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बगहा: दशकों से पड़ी जर्जर सड़क से ग्रामीण परेशान, 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का छेड़ा आंदोलन - shabby roads

बगहा अनुमंडल के दो प्रखण्ड के बलुआ छत्रौल गांव में जर्जर सड़क को लेकर ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. दशकों से जर्जर पड़े सड़क से परेशान लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ विरोध जताया है.

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Published : Aug 16, 2020, 3:46 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 5:51 PM IST

बेतिया(बगहा): जिले के बगहा अनुमंडल के दो प्रखण्ड के बलुआ छत्रौल गांव में जर्जर सड़क को लेकर ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. दशकों से जर्जर पड़ी सड़क से परेशान लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ विरोध जताया है. साथ ही आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है.

रोड नहीं तो वोट नहीं
बलुआ छत्रौल गांव पूर्व से ही काफी पिछड़ा माना जाता है. अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल इस इलाके के लोग अब भी विकास से काफी पीछे हैं. गांव में भी सड़क नहीं है. जिस कारण कीचड़मय रास्ते से ही आवागमन करना पड़ता है. यहां तक कि बरसात में यह गांव चारों तरफ से पानी में घिर जाता है और टापू में तब्दील हो जाता है. ग्रामीण मुखिया से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों सहित सांसद और विधायक तक गुहार लगा चुके हैं. परेशान होकर ग्रामीण रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ आंदोलन पर उतारू हैं.

जर्जर सड़क
जर्जर सड़क

जर्जर सड़क को लेकर विरोध
कोटहिया गांव से होकर थरुहट की राजधानी हरनाटांड़ और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली यह सड़क वर्षों से जर्जर है. दरअसल इस पर कभी पक्की सड़क का निर्माण हुआ ही नही है. दशकों पहले से कच्ची पगडंडी ही लोगों के आवागमन का साधन है. ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद से आज तक उन्हें सड़क नसीब नहीं हुआ.

देखें रिपोर्ट

गांव को यूपी से जोड़ती है सड़क
ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में यह उत्तरप्रदेश से हरनाटांड़ आने जाने का मुख्य पथ था. लेकिन अब इस रास्ते से कोई जाना नही चाहता है. ऐसे में इस सड़क को लेकर आंदोलन जारी रहेगा.

बेतिया(बगहा): जिले के बगहा अनुमंडल के दो प्रखण्ड के बलुआ छत्रौल गांव में जर्जर सड़क को लेकर ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. दशकों से जर्जर पड़ी सड़क से परेशान लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ विरोध जताया है. साथ ही आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है.

रोड नहीं तो वोट नहीं
बलुआ छत्रौल गांव पूर्व से ही काफी पिछड़ा माना जाता है. अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल इस इलाके के लोग अब भी विकास से काफी पीछे हैं. गांव में भी सड़क नहीं है. जिस कारण कीचड़मय रास्ते से ही आवागमन करना पड़ता है. यहां तक कि बरसात में यह गांव चारों तरफ से पानी में घिर जाता है और टापू में तब्दील हो जाता है. ग्रामीण मुखिया से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों सहित सांसद और विधायक तक गुहार लगा चुके हैं. परेशान होकर ग्रामीण रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ आंदोलन पर उतारू हैं.

जर्जर सड़क
जर्जर सड़क

जर्जर सड़क को लेकर विरोध
कोटहिया गांव से होकर थरुहट की राजधानी हरनाटांड़ और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली यह सड़क वर्षों से जर्जर है. दरअसल इस पर कभी पक्की सड़क का निर्माण हुआ ही नही है. दशकों पहले से कच्ची पगडंडी ही लोगों के आवागमन का साधन है. ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद से आज तक उन्हें सड़क नसीब नहीं हुआ.

देखें रिपोर्ट

गांव को यूपी से जोड़ती है सड़क
ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में यह उत्तरप्रदेश से हरनाटांड़ आने जाने का मुख्य पथ था. लेकिन अब इस रास्ते से कोई जाना नही चाहता है. ऐसे में इस सड़क को लेकर आंदोलन जारी रहेगा.

Last Updated : Aug 19, 2020, 5:51 PM IST
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