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बगहा: पानी की किल्लत से लोग परेशान, नल-जल योजना का अधूरा काम छोड़ संवेदक फरार - Water crisis in front of people in Bagaha

इंडो-नेपाल सीमा के पास वाल्मीकिनगर स्थित 3 नंबर पहाड़ कॉलोनी में लोगों को पीने के पानी की समस्या हो रही है. यहां पर नल जल योजना का कार्य करवा रहे संवेदक अधूरा कार्य छोड़कर फरार हो गया. इस वजह से स्थानीय ग्रामीण उपस्वास्थ्य केंद्र वाल्मीकिनगर के निकट लगे एकलौते हैंडपम्प पर पानी के लिए निर्भर रहते हैं.

People are troubled due to water problem in Bagaha
पानी की समस्या
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Published : Apr 27, 2021, 6:58 PM IST

बगहा: भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित वाल्मीकिनगर के ऊपरी शिविर 3 नम्बर पहाड़ कॉलोनी में इन दिनों पेयजल का संकट हो गया है. यहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा उपस्वास्थ्य केंद्र वाल्मीकिनगर के निकट स्थित एकलौते हैंडपम्प पर पानी के लिए निर्भर है. वहीं, इस इलाके में नल जल योजना का कार्य करवा रहा संवेदक कार्य पूरा होने से पहले ही फरार हो गया.

ये भी पढ़ें- जानिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में पटनावासियों के पानी का दर्द, निगम के दावे हवा हवाई

दरअसल, तीन नंबर पहाड़ पर गुजर बसर कर रहे लोगों के लिए नल जल योजना अंतर्गत पानी टंकी का निर्माण कराया जा रहा था. लेकिन इस कॉलोनी के जीरो स्टार्टिंग पॉइंट पर काम अधूरा छोड़ संवेदक फरार हो गया है. इस कारण पानी की किल्लत से लोगों को दो चार होना पड़ रहा है.

पीएचईडी विभाग के जिम्मे था कार्य
बता दें कि नल जल योजना के तहत वाटर टंकी का निर्माण कार्य सरकार ने पीएचईडी विभाग के जिम्मे सौंपा था. वहीं, पीएचईडी विभाग टेंडर के जरिए कार्य को पूर्ण करा रहा था. पहाड़ी इलाका होने की वजह से संवेदक ने तीन जगहों पर 200 से 300 फीट तक नीचे बोरवेल ड्रिलिंग की इसके बावजूद वाटर लेवल नहीं मिला, लिहाजा संवेदक कार्य अधूरा छोड़कर फरार हो गया. अब इलाके के लोगों को एक बार फिर से एक हैंडपम्प पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

सुबह शाम पानी सप्लाई के भरोसे रहते हैं ग्रामीण
जल संसाधन विभाग की ओर से निर्मित गण्डक कॉलोनी में लोग दशकों से रहते आ रहे हैं. इन सभी कॉलोनियों में पीएचईडी विभाग सुबह शाम पानी की सप्लाई करता है. लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यहां पीने लायक पानी नहीं आता है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पहाड़ पर ही विभाग ने 500 फीट तक बोरवेल ड्रिलिंग कर पानी निकाला और एक पानी टैंक बनाया है. इससे पानी गेस्ट हाउस समेत पर्यटकों के उपयोग में आता है. यदि संवेदक ने उतना गहरा ही पाइलिंग करवाया होता तो जरूर पानी का लेवल मिल जाता. इससे हमलोगों की परेशानी समाप्त हो जाती.

पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर
इस इलाके के लोगों की सबसे बड़ी बदनसीबी यह है कि पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से कहीं भी हैंडपम्प नहीं है. लिहाजा पीने के पानी के लिए पहाड़ के नीचे स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र के सामने लगे एकलौते हैंडपम्प का सहारा लेना पड़ता है. यहां पर पानी लेने के लिए अन्य कॉलोनियों के लोगों की भी लंबी लाइन लगी होती है. इससे पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है.

बगहा: भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित वाल्मीकिनगर के ऊपरी शिविर 3 नम्बर पहाड़ कॉलोनी में इन दिनों पेयजल का संकट हो गया है. यहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा उपस्वास्थ्य केंद्र वाल्मीकिनगर के निकट स्थित एकलौते हैंडपम्प पर पानी के लिए निर्भर है. वहीं, इस इलाके में नल जल योजना का कार्य करवा रहा संवेदक कार्य पूरा होने से पहले ही फरार हो गया.

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दरअसल, तीन नंबर पहाड़ पर गुजर बसर कर रहे लोगों के लिए नल जल योजना अंतर्गत पानी टंकी का निर्माण कराया जा रहा था. लेकिन इस कॉलोनी के जीरो स्टार्टिंग पॉइंट पर काम अधूरा छोड़ संवेदक फरार हो गया है. इस कारण पानी की किल्लत से लोगों को दो चार होना पड़ रहा है.

पीएचईडी विभाग के जिम्मे था कार्य
बता दें कि नल जल योजना के तहत वाटर टंकी का निर्माण कार्य सरकार ने पीएचईडी विभाग के जिम्मे सौंपा था. वहीं, पीएचईडी विभाग टेंडर के जरिए कार्य को पूर्ण करा रहा था. पहाड़ी इलाका होने की वजह से संवेदक ने तीन जगहों पर 200 से 300 फीट तक नीचे बोरवेल ड्रिलिंग की इसके बावजूद वाटर लेवल नहीं मिला, लिहाजा संवेदक कार्य अधूरा छोड़कर फरार हो गया. अब इलाके के लोगों को एक बार फिर से एक हैंडपम्प पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

सुबह शाम पानी सप्लाई के भरोसे रहते हैं ग्रामीण
जल संसाधन विभाग की ओर से निर्मित गण्डक कॉलोनी में लोग दशकों से रहते आ रहे हैं. इन सभी कॉलोनियों में पीएचईडी विभाग सुबह शाम पानी की सप्लाई करता है. लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यहां पीने लायक पानी नहीं आता है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पहाड़ पर ही विभाग ने 500 फीट तक बोरवेल ड्रिलिंग कर पानी निकाला और एक पानी टैंक बनाया है. इससे पानी गेस्ट हाउस समेत पर्यटकों के उपयोग में आता है. यदि संवेदक ने उतना गहरा ही पाइलिंग करवाया होता तो जरूर पानी का लेवल मिल जाता. इससे हमलोगों की परेशानी समाप्त हो जाती.

पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर
इस इलाके के लोगों की सबसे बड़ी बदनसीबी यह है कि पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से कहीं भी हैंडपम्प नहीं है. लिहाजा पीने के पानी के लिए पहाड़ के नीचे स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र के सामने लगे एकलौते हैंडपम्प का सहारा लेना पड़ता है. यहां पर पानी लेने के लिए अन्य कॉलोनियों के लोगों की भी लंबी लाइन लगी होती है. इससे पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है.

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