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Flood In Bagaha: कहीं मचान बना आशियाना तो कहीं चौकी पर बन रहा खाना, देखें रिपोर्ट

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Published : Jun 17, 2021, 5:24 PM IST

पश्चिम चंपारण में बाढ़ (West Champaran Flood ) ने तबाही मचानी शुरू कर दी है. लोगों के घर से लेकर फसल तक पानी में डूब चुके हैं. बैलगाड़ी, मचान में लोग अपना आशियाना बना जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. खाने के लिए भी जुगाड़ का सहारा लेना पड़ रहा है, लेकिन अब तक इन लोगों तक सरकारी मदद नहीं पहुंची है.

flood situation in Bagaha
flood situation in Bagaha

पश्चिम चंपारण(बगहा): जिला के इंडो नेपाल सीमा (Indo Nepal Border) से सटे चकदहवा गांव में गंडक नदी के बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. यहां स्थित झंडू टोला (Jhandu Tola Village) एसएसबी कैम्प में चार फीट पानी भरा हुआ है. लिहाजा एसएसबी जवान बाढ़ से बचने के लिए दूसरे कैम्प में शिफ्ट हो रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ यहां रह रहे हजारों परिवार के समक्ष आशियाना और भोजन की समस्या खड़ी हो गई है. ग्रामीण भूखे प्यासे प्रशासनिक मदद का इंतजार कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- बेतिया: पानी में डूबी सड़क को ट्रैक्टर-ट्रॉली से पार कर रहे लोग, जान से हो रहा खिलवाड़

कई गांवों में गंडक ने मचाई तबाही
इंडो नेपाल सीमा के नो मेंस लैंड पर स्थित आधा दर्जन गांव, बाढ़ से पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. हालात यह है कि लोग बच्चों समेत मचान और बैलगाड़ी पर प्लास्टिक तानकर शरण लिए हुए हैं. अचानक देर रात्रि गांव में पानी घुसने की वजह से सुबह में अधिकांश लोगों के यहां खाना नहीं बन सका.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- Gopalganj Flood: बाढ़ के पानी से दो माह पहले बनी सड़क ध्वस्त, 15 गांवों के लोगों का आवागमन ठप

मचान में रह रहे लोग
आधी रात अचानक घुसे बाढ़ के पानी में लोगों का आशियाना डूब रहा है. पैर रखने के लिए जगह नहीं है. ऐसे में कई लोग मचान में रहने को मजबूर हैं. सरकारी मदद अब तक इन लोगों तक नहीं पहुंची है. लोगों का कहना है कि ऊंचे स्थानों में अपना सबकुछ छोड़कर कैसे जाएं.

flood situation in Bagaha
मचान पर आशियाना

बैलगाड़ी में घर
कई ऐसे लोग भी है जिन्होंने बैलगाड़ी को ही फिलहाल अपना घर बना लिया है. बच्चे, बूढ़े, जवान सभी जुगाड़ का सहारा ले रहे हैं. और बाढ़ की इस विभिषिका के बीच जिंदगी काट रहे हैं.

यह भी पढ़ें- बोले मंत्री संजय झा- 'बाढ़ को लेकर विभाग मुस्तैद, गंडक में फ्लैश फ्लड से हालात गंभीर'

नहीं बन रहा खाना
बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोग भूख से बिलबिला रहे हैं. बता दें कि यहां से सुरक्षित स्थान पर जाने वाले रास्ते पानी मे डूबे हुए हैं. लिहाजा लोग गांव से बाहर भी नहीं जा सकते हैं. खाना पकाना तक मुश्किल हो रहा है. ऐसे में लोग चौकी के सहारे थोड़ा बहुत खाना पका ले रहे हैं, ताकि पानी के बीच पेट की आग बुझ सके.

