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बेतिया: अवरैया गांव को नगर निगम में शामिल करने पर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

बेतिया में गांव को नगर निगम में शामिल करने पर ग्रामीणों ने जमकर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों का कहना है कि नगर निगम में गांव आने से खेती योग्य भूमि के राजस्व में काफी वृद्धि हो जाएगी.

Villagers protest in bettiah
Villagers protest in bettiah
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Published : Jan 5, 2021, 4:55 PM IST

बेतिया: चनपटिया प्रखण्ड के अवरैया पंचायत में ग्रामीणों ने नगर निगम में उनके गांव के चयन होने पर पंचायत के मुखिया रंजन वर्मा के दरवाजे पर जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीणों ने अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी भी की.

भूमि राजस्व में होगी वृद्धि
ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी बिना सोचे-समझे ही गांव को नगर निगम में जोड़ रहे हैं. जबकि, इस पंचायत के तमाम गांव में पूरी तरह लघु, सीमांत किसान, खेतिहर मजदूर और दिहाड़ी करने वाले मजदूर रहते हैं. वहीं इन गांव में 90 प्रतिशत जमीन कृषि योग्य है. नगर निगम में गांव आने से खेती योग्य भूमि के राजस्व में काफी वृद्धि हो जाएगी. किसानों को खेती करने के लिए बिजली बिल भी ज्यादा देना पड़ेगा.

मजदूरों पर पड़ेगा अतिरिक्त आर्थिक बोझ
मजदूरी करने वाले लोगों को घर बनाने के लिए नगर निगम के नियम से बनाना होगा. जो किसान मजदूरों के ऊपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. इतना ही नहीं ग्रामीणों ने कहा कि हम विकास के साथ हैं. लेकिन पहले नगर पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम का विकास जरूरी है. नगर निगम को पहले शहरी क्षेत्र का विकास करना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम प्रधान और जिला पंचायत विकास करने के लिए काफी हैं.

ये भी पढ़ें:बोले हरियाणा के मंत्री- केंद्र बात करने को तैयार, नये कृषि बिल से किसानों का होगा कल्याण

प्रस्ताव निरस्त करने की मांग
सरकार को नगर निगम का प्रस्ताव निरस्त कर देना चाहिए. क्योंकि प्रशासन को कोई भी फैसला जिला पंचायत और सभी ग्रामवासियों से राय लेकर करना चाहिए. यहां खेती योग्य भूमि, सीमांत, लघु और बड़े किसान हैं, जो बिल्कुल खेती पर ही आधारित हैं. इसलिए इस पंचायत को नगर निगम से वंचित किया जाए. बिना ग्रामीणों की राय के इन गांव को नगर निगम में शामिल करना गैर संवैधानिक है. ग्रामीणों ने स्पष्ट स्वर में कहा कि यदि अधिकारी इस पंचायत को नगर निगम से निरस्त नहीं करेंगे, तो हम सभी ग्रामीण न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे.

बेतिया: चनपटिया प्रखण्ड के अवरैया पंचायत में ग्रामीणों ने नगर निगम में उनके गांव के चयन होने पर पंचायत के मुखिया रंजन वर्मा के दरवाजे पर जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीणों ने अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी भी की.

भूमि राजस्व में होगी वृद्धि
ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी बिना सोचे-समझे ही गांव को नगर निगम में जोड़ रहे हैं. जबकि, इस पंचायत के तमाम गांव में पूरी तरह लघु, सीमांत किसान, खेतिहर मजदूर और दिहाड़ी करने वाले मजदूर रहते हैं. वहीं इन गांव में 90 प्रतिशत जमीन कृषि योग्य है. नगर निगम में गांव आने से खेती योग्य भूमि के राजस्व में काफी वृद्धि हो जाएगी. किसानों को खेती करने के लिए बिजली बिल भी ज्यादा देना पड़ेगा.

मजदूरों पर पड़ेगा अतिरिक्त आर्थिक बोझ
मजदूरी करने वाले लोगों को घर बनाने के लिए नगर निगम के नियम से बनाना होगा. जो किसान मजदूरों के ऊपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. इतना ही नहीं ग्रामीणों ने कहा कि हम विकास के साथ हैं. लेकिन पहले नगर पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम का विकास जरूरी है. नगर निगम को पहले शहरी क्षेत्र का विकास करना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम प्रधान और जिला पंचायत विकास करने के लिए काफी हैं.

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प्रस्ताव निरस्त करने की मांग
सरकार को नगर निगम का प्रस्ताव निरस्त कर देना चाहिए. क्योंकि प्रशासन को कोई भी फैसला जिला पंचायत और सभी ग्रामवासियों से राय लेकर करना चाहिए. यहां खेती योग्य भूमि, सीमांत, लघु और बड़े किसान हैं, जो बिल्कुल खेती पर ही आधारित हैं. इसलिए इस पंचायत को नगर निगम से वंचित किया जाए. बिना ग्रामीणों की राय के इन गांव को नगर निगम में शामिल करना गैर संवैधानिक है. ग्रामीणों ने स्पष्ट स्वर में कहा कि यदि अधिकारी इस पंचायत को नगर निगम से निरस्त नहीं करेंगे, तो हम सभी ग्रामीण न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे.

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