ETV Bharat / state

बगहा में जंगली जानवरों से फसलों को भारी नुकसान, मुआवजा नहीं मिलने से ग्रामीण नाराज

बगहा में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) के आसपास बसे आदिवासियों के फसलों को जंगली जंगली जानवर खा (Crop Damage From Wild Animals In Bagaha) जाते हैं. जिससे किसानों को हर साल भारी नुकसान होता है. ग्रामीण मुआवजा के लिए वन विभाग से गुहार लगाते हैं तो उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलता है. जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. पढ़ें पूरी खबर...

आदिवासियों के फसलों को चर जाते हैं जंगली जानवर
आदिवासियों के फसलों को चर जाते हैं जंगली जानवर
author img

By

Published : Sep 3, 2022, 4:56 PM IST

बगहा: बिहार के पश्चिम चंपारण के बगहा में जंगल किनारे बसे आदिवासियों के फसलों को जंगली जानवर खा (Wild Animals Graze On Crops In Bagaha) जाते हैं. जिससे किसानों में आक्रोश है. मिली जानकारी के अनुसार जंगल किनारे बसे आदिवासियों की फसलों को प्रतिवर्ष वन्य जीव नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन ग्रामीणों और आदिवासियों की शिकायतों के बावजूद भी किसानों को फसल क्षति का मुआवजा वन विभाग से नहीं मिल पाता है. विगत तीन वर्ष पूर्व के मुआवजे के लिए किसान अब भी इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मुआवजा अभी भी नहीं मिला है.

ये भी पढ़ें- औसत से चार गुणा ज्यादा बारिश से धान की फसल तबाह, किसानों ने की मुआवजे की मांग

बगहा में जानवरों से फसलों को हो रहा नुकसान : गौरतलब है कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल से सटे अधिकांश इलकों में वन्य जीव आदिवासियों के फसलों को प्रतिवर्ष नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन इसकी शिकायत किये जाने के बावजूद इन नुकसान हुए फसलों का मुआवजा नहीं मिल पाता है. वहीं वन विभाग इन्हें आश्वासन जरूर देता है और इसी आश्वासन का आदिवासी इंतजार करते रह जाते हैं. सन्तपुर सोहरिया के किसान केदार काजी ने कहा कि- 'जंगल से सटे निवास कर रहे ग्रामीण अपने खेतों में फसल लगाते हैं और दिन में जाकर बंदरों से रखवाली करते हैं लेकिन रात के समय नीलगाय, हिरण, जंगली सुअर और गैंडा जैसे जानवर आकर उनकी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. इसको लेकर तीन वर्ष पूर्व किये गए शिकायत और फसल क्षति का मुआवजा अब तक वन विभाग ने नहीं दिया है.'

जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान : किसान केदार काजी इतना ही नहीं उनका ये भी कहना है कि इस इलाके में प्रतिदिन गैंडा निकलते हैं और उनके फसलों की क्षति पहुंचाते हैं. किसानों का कहना है कि वन्य जीवों को मारना अपराध है. ऐसे में वे वन्य कानून का पालन करते हैं और प्रत्येक वर्ष उनकी फसलों की इतनी भारी क्षति होती है कि खाने के लिए बाजार से राशन के भरोसे रहना पड़ता है. अपना अनाज तो जानवर चर जाते हैं, जबकि वन विभाग मुआवजा देने का सिर्फ आश्वासन देता है और उसके आश्वासनों से कितनों का पेट भरेगा, जिन किसानों के पास कम खेती है, उनके लिए तो बड़ी परेशानी की बात है.

बगहा: बिहार के पश्चिम चंपारण के बगहा में जंगल किनारे बसे आदिवासियों के फसलों को जंगली जानवर खा (Wild Animals Graze On Crops In Bagaha) जाते हैं. जिससे किसानों में आक्रोश है. मिली जानकारी के अनुसार जंगल किनारे बसे आदिवासियों की फसलों को प्रतिवर्ष वन्य जीव नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन ग्रामीणों और आदिवासियों की शिकायतों के बावजूद भी किसानों को फसल क्षति का मुआवजा वन विभाग से नहीं मिल पाता है. विगत तीन वर्ष पूर्व के मुआवजे के लिए किसान अब भी इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मुआवजा अभी भी नहीं मिला है.

ये भी पढ़ें- औसत से चार गुणा ज्यादा बारिश से धान की फसल तबाह, किसानों ने की मुआवजे की मांग

बगहा में जानवरों से फसलों को हो रहा नुकसान : गौरतलब है कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल से सटे अधिकांश इलकों में वन्य जीव आदिवासियों के फसलों को प्रतिवर्ष नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन इसकी शिकायत किये जाने के बावजूद इन नुकसान हुए फसलों का मुआवजा नहीं मिल पाता है. वहीं वन विभाग इन्हें आश्वासन जरूर देता है और इसी आश्वासन का आदिवासी इंतजार करते रह जाते हैं. सन्तपुर सोहरिया के किसान केदार काजी ने कहा कि- 'जंगल से सटे निवास कर रहे ग्रामीण अपने खेतों में फसल लगाते हैं और दिन में जाकर बंदरों से रखवाली करते हैं लेकिन रात के समय नीलगाय, हिरण, जंगली सुअर और गैंडा जैसे जानवर आकर उनकी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. इसको लेकर तीन वर्ष पूर्व किये गए शिकायत और फसल क्षति का मुआवजा अब तक वन विभाग ने नहीं दिया है.'

जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान : किसान केदार काजी इतना ही नहीं उनका ये भी कहना है कि इस इलाके में प्रतिदिन गैंडा निकलते हैं और उनके फसलों की क्षति पहुंचाते हैं. किसानों का कहना है कि वन्य जीवों को मारना अपराध है. ऐसे में वे वन्य कानून का पालन करते हैं और प्रत्येक वर्ष उनकी फसलों की इतनी भारी क्षति होती है कि खाने के लिए बाजार से राशन के भरोसे रहना पड़ता है. अपना अनाज तो जानवर चर जाते हैं, जबकि वन विभाग मुआवजा देने का सिर्फ आश्वासन देता है और उसके आश्वासनों से कितनों का पेट भरेगा, जिन किसानों के पास कम खेती है, उनके लिए तो बड़ी परेशानी की बात है.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.