flood situation in Bagaha
चौकी पर बन रहा खाना

'कल शाम से बाढ़ का पानी आया है. हमलोग तबाह हो गए हैं. पिछले साल भी सब बर्बाद हो गया था. इस बार भी वही हाल है. खाना भी नहीं बना पा रहे हैं. आज भी खाना नहीं बना है. चूड़ा, सूखा भूंजा खाकर हैं. किसी तरह से दिन गुजार रहे हैं. ऊंचे स्थान पर कैसे जाएं बाल बच्चा है सब देखना पड़ता है. पिछले साल का भी मुआवजा नहीं मिला. प्रशासन की ओर से कोई जांच पड़ताल करने तक नहीं आया.'- छोटेलाल राम, झंडू टोला निवासी

यह भी पढ़ें- Flood In Bettiah: नरकटियागंज के ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात, दर्जनों लोग पलायन को मजबूर

एसएसबी कैंप में घुसा पानी
नो मेंस लैंड पर रामपुरवा पंचायत के अंतर्गत चार गांव आते हैं जिसमें चकदहवा, झंडू टोला, बिन टोली और कान्हा टोली शामिल है. पिछले बाढ़ में कान्हा टोली गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो गया. इस गांव में महज दो घर बचे थे. इस मर्तबा भी आई बाढ़ ने सभी गांवों को प्रभावित किया है. यहां तक की झंडू टोला स्थित एसएसबी कैम्प में भी लबालब पानी भरा हुआ है. ऐसे में जवान अपने आर्म्स और जरूरी सामानों के साथ रोहुआ टोला स्थित कैंप की ओर पलायन कर गए हैं.

'झंडू टोला में बाढ़ का पानी घुस गया है. करीब साढ़े चार फीट पानी है. इसलिए हमलोग दूसरे कैंप में जा रहे हैं.'- एसएसबी जवान

flood situation in Bagaha
दूसके कैंप जाते एसएसबी जवान

यह भी पढ़ें- गोपालगंज में बाढ़ की विभीषका, संकट में हजारों लोगों की जिंदगी, पलायन कर रहे लोग

पिछले साल भी नहीं मिला मुआवजा
इस इलाके में गंडक नदी प्रत्येक साल भारी तबाही मचाती है. पिछले वर्ष तकरीबन 15 दिन बाढ़ का पानी इन गांवों में रहा था. लोगों को फसल का तो नुकसान हुआ ही एक गांव के दर्जनों घर गण्डक की धारा में विलीन हो गए. सरकार ने इन प्रभावित लोगों को 4 से 6 लाख मुआवजा देने की बात कही थी. लेकिन ग्रामीण बताते हैं कि कुछ लोगों को मुआवजा मिला और अधिकांश लोग अब भी मुआवजे के लिए सरकारी दफ्तरों के खाक छान रहे हैं.

'हम लोग बैलगाड़ी पर रह रहे हैं. चूड़ा खाकर हैं. बाहर निकलने का सब रास्ता बंद है. क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है.'- अंजली देवी, बाढ़ पीड़ित

सरकारी मदद का इंतजार
वाल्मीकिनगर गंडक नियंत्रण कक्ष द्वारा गण्डक नदी में चार लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया है. इतना ज्यादा पानी मॉनसून सत्र के पहले ही चरण में छोड़ा जाना किसी बड़े खतरे का अंदेशा है क्योंकि अभी पूरी बरसात बाकी है. हालांकि प्रशासन ने अलर्ट जारी करते हुए तटीय इलाकों में मुनादी करवा दी थी कि लोग ऊँचे व सुरक्षित स्थानों पर शरण ले लें.

flood situation in Bagaha
पानी के बीच फंसे लोग

अचानक घुसा बाढ़ का पानी
अचानक देर रात्रि को आए बाढ़ ने किसी को निकलने का मौका ही नहीं दिया. नतीजतन बाढ़ से घिरे लोग हर साल की तरह इस साल भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन प्रशासन ने अब तक इनकी सुधि नहीं ली है.

