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बगहा: आर्थिक तंगी से जूझ रहे आर्केस्ट्रा संचालक और कलाकार, लड़कियों के पास घर वापसी के लिए नहीं हैं पैसे

पिछले साल की तरह ही इस बार भी आर्केस्ट्रा से जुड़े लोग परेशान हैं. दरअसल कोरोना की दूसरी लहर की वजह से बिहार में लॉकडाउन लागू है. इस दौरान राज्य सरकार ने कई प्रतिबंध लगा दिए है. शादी समारोह में डीजे और आर्केस्ट्रा के आयोजन पर भी प्रतिबंध है. जिसके कारण आर्केस्ट्रा में काम करने वाले लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

orchestra artists upset in bagha
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Published : May 17, 2021, 5:58 PM IST

पश्चिम चंपारण(बगहा): जिले में संचालित हो रहे सैकड़ों आर्केस्ट्रा संचालकों समेत इसमें काम करने वाले कलाकारों की हालत लॉकडाउन के कारण दिन ब दिन खराब होती जा रही है. इसकी वजह से एक तरफ संचालकों के सामने कलाकारों के राशन पानी का खर्चा उठाना मुश्किल हो गया है. वहीं दूसरी तरफ इसमें नृत्य करने वाली लड़कियों के पास इतने पैसे भी नहीं है कि वे वापस अपने घर लौट सकें.

orchestra artists upset in bagha
लॉकडाउन में धूल फांकती आर्केस्ट्रा वाहन

यह भी पढ़ें- बगहाः शादी समारोह में आर्केस्ट्रा का आयोजन, पुलिस को खबर तक नहीं, फिर डीएम ने लिया संज्ञान

लॉकडाउन ने तोड़ी संचालकों की कमर
पश्चिमी चंपारण में आर्केस्ट्रा का चलन काफी ज्यादा है. शादी समारोह के दौरान आर्केस्ट्रा की ज्यादा मांग रहती है. लेकिन कोरोना की वजह से पिछले दो सालों से इस पर काफी ज्यादा असर पड़ रहा है. आर्केस्ट्रा संचालक अपने यहां काम करने वाली लड़कियों को दिल्ली,कोलकाता और नेपाल से बुलाते हैं. ऐसे में अब उनके सामने इन लड़कियों के भरण-पोषण की भी समस्या आ रही है. कोरोना संक्रमण से संबंधित गाइडलाइन के तहत शादी-ब्याह जैसे किसी भी समारोह में डीजे और आर्केस्ट्रा पर पूरी तरह पाबंदी है. लिहाजा लॉकडाउन ने इनकी कमर तोड़ कर रख दी है.

orchestra artists upset in bagha
लॉकडाउन में डांसरों के पास नहीं है काम

'दिल्ली, कोलकाता और नेपाल से साल भर के लिए तय राशि पेड कर कलाकारों को लाते हैं और उनके रहने से लेकर राशन पानी की व्यवस्था करते हैं. लेकिन विगत दो वर्षों से कोरोना संक्रमण के मद्देनजर व्यवसाय पर पाबंदी लगा दी जा रही है. लिहाजा एडवांस लिया हुआ पैसा भी वापस करना पड़ रहा है. और कलाकारों का जीवन सिर्फ रियाज तक सिमट कर रह गया है. अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि अपना और कलाकारों का खर्च वहन करना एक बड़ी मुसीबत बन गई है.'- सूरज सहनी, आर्केस्ट्रा संचालक

orchestra artists upset in bagha
कलाकारों के सामने दो वक्त की रोटी के लाले

शादी ब्याह के सीजन में लॉकडाउन
जिला के सैकड़ों आर्केस्ट्रा संचालकों के समक्ष भुखमरी की स्थिति आ गई है. पिछले दो सालों से काम सही नहीं चल रहा है. शादी ब्याह के सीजन में जब कमाई होती है, उसी समय लॉकडाउन से इन लोगों को जूझना पड़ रहा है.

