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बेतिया: बाढ़ की भेंट चढ़ा चचरी पुल, ग्रामीणों ने कहा- पुल नहीं तो वोट नहीं - बेतिया पुल की मांग को लेकर हंगामा

डुमरी महनवा पंचायत के लोगों के लिए आवागमन का एक मात्र साधन चचरी पुल बाढ़ के पानी में बह जाने से ग्रामीण नाराज हैं. ग्रामीणों ने सड़क और पुल बनवाने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया है. लोगों का कहना है कि इस बार अगर उनके इलाके में रोड या पुल नहीं बना तो वो सभी किसी भी नेता को वोट नहीं देंगे.

people of dumri mahanava said No bridge no vote
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Published : Aug 13, 2020, 12:50 PM IST

बेतिया: जिले के मझौलिया प्रखंड के डुमरी महनवा पंचायत के लोगों के लिए आवागमन का एक मात्र साधन चचरी पुल बाढ़ के पानी में बह चुका है. इससे ग्रामीणों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है. इस बाढ़ से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. लोग यहां पर पुल बनाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

बाढ़ के कारण गांव में फंसे लोगों ने बताया कि उन्हें जरूरत के सामनों के लिए भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. चचरी पुल के बह जाने से ग्रामीण गांव में फंसे हुए हैं. साथ ही लोगों ने गुस्सा जताते हुए कहा कि कई बार जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत करवाया गया, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया. हमारी समस्या जस की तस है.

पेश है रिपोर्ट

'चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं नेता'
इसके अलावा लोगों ने कहा कि चुनाव के समय नेता और उसके कार्यकर्ता वोट लेने के लिए आते हैं. वो सभी यहां पुल और सड़क बनवाने का वादा कर वोट ले लेते हैं, लेकिन होता कुछ भी नहीं है. वो सभी चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं. इसीलिए इस बार के विधानसभा चुनाव में ग्रामीणों ने रोड़ नहीं तो वोट नहीं देने का फैसला किया है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी मांगे पूरी की जाती है तो वो वोट करेंगे, नहीं तो किसी भी जनप्रतिनिधि को वोट नहीं करेंगे.

बेतिया: जिले के मझौलिया प्रखंड के डुमरी महनवा पंचायत के लोगों के लिए आवागमन का एक मात्र साधन चचरी पुल बाढ़ के पानी में बह चुका है. इससे ग्रामीणों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है. इस बाढ़ से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. लोग यहां पर पुल बनाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

बाढ़ के कारण गांव में फंसे लोगों ने बताया कि उन्हें जरूरत के सामनों के लिए भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. चचरी पुल के बह जाने से ग्रामीण गांव में फंसे हुए हैं. साथ ही लोगों ने गुस्सा जताते हुए कहा कि कई बार जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत करवाया गया, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया. हमारी समस्या जस की तस है.

पेश है रिपोर्ट

'चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं नेता'
इसके अलावा लोगों ने कहा कि चुनाव के समय नेता और उसके कार्यकर्ता वोट लेने के लिए आते हैं. वो सभी यहां पुल और सड़क बनवाने का वादा कर वोट ले लेते हैं, लेकिन होता कुछ भी नहीं है. वो सभी चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं. इसीलिए इस बार के विधानसभा चुनाव में ग्रामीणों ने रोड़ नहीं तो वोट नहीं देने का फैसला किया है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी मांगे पूरी की जाती है तो वो वोट करेंगे, नहीं तो किसी भी जनप्रतिनिधि को वोट नहीं करेंगे.

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