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'लालू यादव के जंगलराज की याद दिलाता है..' बिहार की सड़कों को लेकर CM नीतीश पर बरसे प्रशांत किशोर - बिहार न्यूज

Bihar Politics बिहार की खस्ताहाल सड़कों को लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर निशाना साधा है. जन सुराज अभियान (Prashant Kishor Jan Suraj Yatra) के दौरान पश्चिमी चंपारण के बैरिया में प्रशांत किशोर ने बिहार की मौजूदा सड़कों की तुलना लालू यादव के जंगलराज से की. पढ़ें पूरी खबर

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर
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Published : Nov 8, 2022, 2:58 PM IST

पश्चिम चंपारण: चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत किशोर अब बिहार में अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं. इसी क्रम में उनकी जन सुराज पदयात्रा पश्चिमी चंपारण के बैरिया प्रखंड के तड़वा नंदपुर पहुंची (Prashant Kishor in west champaran). यहां प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा (prashant kishor attaked cm nitish). उन्होंने कहा कि, 'बिहार में मौजूदा ग्रामीण सड़कों की स्थिति लालू यादव के जंगलराज जैसी (Bihar roads reminds me of lalu jungle raj) है.'

ये भी पढ़ें: नेता क्षेत्र में आते ही नहीं हैं, तो आपकी स्थिति कौन सुधारेगा : प्रशांत किशोर

'लालू यादव के जंगलराज की याद दिलाता है..' : जन सुराज पदयात्रा के 38वें दिन प्रशांत किशोर बैरिया प्रखंड के तड़वा नंदपुर पहुंचे. यहां उन्होंने लोगों की समस्याओं पर बात की. उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को बालू और गिट्टी की उपलब्धता नहीं होने की वजह से सरकार से मिली किश्त की सारी रकम खुद ही देना पड़ता हैृ. पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि हमने देखा की बिहार की ग्रामीण सड़कों की हालत लालू जी के जंगलराज जैसी ही है.

"जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से वो हर रोज लगभग 20 से 25 किमी की दूरी तय कर रहे हैं. 3-4 दिन पर वो एक दिन रुक कर पदयात्रा के दौरान जिन गांवों और पंचायतों से वो गुजर रहे हैं, वहां की समस्याओं का संकलन करते हैं. ताकि पंचायत आधारित ब्लूप्रिंट बना कर उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जा सके." - प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार

'बिहार की राजनीति विकल्पहीन' : प्रशांत किशोर ने कहा, बिहार की राजनीति में एक अच्छा विकल्प न होने की वजह से लोग अपनी समर्थित पार्टियों को वोट नहीं करते जिसके वो समर्थक हैं, बल्कि लोग दूसरी पार्टी को हराने के लिए वोट कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को जन सुराज अभियान के पश्चिम चंपारण जिले का अधिवेशन बेतिया में होगा. जहां जिले के जन सुराज अभियान से जुड़े सभी लोग उपस्थित रहेंगे और लोकतांत्रिक तरीके से वोटिंग के माध्यम से तय करेंगे की दल बनना चाहिए या नहीं. साथ ही पश्चिम चंपारण जिले के सभी बड़ी समस्याओं पर भी मंथन कर उसकी प्राथमिकताएं और समाधान पर निर्णय होगा. पंचायत स्तर पर समस्याओं और समाधान का ब्लूप्रिंट भी तैयार किया जाएगा.

पश्चिम चंपारण में 277 रुपए की यूरिया 1200 में भी अनुपलब्ध: पश्चिम चंपारण जिले की समस्याओं पर विस्तार से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि वनराज अधिनियम लागू न होने की वजह से जिले जो पत्थर तोड़कर गिट्टी बनाने का काम चला रहा था वह अब समाप्त हो चुका है, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया नहीं हो पा रहा है. इस वजह से लोग 12-15 हजार की नौकरी के लिए लद्दाख से लेकर केरल तक जाने को मजबूर हैं. इसके साथ ही आगे उन्होंने कहा की पदयात्रा के दौरान किसानों ने उन्हें बताया कि जिले में यूरिया की जो मूल्य लागत ₹277 है, उसका उन्हें 800-1200₹ तक देने पड़ते हैं. लेकिन लोगों को इससे भी बड़ा कष्ट है कि 1200 रुपये देकर भी किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पाता.

शुगर मिलों में धांधली पर बोले pk : जिले की शुगर मिलों में धांधली पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि मिलों में गन्ना तौलते समय किसानों के गन्नों में 5 क्विंटल तक वजन कम कर दिया जाता. इसके साथ ही पश्चिम चंपारण में बीते 30-35 सालों में करीब सवा लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें अलग-अलग सरकारों द्वारा जमीन का पट्टा दिया गया है लेकिन जमीन का मालिकाना हक उन्हें आज तक नहीं मिला है.

पीके ने बताए यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य : बता दें कि प्रशांत किशोर ने अपनी 3500 किलोमीटर की पदयात्रा की शुरुआत पश्चिम चंपारण के भितिहारवा में गांधी आश्रम से की थी, जहां राष्ट्रपिता ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था. कहा गया है कि यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य हैं. जिसमें जमीनी स्तर पर सही लोगों की पहचान करना और उन्हें एक लोकतांत्रिक मंच पर लाना शामिल है. यह यात्रा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विचारों को शामिल करके राज्य के लिए एक विजन दस्तावेज बनाने का भी काम करेगी.

