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बेतिया: नल-जल योजना साबित हो रहा सफेद हाथी, लोगों को नहीं मिल रहा योजना का लाभ

ग्रामीणों का कहना है कि घरों में नल लगाए हुए एक साल बीत गए. लेकिन टंकी का निर्माण नहीं होने के कारण लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

नल-जल योजना
नल-जल योजना
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Published : Feb 11, 2020, 9:44 PM IST

बेतिया: शहर के बैरिया प्रखंड अंतर्गत सिसवा सरेया पंचायत के मझरिया गांव में नल-जल योजना का काम तो हुआ. लेकिन ग्रामीण पिछले एक साल से नल से जल टपकने की आस में बैठे हैं. गांव के लोगों ने संवेदक पर आरोप लगाते हुए कहा कि योजना का कार्य एक साल पहले शुरू हुआ था. लेकिन संवेदक ने काम को बीच में ही अधूरा छोड़ दिया. जिस वजह से लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

'जिला प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान'
मामले को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि यह योजना सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है. बावजूद जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण यह योजना लोगों के लिए उपयोगी साबित नहीं हो पा रही है. हालांकि जिला प्रशासन पंचायत के प्रत्येक गांव में योजना की समीक्षा बैठक करती है. लेकिन मझरिया गांव में योजना के बारे में प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है. जिस वजह से गांव के लोगों को पानी का एक बूंद भी नसीब नहीं हो पाया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

19 सौ की आबादी प्रभावित
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के तीन वार्ड में 19 सौ की आबादी रहती है. लोगों का कहना है कि गांव में जब योजना का शुभारंभ हो रहा था. उस समय लोगों को शुद्ध पेयजल की आस थी. लेकिन यह आस जल्द ही आक्रोश में बदल गई. लोगों का कहना है कि गांव में योजना की शुरुआत एक साल पूर्व हुई थी. लेकिन आज तक टंकी का निर्माण नहीं हो सका है.

बेतिया: शहर के बैरिया प्रखंड अंतर्गत सिसवा सरेया पंचायत के मझरिया गांव में नल-जल योजना का काम तो हुआ. लेकिन ग्रामीण पिछले एक साल से नल से जल टपकने की आस में बैठे हैं. गांव के लोगों ने संवेदक पर आरोप लगाते हुए कहा कि योजना का कार्य एक साल पहले शुरू हुआ था. लेकिन संवेदक ने काम को बीच में ही अधूरा छोड़ दिया. जिस वजह से लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

'जिला प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान'
मामले को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि यह योजना सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है. बावजूद जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण यह योजना लोगों के लिए उपयोगी साबित नहीं हो पा रही है. हालांकि जिला प्रशासन पंचायत के प्रत्येक गांव में योजना की समीक्षा बैठक करती है. लेकिन मझरिया गांव में योजना के बारे में प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है. जिस वजह से गांव के लोगों को पानी का एक बूंद भी नसीब नहीं हो पाया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

19 सौ की आबादी प्रभावित
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के तीन वार्ड में 19 सौ की आबादी रहती है. लोगों का कहना है कि गांव में जब योजना का शुभारंभ हो रहा था. उस समय लोगों को शुद्ध पेयजल की आस थी. लेकिन यह आस जल्द ही आक्रोश में बदल गई. लोगों का कहना है कि गांव में योजना की शुरुआत एक साल पूर्व हुई थी. लेकिन आज तक टंकी का निर्माण नहीं हो सका है.

Intro:एंकर-- तीन वार्ड में उन्नीस सौ आबादी वाला ये बैरिया प्रखंड का सिसवा सरेया पंचायत का मझरिया गांव है, इस गांव में तीन वार्ड है, जिसमें नल जल का काम तो हुआ है लेकिन एक साल में लोगों को अब तक पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं हुई है, क्योंकि टंकी अभी तक नहीं बन पाई है, जिससे यहां के लोगों में नाराजगी है, लोगों का कहना है कि हर घर में नल तो लग गया लेकिन उस नल से अब तक जल नहीं मिला।


Body:सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल नल जल योजना लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है लेकिन प्रशासन की शिथिलता से यह योजना लोगों के लिए उपयोगी साबित नहीं हो रही है, जिला प्रशासन पंचायत के गांव में यह योजना किस गति से चल रही है इसकी समीक्षा तो प्रत्येक सप्ताह होने वाली बैठक में करती है, इसके बावजूद बैरिया प्रखंड का सिसवा सरेया पंचायत के मझरिया गांव में चल रही नल जल योजना के क्रियान्वयन पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है, इसका नतीजा है कि अब तक इस गांव के लोगों को पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं हो पाई है, वार्ड के लोगों ने बताया कि नल जल योजना के तहत बोरिंग की गई है, इसके बाद पाइप बिछाया गया लेकिन आज तक एक साल हो गया पानी की टंकी अभी तक नहीं बन पाई है।

बाइट- बिहारी चंद्र दास, ग्रामीण
बाइट- मनोज कुमार, ग्रामीण

वही जब इस गांव के वार्ड सदस्यों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पूरे वार्ड में बोरिंग का काम हो चुका है और पाइप बिछाया जा चुका है सिर्फ पैसे के अभाव में टंकी नहीं बन पाई है, जैसे जैसे पैसा मिल रहा है वैसे वैसे काम हो रहा है,पैसा आते ही टंकी तैयार कर दिया जाएगा और गांव वालों को पानी मिलना शुरू हो जाएगा।

बाइट- मनोज विश्वास,वार्ड सदस्य, वार्ड नंबर 1
बाइट- कृष्णा पाल, वार्ड सदस्य, वार्ड नंबर 2


Conclusion:खैर बात में कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है, बहुत सारे पंचायतों में बिना काम किए पैसे की निकासी हो जा रही है और बहुत सारे पंचायत में पैसे के अभाव में काम रुका हुआ है, तो ऐसे में यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सरकार की इस योजना को लेकर जिला प्रशासन कितनी गंभीर है, मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजनाओं में से एक इस नल जल योजना को पंचायत और वार्ड स्तर पर विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सूबे के मुखिया व वार्ड सदस्य भले ही तमाम कवायद कर रहे हो पर सियासी चकाचौंध के बीच निश्चय की यह योजना जमीनी स्तर पर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत बेतिया
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