पश्चिम चंपारण: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के पिपरासी प्रखंड स्थित कतकी गांव में छठ घाट नहीं था. इस वहज से गांव के व्रतियों को मजबूरी में दूसरे गांव के छठ घाटों पर अर्घ्य देने जाना पड़ता था. लेकिन उन महिलाओं का हौसला इतना बुलंद था कि सभी ने चंदा इकट्ठा कर गांव में ही जमीन में खरीद ली. उस जमीन पर अब छठ घाट बनेगा जहां व्रतियां व्रत करेंगी.
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इतना ही नहीं किसी तरह के सार्वजनिक स्थल नहीं होने के कारण सार्वजनिक काम करने में भी लोगों को काफी दिक्कतें होती थी. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए गांव की महिलाओं ने छठ घाट व अन्य कार्यों के लिए जमीन खरीदने का संकल्प लिया.
फिर उन्हें सूचना मिली कि गांव के पास ही यूपी के अशोक केडिया की जमीन बिक रही है. बस क्या था महिलाओं ने एक साथ आकर चंदा इकट्ठा करना शुरू कर दिया. प्रति परिवार एक हजार रुपये. इस तरह से जमा हुए रुपयों से महिलाओं ने अशोक केडिया के प्रतिनिधि विश्वबंधु वर्मा से 6 डिसमिल जमीन खरीद लिया.
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छठ महापर्व के प्रति आस्था को देखकर अशोक केडिया ने महिलाओं को अपनी तरफ से चार डिसमिल जमीन दान स्वरूप दे दिया. इसका विधिवत पंचनामा तत्कालीन सीओ फहीमुद्दीन अंसारी और थानाध्यक्ष संजय कुमार यादव के समक्ष किया गया. हालांकि जलजमाव होने की वजह से जमीन की मापी नहीं की जा सकी है.
ग्रामीणों ने छठ पर्व मनाने को लेकर खरीदी गई जमीन की सफाई शुरू कर दी है. महिलाओं के इस हौसले को देखते हुए निवर्तमान जिला पार्षद मनोज कुशवाहा, पूर्व जिला पार्षद चंद्रभान कुशवाहा सहित कई लोग पहुंचे जिन्होंने इस कदम को खूब सराहा.
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साथ ही आश्वासन दिया कि अब वे विधायक और सांसद से इस जमीन पर सामुदायिक भवन निर्मान की मांग करेंगे. इस महत्वपूर्ण काम में आशा देवी ,सुगंधी देवी, चंद्रावती देवी, विद्यावती देवी, संध्या देवी, गीता देवी, प्रभावती देवी, सुमंती देवी, ज्ञानती देवी, लीलावती देवी सहित अन्य महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
उन्होंने कहा कि ये हमें मजबूरी में करना पड़ा है. क्योंकि अब तक हमने कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों से इसे लेकर गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. महिलाओं ने कहा कि जमीन तो खरीद ली गई है लेकिन अब भी कई कार्य बाकी हैं. उन्हें अब छठ घाट बनवाकर सौंदर्यीकरण करने की उम्मीदें प्रशासन से है.