पटना : 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. आम बजट में ही अब रेल बजट भी पेश किया जाता है. 2025-26 के बजट से बिहार के लोगों को बहुत उम्मीद है. बिहार की रेल की लंबित परियोजना को लेकर 1 फरवरी 2025 के बजट से लोगों की उम्मीदें हैं.
2024-25 में बिहार को मिली राशि : पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने 2024-25 का अंतरिम बजट पेश किया था. चुनाव के बाद भी केंद्र सरकार ने बजट पेश किया, जिसमें बिहार के लिए रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 1132 करोड़ रुपए का राशि आवंटित किया गया. बजट में बिहार में अमृत भारत स्टेशन योजना(ABSS) के तहत 93 रेलवे स्टेशनों का चयन किया गया.
बुनियादी सुविधाओं पर जोर : पिछले बजट में बिहार में रेलवे स्टेशनों के विकास के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 92 रेलवे स्टेशन का चयन किया गया. रेलवे ने नई लाइनें ट्रैक के दोहरीकारण और गेज परिवर्तन को फोकस करते हुए 79,356 करोड़ रुपए से अधिक योजनाओं की मंजूरी दी. आम बजट में पिछले साल रेलवे को 262200 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई थी.
बिहार में काम प्रगति पर है : जानकारी के अनुसार बिहार को पिछले एक दशक में राज्य में रेलवे के विकास के लिए 10,033 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिवर्ष 160 किलोमीटर नई रेलवे लाइन बिछाने का काम किया जा रहा है. पिछले साल 700 करोड़ यात्रियों ने रेल यात्रा के द्वारा अपना सफर किया.
बिहार की 55 योजनाओं पर काम : 1 अप्रैल 2024 तक बिहार में रेलवे की अनेक योजनाओं पर काम चल रहा है. जिसमें पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से 55 परियोजनाओं, जिसमें 31 नई रेल लाइन, दो गेज लाइन में परिवर्तन और 22 रूटों के दोहरीकरण, जिसकी कुल लंबाई 564 किलोमीटर है. इन योजनाओं के लिए 79 लाख 356 करोड़ रुपए की आवंटित की गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार इन योजना के निर्माण का काम चल रहा है, जिसमें 1194 किलोमीटर लंबाई का काम पूर्ण हो गया है. मार्च 2024 तक 26993 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी है.
नई लाइन की संख्या 31 है जिसकी लंबाई 2712 किलोमीटर है. जिस पर 13629 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. गेज लाइन के परिवर्तन की संख्या दो है जिसकी कुल लंबाई 348 किलोमीटर है जिसके पीछे 1520 करोड़ रुपए खर्च की स्वीकृति प्रदान की गई है.
रेलवे लाइन का दोहरीकरण : बिहार में रेलवे लाइन के दोहरीकरण की 22 योजनाएं स्वीकृत हैं, जिसके तहत 2005 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण करना है. इसके पीछे 11834 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत हो चुकी है. यानी रेलवे की इन योजनाओं के पीछे कुल 26983 करोड़ रुपए की राशि आवंटित हो चुकी है.
बिहार की योजनाएं : बिहार में रेलवे को लेकर के जो योजनाएं चल रही है उसमें जोगबनी-विराटनगर नई रेल लाइन 18 किलोमीटर, अररिया-सुपौल नई रेल लाइन 96 किलोमीटर, अररिया-गलगलिया नई लाइन 111 किलोमीटर और कटिहार-जोगबनी-बारसोई राधिकापुर तेज नारायणपुर गेज लाइन 280 किलोमीटर पर काम चल रहा है. सकरी लाख बाजार निर्मली और सहरसा फारबिसगंज गेज लाइन का सर्वेक्षण भी अररिया ठाकुरगंज 2023 और 24 में शुरू किया गया. इसके अलावा फारबिसगंज-लक्ष्मीपुर नई रेल लाइन 18 किलोमीटर का काम पूरा हुआ. अररिया ठाकुरगंज के बीच 111 किलोमीटर का और कटिहार जोगबनी के बीच 108 किलोमीटर के दोहरीकरण का काम अंतिम चरण में है.
