बगहा: बिहार के मिनी कश्मीर कहे जाने वाले वाल्मीकिनगर में नए साल के मौके पर पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ी है. लेकिन वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के इलाकों में नेटवर्क नहीं होने से यहां ठहरने वाले पर्यटकों का अपने परिवार और सगे संबंधियों से संपर्क भंग हो जाता है. वहीं जो पर्यटक सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरते हैं वह नेटवर्क नहीं होने की वजह से ऑनलाइन पेमेंट नहीं कर पाते हैं.
VTR में परेशान रहे पर्यटक: लिहाजा जिन पर्यटकों के पास नकदी पैसा नहीं रहता है उन्हे कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है. आज नया साल सेलिब्रेट करने वाल्मीकिनगर पहुंचे पर्यटकों ने बताया कि यहां सार्वजनिक शौचालय और सार्वजनिक पेयजल की बड़ी समस्या है. इसके अलावा डिजिटल पेमेंट नहीं हो पाता है. नेटवर्क नहीं होने की वजह से जो लोग दो तीन दिन रुकने का प्रोग्राम बनाकर आते हैं वे भी बुकिंग कैंसिल कराकर वापस लौटने को मजबूर हो जाते हैं.
पीने के पानी की सुविधा नहीं है. पानी खरीदकर ही पीना पड़ेगा. शौचालय भी नहीं है.मैं गया से आया हूं. सुविधाओं की कमी है. फोन काम नहीं कर रहा. नेटवर्क नहीं है.- अखिलेश कुमार गुप्ता, परेशान पर्यटक
"टॉयलेट नहीं है. पानी की सुविधा नहीं है. फोन काम नहीं कर रहा है. नेटवर्क प्रॉब्लम है. सरकार को पहल करना पड़ेगा."- विनीता पांडेय, सैलानी
नो नेटवर्क से परेशानी: बता दें कि वाल्मीकिनगर में पहुंचे पर्यटकों के लिए 3 नंबर पहाड़ के और आगे सरकारी गेस्ट हाउस में रहने की व्यवस्था है. साथ ही यहीं पर जंगल कैंप और सफारी बुकिंग कराने का कार्यालय है. इसके अलावा इसी इलाके में कैंटीन भी है. पर्यटकों की ज्यादा जमघट पहाड़ के ही ऊपरी हिस्से की तरफ से गुजरने वाली गंडक नदी के किनारे बने पाथ वे पर जुटती है.
"सरकार ने बुकिंग सिस्टम ऑनलाइन कर रखा है, ऑफलाइन नहीं है. पेमेंट ऑनलाइन नहीं कर सकते हैं क्योंकि नेटवर्क नहीं है. नेपाल का नेटवर्क फुल है. हमारी परिवारवालों से बात नहीं हो पा रही है. पीने का पानी नहीं मिल रहा है."- मुन्ना कुमार, पर्यटक
"मोबाइल का टावर काम नहीं करता है. पेयजल की बहुत बड़ी समस्या है. बुकिंग व्यवस्था भी ठीक नहीं है. बिहार का कश्मीर होने के बावजूद हालत खराब है."- दीपक शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता
'सार्वजनिक शौचालय और पेयजल नहीं' : ऐसे में पिकनिक मनाने या घूमने आने वाले पर्यटकों को इस इलाके में नेटवर्क की सुविधा समेत पानी और शौचालय की सुविधा नहीं मिलती है. जो पर्यटक अतिथि भवनों में ठहरते हैं उसमें तो शौचालय है लेकिन सार्वजनिक शौचालय और पेयजल नहीं होने से पर्यटक मुश्किल में पड़ जाते हैं.
डीफओ ने सवालों से काटी कन्नी: जहां एक तरफ वाल्मीकिनगर को पर्यटन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाने के लिए सरकार लगातार यहां विकास कार्य कर रही है. वहीं मूलभूत सुविधाओं का यहां अभी भी घोर अभाव दिखता है. वन विभाग प्रशासन द्वारा पिछले वर्ष ही यहां 32 जगहों पर वाई फाई शुरू करने की बात कही गई थी, लेकिन वह योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. इस बाबत जब मौके पर मौजूद डीएफओ नीरज नारायण से पूछा गया तो उन्होंने व्यस्त होने का हवाला देकर कैमरे के सामने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया.
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