पश्चिम चंपारण(बेतिया): बिहार की कई नदियां उफान पर हैं. इससे राज्य के कई जिलों में बाढ़ की स्थित उत्पन्न हो गई हैं. ईटीवी भारत बाढ़ की स्थिति पर लगातार ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. हमारे संवाददाता जब जिले के सिकटा प्रखंड के सरगटिया पंचायत पहुंचे तो वहां के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. बाढ़ की वजह से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई नहीं पहुंच रहा है.
गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
सिकटा प्रखंड के सुंदरगांवा और मगलहीयां के वार्ड नंबर 16, 17 और 18 में बाढ़ का पानी घुस रहा है. बाढ़ की दोहरी मार झेल रहे लोगों का हाल बेहाल है. दो महीने पहले भी इन गांवों में बाढ़ आया था. यहां एक बार फिर ग्रामीण बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हैं. सरगटिया पंचायत सिकरहना नदी के किनारे बसा है.
ग्रामीणों में नाराजगी
सिकरहना नदी के पास के इलाकों में तेजी से कटाव हो रहा है और इसका पानी गांव में प्रवेश कर रहा है. इससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. लोगों के घर जहां पानी में डूब गए हैं वहीं फसलों को भी भारी क्षति हुई है. पंचायत के सिकटा प्रखंड के आखरी छोर होने की वजह से यहां न ही कोई अधिकारी और न ही जनप्रतिनिधि पहुंचते हैं. इसे लेकर ग्रामीणों में काफी नाराजगी है.
नहीं मिली बाढ़ पीड़ितों को सहायता राशि
ग्रामीणों ने वोट के बहिष्कार का मन बना लिया है. उनका कहना है कि जब बाढ़ आता है तो कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि हाल चाल तक पूछने नहीं आता है. बाढ़ खत्म होने के बाद अधिकारी एक आंशिक रिपोर्ट तैयार करते हैं. जिससे बड़ी संख्या में बाढ़ पीड़ित सहायता राशि से वंचित रह जाते हैं.
वोट का बहिष्कार
स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले बाढ़ में भी पीड़ितों को मुआवजे की राशि नहीं दी गई है. आक्रोशित ग्रामीणों ने कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के पहले वे किसी जनप्रतिनिधि को गांव में घुसने नहीं देंगे. इस पंचायत में लगभग 3000 वोटर हैं. ग्रामीणों ने कहा कि हर साल यह गांव बाढ़ में तबाह हो जाता है. ऐसे में नदी के किनारे ठोकर का निर्माण हो ताकि बाढ़ का पानी गांव में नहीं आ पाए.
प्रशासन की लापरवाही
ग्रामीणों ने बताया कि उनके घर में रखा राशन और अनाज पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. उनके पास खाने तक के लिए कुछ नहीं बचा है. गांव में आने जाने के लिए नाव ही एक मात्र सहारा है. ऐसे में सिकटा प्रखंड के बाढ़ पीड़ितों को फिलहाल मदद की दरकार है. प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है.