बिहार की लंबित योजनाएं : अररिया से गलगलिया ठाकुरगंज तक नई बिजी लाइन का निर्माण का काम नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे कर रही है. जिसकी लागत 532.87 करोड़ बताई गई थी. 2006 में इस योजना को स्वीकृत प्रदान की गई थी. मार्च 2019 तक इस योजना को पूरा हो जाना था, लेकिन अब सितंबर 2025 तक इसको पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. यह अपने तय लक्ष्य से 78 महीन बाद भी यह योजना अधूरी है.
इसी तरीके से जयनगर बिजलपुर योजना का काम पूर्व मध्य रेलवे कर रहा है. जिसकी लागत 548 करोड़ रुपए स्वीकृत की गई थी अप्रैल 2009 में इसको मंजूरी मिली थी. मार्च 2020 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य था लेकिन अब मार्च 2026 तक इसे पूरा करने का अनुमान बताए जा रहा है. यह भी योजना अपने तय सीमा से 72 महीने पीछे चल रही है.
रामपुर डुमरा टाल राजेंद्र पुल दोहरीकरण : इस योजना का काम ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर रही है. जिसके लिए 1491.47 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई थी. दिसंबर 2015 में इसकी स्वीकृति प्रदान की गई. मार्च 2020 तक इसे पूरा करना था, लेकिन अब मई 2025 तक का लक्ष्य रखा गया है. यह योजना भी अपने तय समय से 62 महीने बाद भी यह योजना अधूरी है.
सुगौली-वाल्मीकि नगर दोहरीकरण योजना : इस योजना को पूरा करने का टेंडर ईस्ट सेंट्रल रेलवे को दिया गया था. 744.04 करोड़ रुपए की स्वीकृत की गई थी. अप्रैल 2016 में इसे स्वीकृति प्रदान की गई, मार्च 2021 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया. बाद में दिसंबर 2024 तक इस एक्सटेंड किया गया, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हो सकी है. अब तक यह योजना 46 महीने बाद भी यह अधूरी है.
मुजफ्फरपुर सुगौली दोहरी कारण योजना : पूर्व मध्य रेल इस योजना को कर रहा है इस योजना के लिए अप्रैल 2016 में 731.64 करोड़ रुपए राशि स्वीकृत कर दी गई. मार्च 2021 तक इसको पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन अभी तक यह पूरा नहीं हो सका है तय सीमा से 46 महीने के बाद भी यह योजना अभी तक अधूरी है.
देरी के कारण बजट पर प्रभाव : बिहार में रेलवे की अनेक कैसी योजनाएं हैं जो तय सीमा में पूरी नहीं की जा सकी. तय समय सीमा पर पूरी नहीं होने के कारण रेलवे को इस योजना की तय राशि बढ़ना पड़ता है. बिहार में रेलवे की 17 ऐसी योजनाएं अभी चल रही है जिसके तय समय पर पूरा नहीं होने के कारण इनकी बजट को बढ़ाना पड़ा.
- खगड़िया कुशेश्वरस्थान योजना का काम ECR कर रहा है. अप्रैल 1997 में इसकी मंजूरी मिली थी उसे समय 162.87 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृति प्रदान की गई थी, लेकिन अब यह राशि बढ़ाकर 451.58 करोड़ तक पहुंच गई है.
- हाजीपुर-सुगौली वाया वैशाली योजना की शुरुआत अप्रैल 2003 में हुई थी उसे समय उसकी लागत राशि 528.65 करोड रुपए स्वीकृत हुई थी, लेकिन समय पर काम पूरा नहीं होने के कारण अब इसकी लागत राशि 1558.71 करोड़ रुपए हो गई है.
- अररिया से गलगलिया तक बड़ी रेल लाइन योजना की स्वीकृति सितंबर 2006 में हुई थी, जिसकी लागत राशि 532.87 करोड़ रुपए बताई गई थी. लेकिन, कम समय पर पूरा नहीं होने के कारण अब इसका बजट 3879.39 करोड़ तक पहुंच गई है.
- समस्तीपुर दरभंगा रेल लाइन दोहरीकरण की स्वीकृति मैं 2015 में हुई थी, जिसकी लागत मूल्य 380 करोड़ रुपए बताई गई थी. लेकिन 139.33 करोड़ रुपए राशि का आवंटन बढ़ाया गया क्योंकि तय समय पर योजना पूरी नहीं हो सकी.
