बेतिया: पश्चिमी चंपारण के मर्चा धान को बड़ी पहचान मिली है. मर्चा धान को जीआई टैग प्रमाण पत्र मिला है. मर्चा धान की खेती विकसित करने के लिए जिला स्तर पर योजनाएं बनी है, जिसकी जानकारी खुद पश्चिमी चंपारण जिले के डीएम दिनेश कुमार राय ने दी.
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पश्चिम चंपारण के मर्चा धान को जीआई टैग: मर्चा धान को बिहार में छठे उत्पादन के रूप में जीआई टैग मिल गया है. बिहार के पश्चिमी चंपारण के कई इलाकों में विशेष प्रजाति के मर्चा धान की खेती होती है, जिसमें सुगंध और स्वाद पाया जाता है. जिसको लेकर बिहार ही नहीं देशभर में प्रसिद्धि मिली है. जिला प्रशासन की ओर से किसानों के एक समूह के द्वारा लंबे समय से जी टैग के लिए प्रयास किया जा रहा था. पश्चिम चम्पारण के डीएम दिनेश राय ने किसानों को जीआई टैग का प्रमाण पत्र वितरित कर बधाई दी है. डीएम ने कहा है कि किसानों को बेहतर प्रबंधन और मार्केटिंग के लिए सहयोग किया जाएगा.
"पश्चिन चंपारण के लिए आज का दिन सौभाग्यशाली है. आज के लिए आज गौरवशाली इतिहास बना है. प्रशासन की ओर से सहयोग किया जाएगा. पश्चिम चंपारण के किसानों ने अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत सफलता पाई है. राज्य ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने में मर्चा धान पहुंचेगी."- दिनेश कुमार राय, डीएम, पश्चिम चम्पारण
वहीं मर्चा धान को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने से मर्चा धान के उत्पादकों में खुशी है. मर्चा धान उत्पादक आनन्द सिंह ने बताया कि "जीआई टैग मिलने से किसानों में खुशी है. अब इसका उत्पादन ज्यादा होगा. इसकी पहचान पूरी दुनिया में होगी, जिससे इसका उत्पादन भी बढ़ेगा और किसने की आय दुगनी भी होगी."
बिहार में जीआई टैग वाले कृषि उत्पादों की संख्या 6: मर्चा धान को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिल गया गया है. इसके साथ ही राज्य के जीआई टैग वाले कृषि उत्पादों की संख्या छह हो गई है. इससे पहले स सूची में भागलपुरी जर्दालू आम, मगही पान, कतरनी चावल, मिथिला मखाना और शाही लीची शामिल हैं. इन फसलों के स्वाद और गुणवत्ता को देखते हुए जीआई टैग में सभी को शामिल किया गया है.