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Dark Village of Bagaha: बगहा में बिजली पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये हुए खर्च, फिर भी यह गांव है 'डार्क विलेज'

बिहार के बगहा स्थित बलुआ ठोरी पंचायत (Balua Thori Panchayat of Bagaha) में लोग आज भी बिजली के लिए तरह रहे हैं. दियारावर्ती इलाके के इस गांव में लोग अंधेरा पहोने से पहले ही खाना बनाकर खा लेते हैं. बच्चे दिन में ही पढ़ पाते हैं, शाम होते ही वह बिना रोशनी के वो अपनी पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बगहा के गांव में बिजली संकट
बगहा के गांव में बिजली संकट
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Published : Feb 2, 2023, 1:43 PM IST

बगहा के गांव में बिजली संकट

बगहा: बिहार के बगहा में पिपरासी प्रखंड स्थित बलुआ ठोरी पंचायत में बिजली की समस्या (Electricity Problem in Balua Thori Panchayat) आज भी बरकरार है. बताया जा रहा है कि अनुमंडल मुख्यायल से महज 5 किमी दूर गंंडक नदी के दूसरे किनारे, दक्षिणी छोर पर बसे इस गांव में सोलर लाइट से वर्ष 2018 में बिजली की सीमित सप्लाई शुरू की गई थी. इस पहल से घर भी रोशन हुई लेकिन कुछ ही दिन बाद आपूर्ति ठप हो गई. दरअसल इस गांव को रौशन करने के लिए वर्ष 2018 में करोड़ों की लागत से सौरऊर्जा सोलर प्लांट लगाया गया लेकिन महज डेढ़ साल में ही इस प्लांट ने दम तोड़ दिया.

पढ़ें-अब आपको नहीं झेलनी पड़ेगी बिजली की समस्या, खत्म हुई परेशानी

मोमबत्ती से होता है गुजारा: अब हालत यह है कि इस सोलर प्लांट की क्षमता महज इतनी ही रह गई है की दिन में आधा घंटा बिजली आपूर्ति हो पाती है. जिससे लोग मोबाइल चार्ज कर पाते हैं. ग्रामीणों का कहना है की सरकार ने जन वितरण प्रणाली के माध्यम से किरासन तेल भी देना बंद कर दिया है. जिससे लालटेन या ढिबरी जलाने का ऑप्शन ही खत्म हो गया है. ऐसे में गांव में बसे पूरे परिवार के लोग दिन ढलने के पूर्व हीं खाना बनाकर खा लेते हैं ताकि रात के समय अंधेरा हो जाने पर दिक्कत नहीं हो. इतना हीं नहीं रात के समय बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि रात में रोशनी की बहुत जरूरत पड़ने पर वो मोमबत्ती और मोबाइल के लाइट अथवा टॉर्च का उपयोग करते हैं.

"जन वितरण प्रणाली के माध्यम से किरासन तेल भी देना बंद कर दिया है. जिससे लालटेन या ढिबरी जलाने का ऑप्शन ही खत्म हो गया है. ऐसे में गांव में बसे पूरे परिवार के लोग दिन ढलने के पूर्व हीं खाना बनाकर खा लेते हैं ताकि रात के समय अंधेरा हो जाने पर दिक्कत नहीं हो. इतना हीं नहीं रात के समय बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं." -राजू कुशवाहा, ग्रामीण


गांव में रहते हैं 4500 लोग: गंडक दियारावर्ती इलाके के इस बलुआ ठोरी पंचायत में सात वार्ड हैं, जहां तकरीबन 4500 लोग सपरिवार रहते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि रात के अंधेरे में किसी टॉर्च या मोबाईल की रोशनी में काम चलता है. दियारा का क्षेत्र होने के कारण जानवरों और चोरों का भी डर बना रहता है. वहीं कोई रात में गम्भीर रूप से बीमार पड़ जाए तो सुबह होने का इंतजार करना पड़ता है.

बगहा के गांव में बिजली संकट

बगहा: बिहार के बगहा में पिपरासी प्रखंड स्थित बलुआ ठोरी पंचायत में बिजली की समस्या (Electricity Problem in Balua Thori Panchayat) आज भी बरकरार है. बताया जा रहा है कि अनुमंडल मुख्यायल से महज 5 किमी दूर गंंडक नदी के दूसरे किनारे, दक्षिणी छोर पर बसे इस गांव में सोलर लाइट से वर्ष 2018 में बिजली की सीमित सप्लाई शुरू की गई थी. इस पहल से घर भी रोशन हुई लेकिन कुछ ही दिन बाद आपूर्ति ठप हो गई. दरअसल इस गांव को रौशन करने के लिए वर्ष 2018 में करोड़ों की लागत से सौरऊर्जा सोलर प्लांट लगाया गया लेकिन महज डेढ़ साल में ही इस प्लांट ने दम तोड़ दिया.

पढ़ें-अब आपको नहीं झेलनी पड़ेगी बिजली की समस्या, खत्म हुई परेशानी

मोमबत्ती से होता है गुजारा: अब हालत यह है कि इस सोलर प्लांट की क्षमता महज इतनी ही रह गई है की दिन में आधा घंटा बिजली आपूर्ति हो पाती है. जिससे लोग मोबाइल चार्ज कर पाते हैं. ग्रामीणों का कहना है की सरकार ने जन वितरण प्रणाली के माध्यम से किरासन तेल भी देना बंद कर दिया है. जिससे लालटेन या ढिबरी जलाने का ऑप्शन ही खत्म हो गया है. ऐसे में गांव में बसे पूरे परिवार के लोग दिन ढलने के पूर्व हीं खाना बनाकर खा लेते हैं ताकि रात के समय अंधेरा हो जाने पर दिक्कत नहीं हो. इतना हीं नहीं रात के समय बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि रात में रोशनी की बहुत जरूरत पड़ने पर वो मोमबत्ती और मोबाइल के लाइट अथवा टॉर्च का उपयोग करते हैं.

"जन वितरण प्रणाली के माध्यम से किरासन तेल भी देना बंद कर दिया है. जिससे लालटेन या ढिबरी जलाने का ऑप्शन ही खत्म हो गया है. ऐसे में गांव में बसे पूरे परिवार के लोग दिन ढलने के पूर्व हीं खाना बनाकर खा लेते हैं ताकि रात के समय अंधेरा हो जाने पर दिक्कत नहीं हो. इतना हीं नहीं रात के समय बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं." -राजू कुशवाहा, ग्रामीण


गांव में रहते हैं 4500 लोग: गंडक दियारावर्ती इलाके के इस बलुआ ठोरी पंचायत में सात वार्ड हैं, जहां तकरीबन 4500 लोग सपरिवार रहते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि रात के अंधेरे में किसी टॉर्च या मोबाईल की रोशनी में काम चलता है. दियारा का क्षेत्र होने के कारण जानवरों और चोरों का भी डर बना रहता है. वहीं कोई रात में गम्भीर रूप से बीमार पड़ जाए तो सुबह होने का इंतजार करना पड़ता है.

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