पश्चिम चंपारणः जन सुराज पदयात्रा के 46वें दिन आज बुधवार काे प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया एमजेके कॉलेज स्थित पदयात्रा कैंप से चलकर बेतिया (Prashant Kishore Padyatra in Bettiah) नगर निगम के वार्ड संख्या 23, 30, 31, 35, 7,1, 44, 6, बिनवालिया गांव होते हुए देर शाम को मझौलिया प्रखंड के सतभेरवा गांव पहुंचे. जहां पदयात्रियों ने रात्रि भोज और विश्राम किया. पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर और उनके साथ चल रहे सैकड़ों पदयात्रियों ने लगभग 16 किमी का सफर पैदल चलकर तय किया.
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पदयात्रियों का स्वागत कियाः आज सुबह जन सुराज पदयात्रा बेतिया के वार्ड संख्या 23 पहुंची. यहां स्थानीय लोगों ने प्रशांत किशोर सहित सभी पदयात्रियों का स्वागत किया. प्रशांत किशोर ने वार्ड संख्या 38 में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा प्रयास है कि रोजगार तलाशने के लिए बिहार के लोगों को अपना घर-परिवार और गांव छोड़कर न जाना पड़े. साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे अन्य राज्यों की सरकारों ने रोजगार की व्यवस्था की है, वहां के स्थानीय लोगो के लिए 12 से 15 हजार रुपये की नौकरी के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ता है. वैसी ही व्यवस्था हम बिहार में बनाना चाहते हैं और ये संभव है. कई स्थानों पर प्रशांत किशोर ने लोगों के साथ जन सुराज पर संवाद किया.
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बबूल का पेड़ लगाएंगे तो आम कैसे पाएंगे: पश्चिम चंपारण के बेतिया नगर निगम के वार्ड संख्या 38 में प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिम चंपारण में पिछले 30 सालों से सांसद और विधायक भाजपा का है. केंद्र में सरकार भाजपा की है. अभी कुछ दिनों पहले तक राज्य में भी भाजपा सरकार के साथ थी. पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि “मैं पदयात्रा के दौरान गांव-गांव में घूम रहा हूं तो देख रहा हूं की गरीबी का स्तर ऐसा है कि लोगों के तन पर कपड़े भी नहीं है. इस स्थिति का जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि आपका एक गलत व्यक्ति को किया हुआ वोट है.” जनता के समक्ष उदाहरण देते हुए कहा कि प्रशांत किशोर ने कहा कि जब आपने धान बोया है ,तो आप गेहूं कैसे काटेंगे अर्थात जब आप गलत व्यक्ति को चुनाव जीता कर भेज देते हैं तो उससे विकास की उम्मीद भी कैसे लगा सकते हैं.
महागठबंधन-भाजपा का पत्ता साफ हो जाएगा: "मेरा सपना बिहार का मुख्यमंत्री बनना नहीं है, मेरा सपना है कि अपने जीवन में ऐसा बिहार देख सकूं जहां मुंबई, गुजरात से लोग काम करने आएं. लोग कह रहे हैं कि आपने बहुत कठिन काम ले लिया है, यह कैसे संभव होगा. बिहार में इतनी जाति, बाहुबल, पैसा है, पहले से समीकरण है. तो मैं आपको बता देता हूं कि हम केवल यहां लड़ने नहीं आए हैं हम यहां लड़कर जीतने आए हैं. आगे उन्होंने कहा की अभी मुझे केवल 40 दिन हुए हैं और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि किसका वोट कटेगा. महागठबंधन का वोट कटेगा या भाजपा का वोट कटेगा. तो मैं आपको बता दूं कि जनता अगर एक बार जाग गई तो दोनों को काटकर अलग कर देगी"-प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार