बेतियाः बिहार के पश्चिमी चंपारण के योगापट्टी में प्रशांत किशोर अपनी जन सुराज यात्रा पर हैं. यहां एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि, मैं चंपारण में 11 नवंबर को यात्रा खत्म करूंगा और बेतिया में 12 को एक अधिवेशन है. जन सुराज से जुड़कर नई व्यवस्था को बनाने में जो लोग शामिल होना चाहते हैं, उनकी बैठक बेतिया में 12 नवंबर को होगी. उस बैठक में सार्वजनिक रूप से वोटिंग होगी (Voting will be held to form party of Jan Suraj) और उन सभी लोगों से पूछा जाएगा कि दल बनाया जाना चाहिए या नहीं. अगर दल बनाया जाना चाहिए तो कैसे बनाया जाना चाहिए, क्यों बनाया जाना चाहिए, दल कैसे चलेगा. इन सब बिंदुओं पर पूरे दिन खुले में चर्चा होगी. इन सब मुद्दों पर सार्वजनिक तौर पर वोट भी होगा और उसका परिणाम भी देखने को मिलेगा.
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जन सुराज यात्रा को अभियान बतायाः जन सुराज यात्रा एक अभियान है. इसके तहत हर पंचायत में जाकर हम लोग जाकर देख रहे हैं कि कहां क्या समस्याएं हैं. कहां क्या लोगों को जरूरत है. क्या होना चाहिए. इसका एक खाका खींचा जा सके. क्योंकि जब यात्रा खत्म हो तो यह तय हो सके कि किस पंचायत में कौन सी योजना लागू होनी चाहिए. किस पंचायत में कौन सी विकास की योजना होनी चाहिए. साथ ही सभी पंचायतों में अलग-अलग समस्याओं का समाधान हो सके.
सूबे में ध्वस्त हो चुकी है शिक्षा व्यवस्थाः बिहार में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. यह नीतीश कुमार के शासन का काला अध्याय है. चंपारण में शायद ही कोई ऐसा स्कूल मिला जहां सारी सुविधाएं मिले. कहीं भवन है तो बच्चे नहीं. कहीं बच्चे हैं तो शिक्षक नहीं. कहीं बच्चे और शिक्षक हैं तो भवन नहीं. स्कूल खिचड़ी बांटने वाले सेंटर और काॅलेज डिग्री बांटने वाले सेंटर के रूप में मिले. हर गांव में लोहे का स्टैंड दिख रहा है. टूटी फूटी टंकी दिख रही है. लेकिन पानी कहीं नहीं मिल रहा है. दूसरी योजना स्वच्छ भारत योजना है. इसके तहत चंपारण को ओडीएफ घोषित किया गया है. यहां रास्ते पर चलते हुए गंदगी हर तरफ दिखती है. खुले में शौच बंद नहीं हुई है. शौचालय बनाने को लेकर भारी धांधली हुई है. गरीबों की हालत बहुत ही दयनीय है. लोगों को झोपड़ी में, जमीन पर सोने को मजबूर होना पड़ रहा है.
"मैं चंपारण में 11 नवंबर को यात्रा खत्म करूंगा और बेतिया में 12 को एक अधिवेशन है. जन सुराज से जुड़कर नई व्यवस्था को बनाने में जो लोग शामिल होना चाहते हैं, उनकी बैठक बेतिया में 12 नवंबर को होगी. उस बैठक में सार्वजनिक रूप से वोटिंग होगी और उन सभी लोगों से पूछा जाएगा कि दल बनाया जाना चाहिए या नहीं. अगर दल बनाया जाना चाहिए तो कैसे बनाया जाना चाहिए, क्यों बनाया जाना चाहिए, दल कैसे चलेगा. इन सब बिंदूओं पर पूरे दिन खुले में चर्चा होगी. इन सब मुद्दों पर सार्वजनिक तौर पर वोट भी होगा और उसका परिणाम भी देखने को मिलेगा" - प्रशांत किशोर, संयोजक जन सुराज यात्रा
3500 किलोमीटर की है पदयात्रा: बता दें कि सम्पूर्ण बिहार के लिए प्रशांत किशोर की पद यात्रा 3500 किलोमीटर की है. इसकी शुरूआत चंपारण से हुई है. यह पदयात्रा 12 से 15 महीने तक चलेगी. प्रशांत किशोर का नारा है अपने लिए और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य और नए बिहार के निर्माण के लिए पदयात्रा में शामिल हों. प्रशांत किशोर ने जन सुराज की शुरुआत विश्व की पहली गणतंत्र वैशाली से ही की थी. वैशाली में ही उन्होंने अपनी पहली कमेटी भी बनाई थी. शायद यही कारण है कि वैशाली की धरती पर उनका किसी बड़े राजनेता की तरह भव्य स्वागत किया गया है.
पदयात्रा का 3 मूल उद्देश्य : समाज की मदद से जमीनी स्तर पर सही लोगों को चिन्हित करना और उनको एक लोकतांत्रिक मंच पर लाने का प्रयास करना. स्थानीय समस्याओं और संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझना और उसके आधार पर नगरों एवं पंचायतों की प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध कर व उनके विकास का ब्लूप्रिंट बनाना. बिहार के समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक विकास, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों और लोगों के सुझावों के आधार पर अगले 15 साल का एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करना.
छह राज्यों के मुख्यमंत्री यात्रा में कर रहे मददः 2 अक्टूबर से महात्मा गांधी की कर्मभूमि से शुरू कर अभी तक सैकड़ों गांवों में पदयात्रा कर चुके प्रशांत किशोर ने पदयात्रा के दौरान हो रहे खर्चों के बाबत जिक्र करते हुए छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा फंडिंग की बाबत मदद की बात कही और बातों ही बातों में इशारा कर दिया कि इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मदद से आनेवाले समय मे बिहार में तख्ता पलट करेंगे और एक सशक्त सरकार देंगे