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'मन की बात' में पीएम मोदी ने की इस गांव के प्रमोद बैठा की तारीफ, जानें वजह - Technician

प्रमोद बैठा और उनकी पत्नी संजू देवी ने बताया कि दिल्ली से घर आकर इस काम के शुरुआती दौर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. धीरे-धीरे सफलता मिली. प्रमोद के अनुसार जब कारखाना लगाने में पैसे की कमी आई तो उसकी पत्नी ने उसका साथ दिया. अब पीएम मोदी ने उनके नाम का जिक्र किया है तो उन्हें भी हौसला मिला है.

आपदा में अवसर
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Published : Feb 28, 2021, 5:38 PM IST

बेतिया: मझौलिया प्रखंड के एक छोटे से गांव को बड़ी पहचान मिली है. आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश करने वाले प्रमोद बैठा का पीएम मोदी ने मन की बात के कार्यक्रम में जिक्र किया है. मझौलिया प्रखंड के रतनमाला पंचायत के रहने वाले प्रमोद बैठा और उनकी पत्नी संजू देवी ने आत्मनिर्भरता का उदाहरण पेश किया है. दोनों पति-पत्नी लॉकडाउन से पहले दिल्ली में मजदूरी का काम करते थे. आज यह अपने प्रदेश में उद्यमी बन गए हैं. बगैर सरकारी मदद के ये मजदूर से मालिक बन गए हैं. प्रमोद बैठा ने दर्जनों युवाओं को रोजगार भी दिया है. लेकिन अब प्रमोद बैठा को सरकारी मदद की दरकार है.

मनोज बैठा का पीएम ने किया जिक्र
मनोज बैठा का पीएम ने किया जिक्र

ये भी पढ़ें- आत्मनिर्भरता की मिसालः कभी थे फैक्ट्री में टेक्नीशियन, आज हैं फैक्ट्री मालिक, PM मोदी ने भी की तारीफ

आंखों में भरे खुशी के आंसू
मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मझौलिया के प्रमोद बैठा की चर्चा कर रहे थे. उस समय प्रमोद रक्सौल में थे. वह रक्सौल में दुकानदारों को एलईडी बल्ब की सप्लाई देने गए थे. उन्होंने बताया कि उन्हें फोन पर जानकारी मिली की मन की बात में प्रधानमंत्री ने उनके नाम का जिक्र किया है. तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ, बाद में मन की बात की ऑडियो क्लिप सुनाई गई. प्रधानमंत्री के मुंह से अपनी तारीफ सुन उनकी आंखों में खुशी के आंसू भर गए.

पीएम के जिक्र के बाद प्रमोद बैठा से बातचीत

सोचा भी नहीं था पीएम लेंगे नाम
प्रमोद ने बताया कि उसने सोचा भी नहीं था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसके नाम का जिक्र करेंगे. इसे सुन कितनी खुशी है कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. यह उसके जीवन का ऐतिहासिक पल है. जिसे जीवन भर याद रखेंगे. प्रमोद के गांव रतन माला पंचायत के उत्तम टोला में दिनभर प्रमोद की ही चर्चा होती रही. प्रमोद ने बताया दोपहर करीब 3:00 में सरिसवा बाजार में पहुंचा तो लोगों ने उन्हें घेर लिया और बधाई देने लगे. लोगों ने कहा कि प्रमोद के कारण पूरे जिले का मान बढ़ा है. प्रधानमंत्री ने हौसला अफजाई की है. इसका असर दूसरे कारीगरों पर भी पड़ेगा.

