प. चंपारण (वाल्मीकिनगर): गंडक बैराज से इस वर्ष का सर्वाधिक 3 लाख 40 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद तराई क्षेत्र में बाढ़ का खतरा और भी गहरा गया है. भयभीत लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया है. सबसे अधिक समस्या पशुपालकों को हो रही है. जो दियारा क्षेत्र से पशुओं को रखने के लिए इधर-उधर उच्च स्थान ढूंढने के लिए भटक रहे हैं.
पलायन कर रहे लोग
गंडक नदी के लगातार बढ़ रहे जलस्तर से तराई क्षेत्र के भयभीत ग्रामीणों ने अपने घरों को छोड़ कर पलायन करना शुरू कर दिया है. इस दौरान सबसे अधिक समस्या पशुपालकों को हुई है. इसका कारण यह है कि दियारा क्षेत्र में खुला चारागाह होने के कारण अधिक पशुपालक दियारा में रहते हैं.
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बिजली आपूर्ति भी बाधित
गंडक नदी की दो धाराओं के मध्य में बसे गांव में बिजली आपूर्ति के लिए लगाए गए सोलर प्लांट में पानी घुस जाने के कारण बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई है. इससे लोगों की समस्या और बढ़ गई है. वाल्मीकिनगर के एसएसबी कैम्प से लेकर जंगल क्षेत्र में बसे दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. वहीं गंडक पार के पिपरा-पिपरासी तटबंध के किनारे बसे गांव के लोगों में भय व्याप्त है.
गांव के लोगों में भय
जानकारों की मानें तो तराई और जंगल क्षेत्र में बाढ़ का पानी भरने के कारण जंगल क्षेत्र से जंगली जानवरों का पलायन रिहायसी क्षेत्र में होने की संभावना बढ़ गई है. इसको लेकर भी ग्रामीणों में भय का माहौल है. समाजसेवी कृष्णमुरारी तिवारी, वीरेंद्र तिवारी, मनोज यादव, दिनेश पांडेय आदि लोगों की माने तो लोगों को इससे भी सतर्कता बरतनी चाहिए.