बगहा: प्रधानमंत्री मित्र योजना के तहत देश के 12 जगहों पर मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने की योजना थी. जिसमें पश्चिमी चंपारण जिला का रतवल-धनहा भी शामिल था. दियारावर्ती इलाके के तीन प्रखंडों को मिलाकर 1719 एकड़ भूमि का चयन किया गया और कई दफा अधिकारियों के निरीक्षण के उपरांत इस जमीन पर मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा गया.
दो साल बाद भी कोई सुध नहीं: इस बाबत 30 अप्रैल 2022 को वस्त्र मंत्रालय की तीन सदस्यीय टीम ने इस स्थल का जायजा लिया था. लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बावजूद योजना हवा-हवाई साबित हुई. इस मामले में जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने बताया कि अभी स्थिति यथावत है और कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है.
रोजगार की आस में थे लोग: बता दें कि जब इस दियारावर्ती इलाके में मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने की योजना लोगों को मिली तो उन्हें काफी खुशी हुई कि इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. उन्हें लगा कि रोजी रोजगार के लिए परदेश नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन अब योजना खटाई में पढ़ने से इलाके के लोगों में काफी निराशा है.
मेगा टेक्सटाइल पार्क को लेकर राजनीति: वहीं इस योजना के हवा हवाई साबित होने पर जदयू और बीजेपी के जनप्रतिनिधि एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं. एक तरफ जहां जेडीयू एमएलसी भीष्म सहनी का कहना है कि "राज्य सरकार ने 1719 एकड़ जमीन चिन्हित और पैमाईश कर इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर कोई अग्रेतर कार्रवाई नहीं की. मामला वहां लंबित है तो बिहार सरकार क्या कर सकती है."
सदर विधायक राम सिंह का बयान: वहीं दूसरी तरफ भाजपा के बगहा सदर विधायक राम सिंह का कहना है कि "कोई क्या कहता है उस पर मत जाइए. यदि एनडीए गठबंधन की सरकार रहती और शाहनवाज हुसैन उद्योग मंत्री होते तो अब तक यह योजना धरातल पर उतर गई होती. इस योजना को लेकर मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से समाधान यात्रा और असेंबली दोनों जगहों पर प्रश्न किया लेकिन वे चुप्पी साध गए."
रस्साकस्सी की भेंट चढ़ी योजना: ऐसे में कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि इस योजना के फलीभूत नहीं होने से इलाके में रोजगार सृजन की उपलब्धि को एक बड़ा झटका लगा है. बहरहाल लोगों को अब भी इस योजना के धरातल पर उतरने का इंतजार है, उनका कहना है कि अगर मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित हो जाता तो उन्हें काफी लाभ मिलता.
"जमीन की नापी हुई थी. लेकिन अब लोग कह रहे हैं कि अब ये प्रोजेक्ट कहीं ओर चला गया है. अगर बन जाता तो कितना अच्छा होता. हमें रोजगार मिलता, बाहर क्यों जाते काम करने के लिए, यहीं पर अपने घर में रहकर परिवार को भी देखते और कामकाज भी करते."- स्थानीय
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