पीएम मोदी ने किया जिक्र

ये भी पढ़ें- दिल्ली में बिहार एग्जीबिशन का शुभारंभ, बोले उद्योग मंत्री- 'मेक इन बिहार' को देना है बढ़ावा

घर में ही खोला कारखाना
मझौलिया प्रखंड के रतनमाला पंचायत के रहने वाले प्रमोद बैठा अपने हुनर और आत्मविश्वास के साथ अपने घर रतनमाला में ही एलईडी बल्ब बनाने का एक छोटा सा कारखाना लगा चुके हैं. गांव के ही दर्जनों युवाओं को रोजगार भी दिया है. प्रतिदिन प्रमोद बैठा के इस छोटे से कारखाने में 1000 एलईडी बल्ब बनकर तैयार होता है. प्रमोद बैठा पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण के दुकानों में एलईडी बल्ब का सप्लाई करते हैं. प्रमोद बैठा के इस कारोबार में उनकी पत्नी भी साथ देती है.

कारखाने में काम करता मजदूर
कारखाने में काम करता मजदूर

प्रति बल्ब दो रुपए कमाते हैं मुनाफा
प्रमोद बैठा ने बताया कि एक बल्ब बनाने में उनको 12 रुपये की लागत आती है और मार्केट में वह 14 से 15 रुपये में बेचते हैं. बता दें कि प्रति बल्ब प्रमोद 2 रुपये मुनाफा कमाते हैं. प्रतिदिन 1000 बल्ब का जो मार्केट है, वह रामनगर, नरकटियागंज, बेतिया, बगहा, पूर्वी चंपारण के सुगौली, अरेराज और रक्सौल तक प्रतिदिन जाती है. प्रमोद का कहना है कि मार्केट से 5000 बल्ब की प्रतिदिन डिमांड है. लेकिन पूंजी के अभाव में अभी वे महज एक हजार बल्ब ही रोजाना बना पाते है. इससे बाजार का ऑर्डर पूरा नहीं हो पाता. उनके हिसाब से कम से कम 5000 बल्ब प्रतिदिन उत्पाद होना चाहिए. तब जाकर बाजार का डिमांड पूरा होगा.

मनोज बैठा और उनकी पत्नी
मनोज बैठा और उनकी पत्नी

ये भी पढ़ें- बौखलाहट में ममता बनर्जी कर रही हैं बयानबाजी, इस बार बीजेपी की बनेगी सरकार -रामकृपाल यादव

जागी है एक उम्मीद
प्रमोद बैठा का कहना है कि हमें पूर्ण विश्वास है कि जिला पदाधिकारी हमारे कारोबार पर संज्ञान लेंगे और हमें भी सरकारी मदद देंगे. क्योंकि मोदी जी का जो मूल मंत्र था आत्मनिर्भर भारत का. हमने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. लेकिन जरूरत है, इस कारखाने को आगे बढ़ाने की. ताकि मेरा उत्पाद बढ़ सके और मैं ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को काम दे सकूं.

प्रमोद बैठा और उनकी पत्नी
प्रमोद बैठा और उनकी पत्नी

बेतिया: मझौलिया प्रखंड के एक छोटे से गांव को बड़ी पहचान मिली है. आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश करने वाले प्रमोद बैठा का पीएम मोदी ने मन की बात के कार्यक्रम में जिक्र किया है. मझौलिया प्रखंड के रतनमाला पंचायत के रहने वाले प्रमोद बैठा और उनकी पत्नी संजू देवी ने आत्मनिर्भरता का उदाहरण पेश किया है. दोनों पति-पत्नी लॉकडाउन से पहले दिल्ली में मजदूरी का काम करते थे. आज यह अपने प्रदेश में उद्यमी बन गए हैं. बगैर सरकारी मदद के ये मजदूर से मालिक बन गए हैं. प्रमोद बैठा ने दर्जनों युवाओं को रोजगार भी दिया है. लेकिन अब प्रमोद बैठा को सरकारी मदद की दरकार है.

मनोज बैठा का पीएम ने किया जिक्र
मनोज बैठा का पीएम ने किया जिक्र

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आंखों में भरे खुशी के आंसू
मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मझौलिया के प्रमोद बैठा की चर्चा कर रहे थे. उस समय प्रमोद रक्सौल में थे. वह रक्सौल में दुकानदारों को एलईडी बल्ब की सप्लाई देने गए थे. उन्होंने बताया कि उन्हें फोन पर जानकारी मिली की मन की बात में प्रधानमंत्री ने उनके नाम का जिक्र किया है. तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ, बाद में मन की बात की ऑडियो क्लिप सुनाई गई. प्रधानमंत्री के मुंह से अपनी तारीफ सुन उनकी आंखों में खुशी के आंसू भर गए.

