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बेतिया: प्रशासन की अनदेखी के बाद ग्रामीणों ने चंदा कर बनाया बांस का पुल

ग्रामीणों ने बताया कि पक्का पुल निर्माण को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने हमारी परेशानियों पर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद हम लोगों ने आपस में पैसे जमाकर नदी पर बांस का पुल बनाया.

बेतिया
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Published : Jul 19, 2020, 5:42 PM IST

बेतिया: गौनाहा प्रखंड के महुई पंचायत के ग्रामीणों ने आपस में पैसे जमाकर गयचाहा नदी पर बांस का पुल बनाया. इस दौरान स्थानीय लोगों ने कहा कि हमलोग तीन साल से जिला प्रशासन से पक्का पुल निर्माण को लेकर गुहार लगा रहे थे. लेकिन किसी ने हमारी सुध नहीं ली.

'दो नदियों से घिरा हुआ है गांव'
स्थानीय लोगों ने बताया कि महुई पंचायत के अंतर्गत धूमली परसा गांव दो नदियों से घिरा हुआ है. 3 साल पहले गयचहा नदी पर बना पुल टूट गया था. पुल के अभाव में लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती थी.

टूटा हुआ पक्का पुल
टूटा हुआ पक्का पुल

ग्रामीण नंदकिशोर महतो ने बताया कि पक्का पुल निर्माण को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने हमारी परेशानियों पर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद हमलोगों ने आपस में पैसे जमा कर नदी पर बांस का पुल बनाया.

बांस पुल को बनाते हुए ग्रामीण
बांस पुल को बनाते हुए ग्रामीण

'सिस्टम को दिखाया आईना'
वहीं, एक अन्य ग्रामीण राजन साह ने कहा कि पश्चिम चंपारण गांधी की कर्मभूमि के नाम से जाना जाता है. इसी प्रखंड में भितिहारवा आश्रम भी हैं. भितिहारवा आश्रम से ही गांधी जी ने पूरे विश्व को सत्याग्रह का पाठ पढ़ाया था. आज यहां के लोगों ने एक बार फिर से सिस्टम को आईना दिखाया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

2017 में आई बाढ़ से टूटा था पुल
गौरतलब है कि 2011 में गयचाहा नदी पर विधायक कोटा से पुल का निर्माण किया गया था. 12 अगस्त 2017 को आई बाढ़ के कारण पुल टूट गया था. जिसके बाद से लोगों को परेशानियों का सामना करना पर रहा था.

बेतिया: गौनाहा प्रखंड के महुई पंचायत के ग्रामीणों ने आपस में पैसे जमाकर गयचाहा नदी पर बांस का पुल बनाया. इस दौरान स्थानीय लोगों ने कहा कि हमलोग तीन साल से जिला प्रशासन से पक्का पुल निर्माण को लेकर गुहार लगा रहे थे. लेकिन किसी ने हमारी सुध नहीं ली.

'दो नदियों से घिरा हुआ है गांव'
स्थानीय लोगों ने बताया कि महुई पंचायत के अंतर्गत धूमली परसा गांव दो नदियों से घिरा हुआ है. 3 साल पहले गयचहा नदी पर बना पुल टूट गया था. पुल के अभाव में लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती थी.

टूटा हुआ पक्का पुल
टूटा हुआ पक्का पुल

ग्रामीण नंदकिशोर महतो ने बताया कि पक्का पुल निर्माण को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने हमारी परेशानियों पर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद हमलोगों ने आपस में पैसे जमा कर नदी पर बांस का पुल बनाया.

बांस पुल को बनाते हुए ग्रामीण
बांस पुल को बनाते हुए ग्रामीण

'सिस्टम को दिखाया आईना'
वहीं, एक अन्य ग्रामीण राजन साह ने कहा कि पश्चिम चंपारण गांधी की कर्मभूमि के नाम से जाना जाता है. इसी प्रखंड में भितिहारवा आश्रम भी हैं. भितिहारवा आश्रम से ही गांधी जी ने पूरे विश्व को सत्याग्रह का पाठ पढ़ाया था. आज यहां के लोगों ने एक बार फिर से सिस्टम को आईना दिखाया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

2017 में आई बाढ़ से टूटा था पुल
गौरतलब है कि 2011 में गयचाहा नदी पर विधायक कोटा से पुल का निर्माण किया गया था. 12 अगस्त 2017 को आई बाढ़ के कारण पुल टूट गया था. जिसके बाद से लोगों को परेशानियों का सामना करना पर रहा था.

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