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'कुली' शब्द गांव के लिए बना वरदान, अंग्रेजों ने कम कर दिया था राजस्व

बेतिया में महनाकुली गांव की कहानी काफी रोचक है. स्थानीय निवासी ने बताया कि उनके पूर्वजों ने बताया था कि मोहना नाम के एक व्यक्ति के नाम पर इस गांव का नाम मोहनाकुली पड़ा.

Mahanakuli village in Bettiah
Mahanakuli village in Bettiah
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Published : Dec 6, 2020, 5:47 PM IST

बेतिया: पश्चिमी चंपारण जिले का एक ऐसा गांव जहां का राजस्व अन्य किसी भी गांव से काफी कम है. इसका कारण मात्र गांव के नाम के साथ 'कुली' शब्द का जुड़ना है. यूं तो 'कुली' शब्द गरीबों को पीड़ा देता है. लेकिन महना गांव से जुड़ा 'कुली' शब्द की वजह से ग्रामीणों को लंबे अरसे से काफी कम राजस्व चुकाना पड़ रहा है.

अंग्रेजों का था शासन
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महनाकुली गांव की कहानी काफी रोचक है. बुजुर्गों की माने तो 18वीं शताब्दी में यहां अंग्रेजों का शासन था. चंपारण में नील की खेती के लिए किसानों और मजदूरों पर अंग्रेज जुल्म ढाया करते थे.

कई बार गांव का दौरा
गांव का ही मोहना नाम का एक मजदूर इससे अजीज आकर उचित मजदूरी के लिए मजदूरों को संगठित कर अन्य जगहों पर काम के लिए ले जाने लगा. मजदूरों को अन्य जगह पर जाने-आने से गांव मोहना नाम से ही बुलाया जाने लगा. इसी बीच मजदूरों की कमी से चिंतित एक अंग्रेज अफसर लाल साहब ने इस गांव का दौरा किया. लेकिन यहां कोई पुरुष नहीं मिला. जिसके बाद अंग्रेज अफसर ने कई बार गांव का दौरा किया.

देखें पूरी रिपोर्ट

मजदूरों के बारे में जानकारी
इसी क्रम में एक दिन गांव में उपस्थित एक बूढ़ी महिला से अंग्रेज अफसर ने मजदूरों के बारे में जानना चाहा. बूढ़ी महिला ने गंवई भाषा में बताया कि कुल्ही (सभी) लोग काम पर गईल बा. यानी सभी लोग काम पर गये हैं. अफसर ने इसी कुल्ही शब्द को कुली समझ लिया यानी कुली लोग काम पर गए हैं.

गांव के लिए वरदान
थोड़े पैसों के लिए ग्रामीण इतनी दूर जाते हैं, यह सोचकर अंग्रेज अफसर लाल साहेब थोड़ा द्रवित हो गया और उसने यहां का राजस्व कम कर दिया. ताकि लोग गांव में ही रह कर मजदूरी करें. तब से इस गांव के नाम के आगे कुली जुड़ गया. इस गांव का नाम जिस मोहना नाम के व्यक्ति पर पड़ा, उनके वंशज श्रीकांत मिश्रा ने बताया कि कुली शब्द हमारे गांव के लिए अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है. आज इसी नाम के कारण हमें हमारे गांव को सबसे कम राजस्व देना पड़ता है.

क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
वरिष्ठ पत्रकार और स्थानीय निवासी मनोज मिश्रा ने बताया कि उनके पूर्वजों ने बताया था कि मोहना नाम के एक व्यक्ति के नाम पर इस गांव का नाम मोहनाकुली पड़ा. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए और हमारे गांव के लिए फक्र की बात है कि एक कुली शब्द जुड़ जाने से हमारे गांव के लोगों को कम राजस्व देना पड़ता है.

