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बेतिया का कोहड़ा हरिजन टोली बना टापू, प्रशासन से मदद की उम्मीद में बैठे हैं ग्रामीण - Flood in Majholia block area

बेतिया में बाढ़ के कारण लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. मझौलिया प्रखंड क्षेत्र के कोहड़ा हरिजन टोली बाढ़ के कारण टोपू में तब्दिल हो गया है. लोगों चारों और से पानी से घिरे हुए हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

कोहड़ा हरिजन टोला
कोहड़ा हरिजन टोला
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Published : Jul 14, 2021, 4:59 AM IST

Updated : Jul 14, 2021, 6:09 AM IST

पश्चिम चंपारण(बेतिया): जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण कई प्रखंड बाढ़ की चपेट में है. सिकटा, गौनाहा, चनपटिया, लौरिया, मैनाटांड़ प्रखंड के कई गांव टापू बने हुए हैं. बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा तबाही मझौलिया प्रखंड में हुई है. प्रखंड के कई पंचायतों में बाढ़ का पानी घुसने से कई गांव टापू बन चुका है.

ये भी पढ़ें:Bettiah Ground Report: थाने में घुसा बाढ़ का पानी, छत पर शरण लिए हुए हैं पुलिसकर्मी

डुमरी पंचायत के कोहड़ा हरिजन टोली चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ हैं. गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं है. सड़कें पूरी तरह से डूब चूकी है. कोहड़ा हरिजन टोली का लगभग सैकड़ों परिवार चारों तरफ से पानी में घिरा हुआ है लेकिन ना ही उनके पास कोई राहत पहुंचा हैं और ना ही कोई सरकारी नाव. जिस वजह से यहां के बाढ़ पीड़ित दाने दाने के लिए मोहताज हो रहे हैं.

गौरतलब है कि मझौलिया प्रखंड के डुमरी पंचायत के कई गांव हर साल बाढ़ की तबाही झेलता है लेकिन आजतक इसका कोई स्थाई निदान नहीं हो पाया है. हर साल पूरा गांव टापू बन जाता हैं. स्थानीय लोगों में नाराजगी है की बाढ़ के वक्त कोई उनकी सुध तक लेने नहीं आता. नाव तक की व्यवस्था नहीं हैं कि गांव से बाहर कोई सामान खरीदने निकल सके.

देखें ये वीडियो

ग्रामीण मुखिया, वार्ड सदस्य, विधायक और सांसद को कोस रहें हैं. उनका कहना है कि हमारी याद सिर्फ चुनाव के वक्त ही आती है. हर साल हम बाढ़ में तबाह होते हैं. उसके बावजूद गांव से निकलने वाली सड़कों को ऊंचा नहीं किया जा रहा है और न ही कोई दूसरा उपाय निकाला जा रहा है. जिस कारण गांव हर साल टापू बन जाता है और लोग गांव में ही फंसे रहते हैं.

ये भी पढ़ें:बेतिया से ग्राउंड रिपोर्ट: सड़क पर बह रहा है 4 फीट पानी, जान जोखिम में डालकर पार कर रहे हैं लोग

लोगों का कहना है कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. उनके खाने के लिए कुछ नहीं बचा है. बड़े थोड़ा भूख सहन भी कर लें लेकिन बच्चों का क्या करें. किसी की तबीयत खराब हो जाए तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए गांव में एक भी नाव नहीं है. ताकि नाव के सहारे बीमार को बाहर ले जाया जा सके. जिसको लेकर ग्रामीणों में नाराजगी साफ देखी जा सकती है.

बता दें कि जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण कई गांव टापू बने हुए हैं. ईटीवी भारत लगातार उन गावों में पहुंच रहीं जो गांव टापू बने हुए हैं. ईटीवी भारत उन लोगों की आवाज बन रही है. जिस गांव में जिला प्रशासन और सरकार की नजर नहीं पहुंच पा रही है.

बाढ़ वाले क्षेत्र में जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है साथ ही टापू बने गांवों में एक सरकारी नाव की व्यवस्था की भी आवश्यकता है. ताकि लोग सुचारु रुप से गांव से बाहर निकल सके और उन तक सरकारी राशन पहुंचाया जा सके. ताकि उन्हें दो वक्त की रोटी मिल सके.