बिहार में राजनीतिक जमीन तलाश रहे प्रशांत किशोर: दरअसल, प्रशांत किशोर ने राजनीति में आने की अपनी घोषणा के दौरान पदयात्रा का जिक्र किया था. अब उसी संकल्प के तहत वे पदयात्रा निकाल रहे हैं. उन्होंने आने वाले 10 वर्षों में बिहार को देश के शीर्ष दस राज्यों में शामिल करने के संकल्प के साथ जन सुराज अभियान के तहत इस पदयात्रा से जुड़ने की अपील की है.

पश्चिम चंपारण: चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत किशोर अब बिहार में अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं. इसी क्रम में उनकी जन सुराज पदयात्रा पश्चिमी चंपारण के बैरिया प्रखंड के तड़वा नंदपुर पहुंची (Prashant Kishor in west champaran). यहां प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा (prashant kishor attaked cm nitish). उन्होंने कहा कि, 'बिहार में मौजूदा ग्रामीण सड़कों की स्थिति लालू यादव के जंगलराज जैसी (Bihar roads reminds me of lalu jungle raj) है.'

ये भी पढ़ें: नेता क्षेत्र में आते ही नहीं हैं, तो आपकी स्थिति कौन सुधारेगा : प्रशांत किशोर

'लालू यादव के जंगलराज की याद दिलाता है..' : जन सुराज पदयात्रा के 38वें दिन प्रशांत किशोर बैरिया प्रखंड के तड़वा नंदपुर पहुंचे. यहां उन्होंने लोगों की समस्याओं पर बात की. उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को बालू और गिट्टी की उपलब्धता नहीं होने की वजह से सरकार से मिली किश्त की सारी रकम खुद ही देना पड़ता हैृ. पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि हमने देखा की बिहार की ग्रामीण सड़कों की हालत लालू जी के जंगलराज जैसी ही है.

"जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से वो हर रोज लगभग 20 से 25 किमी की दूरी तय कर रहे हैं. 3-4 दिन पर वो एक दिन रुक कर पदयात्रा के दौरान जिन गांवों और पंचायतों से वो गुजर रहे हैं, वहां की समस्याओं का संकलन करते हैं. ताकि पंचायत आधारित ब्लूप्रिंट बना कर उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जा सके." - प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार

'बिहार की राजनीति विकल्पहीन' : प्रशांत किशोर ने कहा, बिहार की राजनीति में एक अच्छा विकल्प न होने की वजह से लोग अपनी समर्थित पार्टियों को वोट नहीं करते जिसके वो समर्थक हैं, बल्कि लोग दूसरी पार्टी को हराने के लिए वोट कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को जन सुराज अभियान के पश्चिम चंपारण जिले का अधिवेशन बेतिया में होगा. जहां जिले के जन सुराज अभियान से जुड़े सभी लोग उपस्थित रहेंगे और लोकतांत्रिक तरीके से वोटिंग के माध्यम से तय करेंगे की दल बनना चाहिए या नहीं. साथ ही पश्चिम चंपारण जिले के सभी बड़ी समस्याओं पर भी मंथन कर उसकी प्राथमिकताएं और समाधान पर निर्णय होगा. पंचायत स्तर पर समस्याओं और समाधान का ब्लूप्रिंट भी तैयार किया जाएगा.

पश्चिम चंपारण में 277 रुपए की यूरिया 1200 में भी अनुपलब्ध: पश्चिम चंपारण जिले की समस्याओं पर विस्तार से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि वनराज अधिनियम लागू न होने की वजह से जिले जो पत्थर तोड़कर गिट्टी बनाने का काम चला रहा था वह अब समाप्त हो चुका है, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया नहीं हो पा रहा है. इस वजह से लोग 12-15 हजार की नौकरी के लिए लद्दाख से लेकर केरल तक जाने को मजबूर हैं. इसके साथ ही आगे उन्होंने कहा की पदयात्रा के दौरान किसानों ने उन्हें बताया कि जिले में यूरिया की जो मूल्य लागत ₹277 है, उसका उन्हें 800-1200₹ तक देने पड़ते हैं. लेकिन लोगों को इससे भी बड़ा कष्ट है कि 1200 रुपये देकर भी किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पाता.

शुगर मिलों में धांधली पर बोले pk : जिले की शुगर मिलों में धांधली पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि मिलों में गन्ना तौलते समय किसानों के गन्नों में 5 क्विंटल तक वजन कम कर दिया जाता. इसके साथ ही पश्चिम चंपारण में बीते 30-35 सालों में करीब सवा लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें अलग-अलग सरकारों द्वारा जमीन का पट्टा दिया गया है लेकिन जमीन का मालिकाना हक उन्हें आज तक नहीं मिला है.

पीके ने बताए यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य : बता दें कि प्रशांत किशोर ने अपनी 3500 किलोमीटर की पदयात्रा की शुरुआत पश्चिम चंपारण के भितिहारवा में गांधी आश्रम से की थी, जहां राष्ट्रपिता ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था. कहा गया है कि यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य हैं. जिसमें जमीनी स्तर पर सही लोगों की पहचान करना और उन्हें एक लोकतांत्रिक मंच पर लाना शामिल है. यह यात्रा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विचारों को शामिल करके राज्य के लिए एक विजन दस्तावेज बनाने का भी काम करेगी.

बिहार में राजनीतिक जमीन तलाश रहे प्रशांत किशोर: दरअसल, प्रशांत किशोर ने राजनीति में आने की अपनी घोषणा के दौरान पदयात्रा का जिक्र किया था. अब उसी संकल्प के तहत वे पदयात्रा निकाल रहे हैं. उन्होंने आने वाले 10 वर्षों में बिहार को देश के शीर्ष दस राज्यों में शामिल करने के संकल्प के साथ जन सुराज अभियान के तहत इस पदयात्रा से जुड़ने की अपील की है.

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