलने वाले पोषक तत्व को लेकर ज्यादा सचेत हो जाना चाहिए. उनके शरीर के लिए किस तरह का पोषक तत्व कितनी मात्रा में जरूरी है तथा क्या उनके खान-पान से उन्हें वह पोषक तत्व जरूरी मात्रा में मिल पा रहा है! इसे लेकर यदि व्यक्ति जागरूक है तो वह सिर्फ हड्डी संबंधी ही नहीं बल्कि कई अन्य तरह की समस्याओं से भी बचा रह सकता है.
वह बताती है कि सिर्फ बढ़ती उम्र में ही नही बल्कि हर उम्र में बहुत जरूरी है कि सही समय पर ताजा, पौष्टिक व संतुलित खाना खाया जाए और सही मात्रा में तथा सही समय पर नींद ली जाए. तमाम सावधानियों तथा देखभाल के बावजूद यदि जोड़ों से आवाज आने की आवृत्ती बढ़ने लगे या फिर उसके साथ हड्डियों में तीव्र दर्द तथा हाथ और पाँव के जोड़ों की मूवमेंट में समस्या होने लगे तो तत्काल किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी होता है.
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