पीएम के जिक्र के बाद प्रमोद बैठा से बातचीत

सोचा भी नहीं था पीएम लेंगे नाम
प्रमोद ने बताया कि उसने सोचा भी नहीं था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसके नाम का जिक्र करेंगे. इसे सुन कितनी खुशी है कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. यह उसके जीवन का ऐतिहासिक पल है. जिसे जीवन भर याद रखेंगे. प्रमोद के गांव रतन माला पंचायत के उत्तम टोला में दिनभर प्रमोद की ही चर्चा होती रही. प्रमोद ने बताया दोपहर करीब 3:00 में सरिसवा बाजार में पहुंचा तो लोगों ने उन्हें घेर लिया और बधाई देने लगे. लोगों ने कहा कि प्रमोद के कारण पूरे जिले का मान बढ़ा है. प्रधानमंत्री ने हौसला अफजाई की है. इसका असर दूसरे कारीगरों पर भी पड़ेगा.

पीएम मोदी ने किया जिक्र

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घर में ही खोला कारखाना
मझौलिया प्रखंड के रतनमाला पंचायत के रहने वाले प्रमोद बैठा अपने हुनर और आत्मविश्वास के साथ अपने घर रतनमाला में ही एलईडी बल्ब बनाने का एक छोटा सा कारखाना लगा चुके हैं. गांव के ही दर्जनों युवाओं को रोजगार भी दिया है. प्रतिदिन प्रमोद बैठा के इस छोटे से कारखाने में 1000 एलईडी बल्ब बनकर तैयार होता है. प्रमोद बैठा पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण के दुकानों में एलईडी बल्ब का सप्लाई करते हैं. प्रमोद बैठा के इस कारोबार में उनकी पत्नी भी साथ देती है.

कारखाने में काम करता मजदूर
कारखाने में काम करता मजदूर

प्रति बल्ब दो रुपए कमाते हैं मुनाफा
प्रमोद बैठा ने बताया कि एक बल्ब बनाने में उनको 12 रुपये की लागत आती है और मार्केट में वह 14 से 15 रुपये में बेचते हैं. बता दें कि प्रति बल्ब प्रमोद 2 रुपये मुनाफा कमाते हैं. प्रतिदिन 1000 बल्ब का जो मार्केट है, वह रामनगर, नरकटियागंज, बेतिया, बगहा, पूर्वी चंपारण के सुगौली, अरेराज और रक्सौल तक प्रतिदिन जाती है. प्रमोद का कहना है कि मार्केट से 5000 बल्ब की प्रतिदिन डिमांड है. लेकिन पूंजी के अभाव में अभी वे महज एक हजार बल्ब ही रोजाना बना पाते है. इससे बाजार का ऑर्डर पूरा नहीं हो पाता. उनके हिसाब से कम से कम 5000 बल्ब प्रतिदिन उत्पाद होना चाहिए. तब जाकर बाजार का डिमांड पूरा होगा.

मनोज बैठा और उनकी पत्नी
मनोज बैठा और उनकी पत्नी

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जागी है एक उम्मीद
प्रमोद बैठा का कहना है कि हमें पूर्ण विश्वास है कि जिला पदाधिकारी हमारे कारोबार पर संज्ञान लेंगे और हमें भी सरकारी मदद देंगे. क्योंकि मोदी जी का जो मूल मंत्र था आत्मनिर्भर भारत का. हमने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. लेकिन जरूरत है, इस कारखाने को आगे बढ़ाने की. ताकि मेरा उत्पाद बढ़ सके और मैं ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को काम दे सकूं.

प्रमोद बैठा और उनकी पत्नी
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