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Bagaha News: 'स्कूल में ही बने मिड डे मील.. तभी खाएंगे बच्चे', अभिभावकों का स्कूल में प्रदर्शन

बिहार के बगहा में मिड डे मील को लेकर अब अभिभावक बगावत पर उतर आए हैं. शनिवार को राजकीय मध्य विद्यालय रतनमाला में छात्र छात्राओं के अभिभावकों ने अपने बच्चों को मिड डे मील का खाना नहीं खाने दिया और खाने की एनजीओ द्वारा सप्लाई का विरोध किया.

Parents protest against mid day meal in Bagaha
Parents protest against mid day meal in Bagaha
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Published : Jun 3, 2023, 2:06 PM IST

अभिभावकों ने स्कूल परिसर में किया हंगामा

बगहा: राजकीय मध्य विद्यालय बरवल में मिड डे मील खाने के बाद गुरुवार को सैकड़ों बच्चों की तबीयत बिगड़ गई थी, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मिड डे मील के खाने में लगातार मिल रही शिकायतों के बाद अभिभावकों ने मोर्चा खोल दिया है. अभिभावकों ने शनिवार को राजकीय मध्य विद्यालय रतनमाला में विरोध प्रदर्शन किया.

पढ़ें- Bihar News: मिड डे मील का खाना खाने से 150 बच्चे बीमार, स्कूल में परिजनों का हंगामा

अभिभावकों ने स्कूल परिसर में किया हंगामा: अभिभावकों के बीच एनजीओ द्वारा मिड डे मील का भोजन सप्लाई करने को लेकर गहरी नाराजगी है. अभिभावकों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया और अपने बच्चों को खाना खाने नहीं दिया. अभिभावकों की मांग है कि पूर्व की तरह शिक्षकों की देख-रेख में विद्यालय प्रांगण में ही खाना बने. तभी उनके बच्चे मिड डे मील का खाना खाएंगे या फिर कोई दूसरी व्यवस्था की जाए.

बोले अभिभावक-' स्कूल में ही बने मिड डे मील का खाना': दरअसल अभिभावकों का कहना है कि एक एनजीओ द्वारा बगहा अनुमंडल क्षेत्र के 128 विद्यालयों में मिड डे मील का खाना आपूर्ति किया जाता है. इस हिसाब से एनजीओ द्वारा प्रतिदिन तकरीबन 11 हजार बच्चों के लिए खाना बनाया जाता है. ऐसे में आशंका है कि रात का बासी खाना भी एनजीओ द्वारा आपूर्ति किया जाता होगा. यही वजह है कि बच्चों को फूड प्वाइजनिंग की शिकायत मिल रही है. उनके बच्चे यह खाना खाकर बीमार पड़ रहे हैं.

"जो खाना एनजीओ द्वारा भेजा जाता है उसे बंद किया जाए और स्कूल में ही खाना पकाने की व्यवस्था की जाए. सरकार व्यवस्था करें या बच्चों को राशन दे दिया जाए. जो खाना बच्चों के लिए सप्लाई किया जा रहा है, वह गुणवत्तापूर्ण नहीं है. बच्चे उस खाना को खाकर बीमार पड़ रहे हैं."- राजकिशोर प्रसाद, अभिभावक

"हमलोग आज प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि स्कूल में कोई भी काम सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. ना पढ़ाई अच्छी है और ना ही खाना. पहले जो खाना स्कूल में बन रहा था उसे खाकर बच्चे ठीक रहते थे. जब से बाहर से खाने की सप्लाई हो रही है बच्चों की तबीयत खराब हो रही है."- कुलदीप कुमार सोनी, अभिभावक

बाहर से खाना सप्लाई पर रोक की मांग: बता दें की एनजीओ द्वारा सुबह 8 से 10 बजे के बीच सभी 128 विद्यालयों में खाने की आपूर्ति की जाती है. यह खाना एनजीओ द्वारा एक ही जगह बनाया जाता है. ऐसे में अभिभावकों का मानना है कि देर रात से ही एनजीओ द्वारा खाना बनाना शुरू कर दिया जाता होगा. लिहाजा खाना की गुणवत्ता बिल्कुल खराब हो जाती होगी. यही वजह है कि अभिभावक चाहते हैं कि मिड डे मील पूर्व की भांति स्कूल में ही शिक्षकों की निगरानी में बने.