ईटीवी से साझा किया लोगों ने अपना दर्द
इस इलाके के लोगों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष यहां बाढ़ आती है. लेकिन कभी कोई अधिकारी यहां ना तो बाढ़ के समय आता है और ना ही जब सब कुछ सामान्य हो जाता है तब ही आता है. ईटीवी भारत की टीम (Bagaha Ground Report) नाव की व्यवस्था कर ग्रामीणों के सहयोग से ग्राउंड जीरो पर पहुंची. हमारे संवाददाता ने लोगों के हालात और समस्याओं का जायजा लिया. अब लोगों को कब तक मदद मिल पाती है इसका इंतजार किया जा रहा है.

पश्चिम चंपारण(बगहा): जिला के इंडो नेपाल सीमा (Indo Nepal Border) से सटे चकदहवा गांव में गंडक नदी के बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. यहां स्थित झंडू टोला (Jhandu Tola Village) एसएसबी कैम्प में चार फीट पानी भरा हुआ है. लिहाजा एसएसबी जवान बाढ़ से बचने के लिए दूसरे कैम्प में शिफ्ट हो रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ यहां रह रहे हजारों परिवार के समक्ष आशियाना और भोजन की समस्या खड़ी हो गई है. ग्रामीण भूखे प्यासे प्रशासनिक मदद का इंतजार कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- बेतिया: पानी में डूबी सड़क को ट्रैक्टर-ट्रॉली से पार कर रहे लोग, जान से हो रहा खिलवाड़

कई गांवों में गंडक ने मचाई तबाही
इंडो नेपाल सीमा के नो मेंस लैंड पर स्थित आधा दर्जन गांव, बाढ़ से पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. हालात यह है कि लोग बच्चों समेत मचान और बैलगाड़ी पर प्लास्टिक तानकर शरण लिए हुए हैं. अचानक देर रात्रि गांव में पानी घुसने की वजह से सुबह में अधिकांश लोगों के यहां खाना नहीं बन सका.

देखें रिपोर्ट

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मचान में रह रहे लोग
आधी रात अचानक घुसे बाढ़ के पानी में लोगों का आशियाना डूब रहा है. पैर रखने के लिए जगह नहीं है. ऐसे में कई लोग मचान में रहने को मजबूर हैं. सरकारी मदद अब तक इन लोगों तक नहीं पहुंची है. लोगों का कहना है कि ऊंचे स्थानों में अपना सबकुछ छोड़कर कैसे जाएं.

flood situation in Bagaha
मचान पर आशियाना

बैलगाड़ी में घर
कई ऐसे लोग भी है जिन्होंने बैलगाड़ी को ही फिलहाल अपना घर बना लिया है. बच्चे, बूढ़े, जवान सभी जुगाड़ का सहारा ले रहे हैं. और बाढ़ की इस विभिषिका के बीच जिंदगी काट रहे हैं.

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नहीं बन रहा खाना
बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोग भूख से बिलबिला रहे हैं. बता दें कि यहां से सुरक्षित स्थान पर जाने वाले रास्ते पानी मे डूबे हुए हैं. लिहाजा लोग गांव से बाहर भी नहीं जा सकते हैं. खाना पकाना तक मुश्किल हो रहा है. ऐसे में लोग चौकी के सहारे थोड़ा बहुत खाना पका ले रहे हैं, ताकि पानी के बीच पेट की आग बुझ सके.

flood situation in Bagaha
चौकी पर बन रहा खाना

'कल शाम से बाढ़ का पानी आया है. हमलोग तबाह हो गए हैं. पिछले साल भी सब बर्बाद हो गया था. इस बार भी वही हाल है. खाना भी नहीं बना पा रहे हैं. आज भी खाना नहीं बना है. चूड़ा, सूखा भूंजा खाकर हैं. किसी तरह से दिन गुजार रहे हैं. ऊंचे स्थान पर कैसे जाएं बाल बच्चा है सब देखना पड़ता है. पिछले साल का भी मुआवजा नहीं मिला. प्रशासन की ओर से कोई जांच पड़ताल करने तक नहीं आया.'- छोटेलाल राम, झंडू टोला निवासी