- जयनगर बिजलपुर वर्दीवास योजना की स्वीकृति अप्रैल 2009 में हुई थी. इस योजना के लिए 584 करोड़ रुपए की योजना को स्वीकृत प्रदान की गई थी, लेकिन तय समय पर पूरा नहीं होने के कारण इसमें अब तक 235.83 करोड़ रुपए की राशि और बढ़ा दी गई है.
- फतुहा इस्लामपुर बड़ी लाइन एवं बिहारशरीफ बरबीघा नई लाइन योजना की स्वीकृति अप्रैल 1991 में दी गई थी. इसके लिए 329.39 करोड़ की राशि आवंटित की गई. लेकिन तय सीमा पर पूरा नहीं होने के कारण इसका बजट 2393.77 करोड़ रुपए हो चुका है.
- सकरी हसनपुर लाइन की स्वीकृति अप्रैल 1999 में हुई थी. इसके लिए 325 करोड़ रुपए की राशि की स्वीकृति प्रदान की गई थी, लेकिन समय पर पूरा नहीं होने के कारण इसका बजट बढ़ाकर 410.2 करोड़ रुपए हो चुका है.
- क्यूल-गया दोहरीकरण योजना की स्वीकृति दिसंबर 2015 में हुई थी. 1200.02 करोड़ रुपए की राशि आवंटित किया गया, लेकिन समय पर काम पूरा नहीं होने के कारण 570.87 करोड़ रुपए का फंड बढ़ा दिया गया है.
- सुगौली-वाल्मीकि नगर दोहरीकरण योजना की स्वीकृति अप्रैल 2016 में की गई थी. 744.04 करोड़ रुपए की राशि तय की गई थी, लेकिन समय पर काम पूरा नहीं होने के कारण इसका बजट 471.5 करोड़ रुपए बढ़ा दिया गया.
- रामपुर डुमरा ताल राजेंद्र पुल दोहरीकरण योजना की स्वीकृति दिसंबर 2015 में की गई थी, इसके लिए 1491.47 करोड़ रुपए का राशि आवंटित किया गया था. लेकिन समय पर पूरा नहीं होने के कारण इसके बजट में 108.53 करोड़ की राशि को बढ़ाना पड़ा है.
- मुजफ्फरपुर सुगौली दोहरीकारण योजना की स्वीकृति अप्रैल 2016 में की गई इसके लिए 731.64 करोड़ रुपए की राशि की स्वीकृति प्रदान की गई थी. लेकिन समय पर काम पूरा नहीं होने के कारण इसके बजट में 568.36 करोड़ रुपए बढ़ाना पड़ा.
- कटिहार कुमेदपुर और कटिहार मुकुरिया योजना की स्वीकृति जुलाई 2022 में हुई थी, जिसके लिए 745 करोड़ रुपए की राशि का आवंटन किया गया था जिस पर काम चल रहा है.
- बरौनी बछवारा रेलखंड पर तीसरा और चौथे लाइन की योजना की स्वीकृति जुलाई 2022 में हुई थी. जिसके लिए 486 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई जिस पर काम चल रहा है.
- सोन नगर बाईपास लाइन चिरालापोथू से बगहा योजना की स्वीकृति अक्टूबर 2022 में प्रदान की गई थी. जिसके लिए 234 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी जिस पर काम चल रहा है.
- झाझा बतिया योजना की स्वीकृति फरवरी 2019 में की गई थी जिसके लिए 496.47 करोड़ रुपए की राशि आमंत्रित की गई, जिस पर काम चल रहा है.
- दरभंगा सिसो हॉट और कक्कड़ घाटी एक्सेल दरभंगा यार्ड को जोड़ने की मंजूरी जून 2019 में प्रदान की गई थी, जिसके लिए 938.6.2 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई जिस पर काम चल रहा है.
- अररिया सुपौल रेलवे योजना की स्वीकृति अप्रैल 2008 में हुई थी. जिसके लिए 1605.17 करोड़ की राशि आवंटित की गई. जिस पर अभी काम चल रहा है.