ये भी पढ़ें:बेतिया ग्राउंड रिपोर्ट: बाढ़ से बेहाल गन्ना किसान, खेतों में घुसा पानी

गौरतलब है कि नेपाल से पश्चिम चंपारण आने वाली नदियां उफनाई हुईं हैं. इसके चलते जिले का बड़ा इलाका बाढ़ प्रभावित है. गंडक, पंडई और मशान नदी का पानी गांवों में फैल रहा है. बाढ़ के कारण डुमरी पंचायत के कोहड़ा हरिजन टोली टापू बन गया है.

पश्चिम चंपारण(बेतिया): जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण कई प्रखंड बाढ़ की चपेट में है. सिकटा, गौनाहा, चनपटिया, लौरिया, मैनाटांड़ प्रखंड के कई गांव टापू बने हुए हैं. बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा तबाही मझौलिया प्रखंड में हुई है. प्रखंड के कई पंचायतों में बाढ़ का पानी घुसने से कई गांव टापू बन चुका है.

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डुमरी पंचायत के कोहड़ा हरिजन टोली चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ हैं. गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं है. सड़कें पूरी तरह से डूब चूकी है. कोहड़ा हरिजन टोली का लगभग सैकड़ों परिवार चारों तरफ से पानी में घिरा हुआ है लेकिन ना ही उनके पास कोई राहत पहुंचा हैं और ना ही कोई सरकारी नाव. जिस वजह से यहां के बाढ़ पीड़ित दाने दाने के लिए मोहताज हो रहे हैं.

गौरतलब है कि मझौलिया प्रखंड के डुमरी पंचायत के कई गांव हर साल बाढ़ की तबाही झेलता है लेकिन आजतक इसका कोई स्थाई निदान नहीं हो पाया है. हर साल पूरा गांव टापू बन जाता हैं. स्थानीय लोगों में नाराजगी है की बाढ़ के वक्त कोई उनकी सुध तक लेने नहीं आता. नाव तक की व्यवस्था नहीं हैं कि गांव से बाहर कोई सामान खरीदने निकल सके.

देखें ये वीडियो

ग्रामीण मुखिया, वार्ड सदस्य, विधायक और सांसद को कोस रहें हैं. उनका कहना है कि हमारी याद सिर्फ चुनाव के वक्त ही आती है. हर साल हम बाढ़ में तबाह होते हैं. उसके बावजूद गांव से निकलने वाली सड़कों को ऊंचा नहीं किया जा रहा है और न ही कोई दूसरा उपाय निकाला जा रहा है. जिस कारण गांव हर साल टापू बन जाता है और लोग गांव में ही फंसे रहते हैं.

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लोगों का कहना है कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. उनके खाने के लिए कुछ नहीं बचा है. बड़े थोड़ा भूख सहन भी कर लें लेकिन बच्चों का क्या करें. किसी की तबीयत खराब हो जाए तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए गांव में एक भी नाव नहीं है. ताकि नाव के सहारे बीमार को बाहर ले जाया जा सके. जिसको लेकर ग्रामीणों में नाराजगी साफ देखी जा सकती है.

बता दें कि जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण कई गांव टापू बने हुए हैं. ईटीवी भारत लगातार उन गावों में पहुंच रहीं जो गांव टापू बने हुए हैं. ईटीवी भारत उन लोगों की आवाज बन रही है. जिस गांव में जिला प्रशासन और सरकार की नजर नहीं पहुंच पा रही है.

बाढ़ वाले क्षेत्र में जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है साथ ही टापू बने गांवों में एक सरकारी नाव की व्यवस्था की भी आवश्यकता है. ताकि लोग सुचारु रुप से गांव से बाहर निकल सके और उन तक सरकारी राशन पहुंचाया जा सके. ताकि उन्हें दो वक्त की रोटी मिल सके.

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गौरतलब है कि नेपाल से पश्चिम चंपारण आने वाली नदियां उफनाई हुईं हैं. इसके चलते जिले का बड़ा इलाका बाढ़ प्रभावित है. गंडक, पंडई और मशान नदी का पानी गांवों में फैल रहा है. बाढ़ के कारण डुमरी पंचायत के कोहड़ा हरिजन टोली टापू बन गया है.

Last Updated : Jul 14, 2021, 6:09 AM IST
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