यह भी पढ़ें- Flood In Bettiah: नरकटियागंज के ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात, दर्जनों लोग पलायन को मजबूर

एसएसबी कैंप में घुसा पानी
नो मेंस लैंड पर रामपुरवा पंचायत के अंतर्गत चार गांव आते हैं जिसमें चकदहवा, झंडू टोला, बिन टोली और कान्हा टोली शामिल है. पिछले बाढ़ में कान्हा टोली गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो गया. इस गांव में महज दो घर बचे थे. इस मर्तबा भी आई बाढ़ ने सभी गांवों को प्रभावित किया है. यहां तक की झंडू टोला स्थित एसएसबी कैम्प में भी लबालब पानी भरा हुआ है. ऐसे में जवान अपने आर्म्स और जरूरी सामानों के साथ रोहुआ टोला स्थित कैंप की ओर पलायन कर गए हैं.

'झंडू टोला में बाढ़ का पानी घुस गया है. करीब साढ़े चार फीट पानी है. इसलिए हमलोग दूसरे कैंप में जा रहे हैं.'- एसएसबी जवान

flood situation in Bagaha
दूसके कैंप जाते एसएसबी जवान

यह भी पढ़ें- गोपालगंज में बाढ़ की विभीषका, संकट में हजारों लोगों की जिंदगी, पलायन कर रहे लोग

पिछले साल भी नहीं मिला मुआवजा
इस इलाके में गंडक नदी प्रत्येक साल भारी तबाही मचाती है. पिछले वर्ष तकरीबन 15 दिन बाढ़ का पानी इन गांवों में रहा था. लोगों को फसल का तो नुकसान हुआ ही एक गांव के दर्जनों घर गण्डक की धारा में विलीन हो गए. सरकार ने इन प्रभावित लोगों को 4 से 6 लाख मुआवजा देने की बात कही थी. लेकिन ग्रामीण बताते हैं कि कुछ लोगों को मुआवजा मिला और अधिकांश लोग अब भी मुआवजे के लिए सरकारी दफ्तरों के खाक छान रहे हैं.

'हम लोग बैलगाड़ी पर रह रहे हैं. चूड़ा खाकर हैं. बाहर निकलने का सब रास्ता बंद है. क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है.'- अंजली देवी, बाढ़ पीड़ित

सरकारी मदद का इंतजार
वाल्मीकिनगर गंडक नियंत्रण कक्ष द्वारा गण्डक नदी में चार लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया है. इतना ज्यादा पानी मॉनसून सत्र के पहले ही चरण में छोड़ा जाना किसी बड़े खतरे का अंदेशा है क्योंकि अभी पूरी बरसात बाकी है. हालांकि प्रशासन ने अलर्ट जारी करते हुए तटीय इलाकों में मुनादी करवा दी थी कि लोग ऊँचे व सुरक्षित स्थानों पर शरण ले लें.

flood situation in Bagaha
पानी के बीच फंसे लोग

अचानक घुसा बाढ़ का पानी
अचानक देर रात्रि को आए बाढ़ ने किसी को निकलने का मौका ही नहीं दिया. नतीजतन बाढ़ से घिरे लोग हर साल की तरह इस साल भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन प्रशासन ने अब तक इनकी सुधि नहीं ली है.

ईटीवी से साझा किया लोगों ने अपना दर्द
इस इलाके के लोगों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष यहां बाढ़ आती है. लेकिन कभी कोई अधिकारी यहां ना तो बाढ़ के समय आता है और ना ही जब सब कुछ सामान्य हो जाता है तब ही आता है. ईटीवी भारत की टीम (Bagaha Ground Report) नाव की व्यवस्था कर ग्रामीणों के सहयोग से ग्राउंड जीरो पर पहुंची. हमारे संवाददाता ने लोगों के हालात और समस्याओं का जायजा लिया. अब लोगों को कब तक मदद मिल पाती है इसका इंतजार किया जा रहा है.

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