राजकीय मध्य विद्यालय रतनमाला के प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बताया की

विद्यालय में तकरीबन 40 से ज्यादा अभिभावक पहुंचे और एनजीओ द्वारा लाए गए मिड डे मील भोजन को अपने बच्चों को नहीं खाने दिया. सभी स्कूल में ही खाना बनाने की मांग कर रहे हैं. हमने अभिभावकों को आश्वासन दिया कि उनकी यह मांग वरीय पदाधिकारियों तक पहुंचा दी जाएगी.- मुन्ना कुमार, प्रभारी प्रधानाध्यापक

अभिभावकों ने स्कूल परिसर में किया हंगामा

बगहा: राजकीय मध्य विद्यालय बरवल में मिड डे मील खाने के बाद गुरुवार को सैकड़ों बच्चों की तबीयत बिगड़ गई थी, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मिड डे मील के खाने में लगातार मिल रही शिकायतों के बाद अभिभावकों ने मोर्चा खोल दिया है. अभिभावकों ने शनिवार को राजकीय मध्य विद्यालय रतनमाला में विरोध प्रदर्शन किया.

पढ़ें- Bihar News: मिड डे मील का खाना खाने से 150 बच्चे बीमार, स्कूल में परिजनों का हंगामा

अभिभावकों ने स्कूल परिसर में किया हंगामा: अभिभावकों के बीच एनजीओ द्वारा मिड डे मील का भोजन सप्लाई करने को लेकर गहरी नाराजगी है. अभिभावकों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया और अपने बच्चों को खाना खाने नहीं दिया. अभिभावकों की मांग है कि पूर्व की तरह शिक्षकों की देख-रेख में विद्यालय प्रांगण में ही खाना बने. तभी उनके बच्चे मिड डे मील का खाना खाएंगे या फिर कोई दूसरी व्यवस्था की जाए.

बोले अभिभावक-' स्कूल में ही बने मिड डे मील का खाना': दरअसल अभिभावकों का कहना है कि एक एनजीओ द्वारा बगहा अनुमंडल क्षेत्र के 128 विद्यालयों में मिड डे मील का खाना आपूर्ति किया जाता है. इस हिसाब से एनजीओ द्वारा प्रतिदिन तकरीबन 11 हजार बच्चों के लिए खाना बनाया जाता है. ऐसे में आशंका है कि रात का बासी खाना भी एनजीओ द्वारा आपूर्ति किया जाता होगा. यही वजह है कि बच्चों को फूड प्वाइजनिंग की शिकायत मिल रही है. उनके बच्चे यह खाना खाकर बीमार पड़ रहे हैं.

"जो खाना एनजीओ द्वारा भेजा जाता है उसे बंद किया जाए और स्कूल में ही खाना पकाने की व्यवस्था की जाए. सरकार व्यवस्था करें या बच्चों को राशन दे दिया जाए. जो खाना बच्चों के लिए सप्लाई किया जा रहा है, वह गुणवत्तापूर्ण नहीं है. बच्चे उस खाना को खाकर बीमार पड़ रहे हैं."- राजकिशोर प्रसाद, अभिभावक

"हमलोग आज प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि स्कूल में कोई भी काम सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. ना पढ़ाई अच्छी है और ना ही खाना. पहले जो खाना स्कूल में बन रहा था उसे खाकर बच्चे ठीक रहते थे. जब से बाहर से खाने की सप्लाई हो रही है बच्चों की तबीयत खराब हो रही है."- कुलदीप कुमार सोनी, अभिभावक

बाहर से खाना सप्लाई पर रोक की मांग: बता दें की एनजीओ द्वारा सुबह 8 से 10 बजे के बीच सभी 128 विद्यालयों में खाने की आपूर्ति की जाती है. यह खाना एनजीओ द्वारा एक ही जगह बनाया जाता है. ऐसे में अभिभावकों का मानना है कि देर रात से ही एनजीओ द्वारा खाना बनाना शुरू कर दिया जाता होगा. लिहाजा खाना की गुणवत्ता बिल्कुल खराब हो जाती होगी. यही वजह है कि अभिभावक चाहते हैं कि मिड डे मील पूर्व की भांति स्कूल में ही शिक्षकों की निगरानी में बने.

राजकीय मध्य विद्यालय रतनमाला के प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बताया की

विद्यालय में तकरीबन 40 से ज्यादा अभिभावक पहुंचे और एनजीओ द्वारा लाए गए मिड डे मील भोजन को अपने बच्चों को नहीं खाने दिया. सभी स्कूल में ही खाना बनाने की मांग कर रहे हैं. हमने अभिभावकों को आश्वासन दिया कि उनकी यह मांग वरीय पदाधिकारियों तक पहुंचा दी जाएगी.- मुन्ना कुमार, प्रभारी प्रधानाध्यापक

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