पश्चिम चंपारण(बगहा): जिला के इंडो नेपाल सीमा (Indo Nepal Border) से सटे चकदहवा गांव में गंडक नदी के बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. यहां स्थित झंडू टोला (Jhandu Tola Village) एसएसबी कैम्प में चार फीट पानी भरा हुआ है. लिहाजा एसएसबी जवान बाढ़ से बचने के लिए दूसरे कैम्प में शिफ्ट हो रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ यहां रह रहे हजारों परिवार के समक्ष आशियाना और भोजन की समस्या खड़ी हो गई है. ग्रामीण भूखे प्यासे प्रशासनिक मदद का इंतजार कर रहे हैं.
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कई गांवों में गंडक ने मचाई तबाही
इंडो नेपाल सीमा के नो मेंस लैंड पर स्थित आधा दर्जन गांव, बाढ़ से पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. हालात यह है कि लोग बच्चों समेत मचान और बैलगाड़ी पर प्लास्टिक तानकर शरण लिए हुए हैं. अचानक देर रात्रि गांव में पानी घुसने की वजह से सुबह में अधिकांश लोगों के यहां खाना नहीं बन सका.
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मचान में रह रहे लोग
आधी रात अचानक घुसे बाढ़ के पानी में लोगों का आशियाना डूब रहा है. पैर रखने के लिए जगह नहीं है. ऐसे में कई लोग मचान में रहने को मजबूर हैं. सरकारी मदद अब तक इन लोगों तक नहीं पहुंची है. लोगों का कहना है कि ऊंचे स्थानों में अपना सबकुछ छोड़कर कैसे जाएं.
बैलगाड़ी में घर
कई ऐसे लोग भी है जिन्होंने बैलगाड़ी को ही फिलहाल अपना घर बना लिया है. बच्चे, बूढ़े, जवान सभी जुगाड़ का सहारा ले रहे हैं. और बाढ़ की इस विभिषिका के बीच जिंदगी काट रहे हैं.
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नहीं बन रहा खाना
बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोग भूख से बिलबिला रहे हैं. बता दें कि यहां से सुरक्षित स्थान पर जाने वाले रास्ते पानी मे डूबे हुए हैं. लिहाजा लोग गांव से बाहर भी नहीं जा सकते हैं. खाना पकाना तक मुश्किल हो रहा है. ऐसे में लोग चौकी के सहारे थोड़ा बहुत खाना पका ले रहे हैं, ताकि पानी के बीच पेट की आग बुझ सके.
'कल शाम से बाढ़ का पानी आया है. हमलोग तबाह हो गए हैं. पिछले साल भी सब बर्बाद हो गया था. इस बार भी वही हाल है. खाना भी नहीं बना पा रहे हैं. आज भी खाना नहीं बना है. चूड़ा, सूखा भूंजा खाकर हैं. किसी तरह से दिन गुजार रहे हैं. ऊंचे स्थान पर कैसे जाएं बाल बच्चा है सब देखना पड़ता है. पिछले साल का भी मुआवजा नहीं मिला. प्रशासन की ओर से कोई जांच पड़ताल करने तक नहीं आया.'- छोटेलाल राम, झंडू टोला निवासी
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एसएसबी कैंप में घुसा पानी
नो मेंस लैंड पर रामपुरवा पंचायत के अंतर्गत चार गांव आते हैं जिसमें चकदहवा, झंडू टोला, बिन टोली और कान्हा टोली शामिल है. पिछले बाढ़ में कान्हा टोली गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो गया. इस गांव में महज दो घर बचे थे. इस मर्तबा भी आई बाढ़ ने सभी गांवों को प्रभावित किया है. यहां तक की झंडू टोला स्थित एसएसबी कैम्प में भी लबालब पानी भरा हुआ है. ऐसे में जवान अपने आर्म्स और जरूरी सामानों के साथ रोहुआ टोला स्थित कैंप की ओर पलायन कर गए हैं.
'झंडू टोला में बाढ़ का पानी घुस गया है. करीब साढ़े चार फीट पानी है. इसलिए हमलोग दूसरे कैंप में जा रहे हैं.'- एसएसबी जवान
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पिछले साल भी नहीं मिला मुआवजा
इस इलाके में गंडक नदी प्रत्येक साल भारी तबाही मचाती है. पिछले वर्ष तकरीबन 15 दिन बाढ़ का पानी इन गांवों में रहा था. लोगों को फसल का तो नुकसान हुआ ही एक गांव के दर्जनों घर गण्डक की धारा में विलीन हो गए. सरकार ने इन प्रभावित लोगों को 4 से 6 लाख मुआवजा देने की बात कही थी. लेकिन ग्रामीण बताते हैं कि कुछ लोगों को मुआवजा मिला और अधिकांश लोग अब भी मुआवजे के लिए सरकारी दफ्तरों के खाक छान रहे हैं.
'हम लोग बैलगाड़ी पर रह रहे हैं. चूड़ा खाकर हैं. बाहर निकलने का सब रास्ता बंद है. क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है.'- अंजली देवी, बाढ़ पीड़ित
सरकारी मदद का इंतजार
वाल्मीकिनगर गंडक नियंत्रण कक्ष द्वारा गण्डक नदी में चार लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया है. इतना ज्यादा पानी मॉनसून सत्र के पहले ही चरण में छोड़ा जाना किसी बड़े खतरे का अंदेशा है क्योंकि अभी पूरी बरसात बाकी है. हालांकि प्रशासन ने अलर्ट जारी करते हुए तटीय इलाकों में मुनादी करवा दी थी कि लोग ऊँचे व सुरक्षित स्थानों पर शरण ले लें.
अचानक घुसा बाढ़ का पानी
अचानक देर रात्रि को आए बाढ़ ने किसी को निकलने का मौका ही नहीं दिया. नतीजतन बाढ़ से घिरे लोग हर साल की तरह इस साल भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन प्रशासन ने अब तक इनकी सुधि नहीं ली है.
ईटीवी से साझा किया लोगों ने अपना दर्द
इस इलाके के लोगों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष यहां बाढ़ आती है. लेकिन कभी कोई अधिकारी यहां ना तो बाढ़ के समय आता है और ना ही जब सब कुछ सामान्य हो जाता है तब ही आता है. ईटीवी भारत की टीम (Bagaha Ground Report) नाव की व्यवस्था कर ग्रामीणों के सहयोग से ग्राउंड जीरो पर पहुंची. हमारे संवाददाता ने लोगों के हालात और समस्याओं का जायजा लिया. अब लोगों को कब तक मदद मिल पाती है इसका इंतजार किया जा रहा है.