योजनाओं के बिलंब का कारण : रिपोर्ट में इन योजनाओं के विलंब होने के अनेक कारण बताए गए हैं जिसमें वहां का खराब चट्टान पानी आने की समस्या और स्थानीय लोगों के द्वारा व्यवधान उत्पन्न किया जा रहा है. इन्हीं कारणों से योजनाओं के पूरा करने में विलंब हो रहा है.
योजना पूरा होने से लाभ : इन लंबित योजनाओं में अनेक ऐसी योजनाएं हैं जिनका पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं नेपाल जैसे पड़ोसी देश से सीधा संपर्क स्थापित हो सकता है. इन योजनाओं के पूरा होने से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों और भारत के अन्य भागों के बीच रेल की कनेक्टिविटी से जुड़ने के कारण बिहार के सीमावर्ती एवं सुदूर इलाकों में रह रहे लोगों को सुविधा प्रदान होगी. रेलवे के विद्युतीकरण से फायदा यही होगा कि बिजली की कनेक्टिविटी सुदूर इलाकों तक लोगों को मिलने लगेगी इसके अलावे रेलवे भी बिजली पर निर्भर रहेगा और रेलवे की विद्युतीकरण से डीजल की खपत कम होगी और पर्यावरण को शुद्ध रखा जा सकता है.
क्या कहते हैं जानकर? : बिहार में रेलवे के अनेक योजनाओं के शुरू नहीं होने पर वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि रेल मंत्री के मामले में बिहार सौभाग्यशाली रहा है. आजादी के बाद सबसे ज्यादा रेल मंत्री बिहार से ही हुए. देश में सबसे ज्यादा करीब 1 दर्जन से करीब रेल मंत्री और राज्यमंत्री हुए. जिसमें लालू प्रसाद और नीतीश कुमार अभी हैं. चर्चित रेल मंत्री में ललित नारायण मिश्रा और रामविलास पासवान होने के बाबजूद राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण बिहार की रेलवे की अनेक योजनाएं लटकी हुई है.
फ्लड एरिया में काम प्रभावित : सीमांचल और मिथिलांचल के इलाके में और काम करने की जरूरत है सुनील पांडेय का कहना है कि फ्लड अफेक्टेड एरिया होने के कारण कुछ परेशानी है. लेकिन इस इलाके में रेलवे में जितना काम होना चाहिए वह नहीं हो पाया है. दुर्भाग्य है कि रेलवे के क्षेत्र में बिहार के साथ हमेशा उपेक्षा की गई. बिहार की अनेक योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई लेकिन उसे योजनाओं पर आज तक काम नहीं हो पाया.
"दो दर्जन से अधिक ऐसी योजना बिहार में स्वीकृत है जिस पर आज तक कोई काम नहीं हुआ. कुछ ऐसी योजना है जो 90 के दशक में स्वीकृत हुई जिस पर आज तक काम शुरू नहीं हुआ. पटना औरंगाबाद रेल मार्ग योजना वर्षों से स्वीकृत है लेकिन आज तक इस पर काम नहीं हो सका. सरकार की उदासीनता के कारण यह योजनाएं आज तक धरातल पर नहीं आ पाई." : सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
अमृत भारत स्टेशन पर ध्यान की जरूरत : वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि केंद्र सरकार अमृत भारत योजना के तहत बिहार के कई रेलवे स्टेशन को चुना गया है. कई और भी स्टेशन है जिनके सौन्दर्यीकरण की जरूरत है. 2025 -26 के बजट से बिहार को बहुत उम्मीद है. बिहार में चुनावी वर्ष है इस लिए जो भी बिहार की लंबित योजना है उस दिशा में ठोस निर्णय हो.
बिहार से अब तक रेल मंत्री : बाबू जगजीवन राम (1962), राम सुभग सिंह (1969), ललित नारायण मिश्र(1973), केदार पांडेय (1982), 5. जॉर्ज फर्नांडीस (1989), रामविलास पासवान (1996), नीतीश कुमार 1998 और 2001 (दो बार), लालू प्रसाद यादव (2009-2014) रेल मंत्री रह चुके हैं. इसके बावजूद बिहार में रेलवे का विकास नहीं हो पाया.
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