बता दें 1914 के सर्वे के नक्शे में इस गांव का नाम मोहनाकुली है. जो अब महनाकुली के नाम से जाना जाता है. गांव की आबादी लगभग दो हजार की है. बढ़ई टोला, खरदेव, जुल्हा टोला, मिश्र टोला, पुरनका टोला सभी इसी गांव के अंग है. इस गांव में शिक्षा की व्यवस्था भी अच्छी है.

बेतिया: पश्चिमी चंपारण जिले का एक ऐसा गांव जहां का राजस्व अन्य किसी भी गांव से काफी कम है. इसका कारण मात्र गांव के नाम के साथ 'कुली' शब्द का जुड़ना है. यूं तो 'कुली' शब्द गरीबों को पीड़ा देता है. लेकिन महना गांव से जुड़ा 'कुली' शब्द की वजह से ग्रामीणों को लंबे अरसे से काफी कम राजस्व चुकाना पड़ रहा है.

अंग्रेजों का था शासन
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महनाकुली गांव की कहानी काफी रोचक है. बुजुर्गों की माने तो 18वीं शताब्दी में यहां अंग्रेजों का शासन था. चंपारण में नील की खेती के लिए किसानों और मजदूरों पर अंग्रेज जुल्म ढाया करते थे.

कई बार गांव का दौरा
गांव का ही मोहना नाम का एक मजदूर इससे अजीज आकर उचित मजदूरी के लिए मजदूरों को संगठित कर अन्य जगहों पर काम के लिए ले जाने लगा. मजदूरों को अन्य जगह पर जाने-आने से गांव मोहना नाम से ही बुलाया जाने लगा. इसी बीच मजदूरों की कमी से चिंतित एक अंग्रेज अफसर लाल साहब ने इस गांव का दौरा किया. लेकिन यहां कोई पुरुष नहीं मिला. जिसके बाद अंग्रेज अफसर ने कई बार गांव का दौरा किया.

देखें पूरी रिपोर्ट

मजदूरों के बारे में जानकारी
इसी क्रम में एक दिन गांव में उपस्थित एक बूढ़ी महिला से अंग्रेज अफसर ने मजदूरों के बारे में जानना चाहा. बूढ़ी महिला ने गंवई भाषा में बताया कि कुल्ही (सभी) लोग काम पर गईल बा. यानी सभी लोग काम पर गये हैं. अफसर ने इसी कुल्ही शब्द को कुली समझ लिया यानी कुली लोग काम पर गए हैं.

गांव के लिए वरदान
थोड़े पैसों के लिए ग्रामीण इतनी दूर जाते हैं, यह सोचकर अंग्रेज अफसर लाल साहेब थोड़ा द्रवित हो गया और उसने यहां का राजस्व कम कर दिया. ताकि लोग गांव में ही रह कर मजदूरी करें. तब से इस गांव के नाम के आगे कुली जुड़ गया. इस गांव का नाम जिस मोहना नाम के व्यक्ति पर पड़ा, उनके वंशज श्रीकांत मिश्रा ने बताया कि कुली शब्द हमारे गांव के लिए अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है. आज इसी नाम के कारण हमें हमारे गांव को सबसे कम राजस्व देना पड़ता है.

क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
वरिष्ठ पत्रकार और स्थानीय निवासी मनोज मिश्रा ने बताया कि उनके पूर्वजों ने बताया था कि मोहना नाम के एक व्यक्ति के नाम पर इस गांव का नाम मोहनाकुली पड़ा. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए और हमारे गांव के लिए फक्र की बात है कि एक कुली शब्द जुड़ जाने से हमारे गांव के लोगों को कम राजस्व देना पड़ता है.

बता दें 1914 के सर्वे के नक्शे में इस गांव का नाम मोहनाकुली है. जो अब महनाकुली के नाम से जाना जाता है. गांव की आबादी लगभग दो हजार की है. बढ़ई टोला, खरदेव, जुल्हा टोला, मिश्र टोला, पुरनका टोला सभी इसी गांव के अंग है. इस गांव में शिक्षा की व्यवस्था भी अच्छी है.

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