'पिछले वर्ष भी घर पर पैसा नहीं भेज पाए और इस बार भी वैसे ही हालात हैं. जब काम ही नहीं मिल रहा तो आर्केस्ट्रा संचालक हम कलाकारों को बैठाकर कहां से खिलाएंगे. अब हमारे पास तो घर वापस जाने के लिए भी पैसे नही हैं.- राधिका, डांसर

orchestra artists upset in bagha
घर वापसी के लिए नहीं पैसे

कलाकारों की मांग
संचालकों समेत कलाकारों की मांग है कि दस दिन के लिए भी शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक की मोहलत दे दी जाती तो उनका खर्च निकल जाता और बेरोजगारी की समस्या दूर होती. लेकिन फिलहाल बिहार में कोरोना की दूसरी लहर को कम करने के लिए आर्केस्ट्रा, डीजे से प्रतिबंध हटना मुश्किन लग रहा है. ऐसे में संचालकों और कलाकारों की मुश्किल कम होती नहीं दिख रही.

पश्चिम चंपारण(बगहा): जिले में संचालित हो रहे सैकड़ों आर्केस्ट्रा संचालकों समेत इसमें काम करने वाले कलाकारों की हालत लॉकडाउन के कारण दिन ब दिन खराब होती जा रही है. इसकी वजह से एक तरफ संचालकों के सामने कलाकारों के राशन पानी का खर्चा उठाना मुश्किल हो गया है. वहीं दूसरी तरफ इसमें नृत्य करने वाली लड़कियों के पास इतने पैसे भी नहीं है कि वे वापस अपने घर लौट सकें.

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लॉकडाउन में धूल फांकती आर्केस्ट्रा वाहन

यह भी पढ़ें- बगहाः शादी समारोह में आर्केस्ट्रा का आयोजन, पुलिस को खबर तक नहीं, फिर डीएम ने लिया संज्ञान

लॉकडाउन ने तोड़ी संचालकों की कमर
पश्चिमी चंपारण में आर्केस्ट्रा का चलन काफी ज्यादा है. शादी समारोह के दौरान आर्केस्ट्रा की ज्यादा मांग रहती है. लेकिन कोरोना की वजह से पिछले दो सालों से इस पर काफी ज्यादा असर पड़ रहा है. आर्केस्ट्रा संचालक अपने यहां काम करने वाली लड़कियों को दिल्ली,कोलकाता और नेपाल से बुलाते हैं. ऐसे में अब उनके सामने इन लड़कियों के भरण-पोषण की भी समस्या आ रही है. कोरोना संक्रमण से संबंधित गाइडलाइन के तहत शादी-ब्याह जैसे किसी भी समारोह में डीजे और आर्केस्ट्रा पर पूरी तरह पाबंदी है. लिहाजा लॉकडाउन ने इनकी कमर तोड़ कर रख दी है.

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लॉकडाउन में डांसरों के पास नहीं है काम

'दिल्ली, कोलकाता और नेपाल से साल भर के लिए तय राशि पेड कर कलाकारों को लाते हैं और उनके रहने से लेकर राशन पानी की व्यवस्था करते हैं. लेकिन विगत दो वर्षों से कोरोना संक्रमण के मद्देनजर व्यवसाय पर पाबंदी लगा दी जा रही है. लिहाजा एडवांस लिया हुआ पैसा भी वापस करना पड़ रहा है. और कलाकारों का जीवन सिर्फ रियाज तक सिमट कर रह गया है. अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि अपना और कलाकारों का खर्च वहन करना एक बड़ी मुसीबत बन गई है.'- सूरज सहनी, आर्केस्ट्रा संचालक

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कलाकारों के सामने दो वक्त की रोटी के लाले

शादी ब्याह के सीजन में लॉकडाउन
जिला के सैकड़ों आर्केस्ट्रा संचालकों के समक्ष भुखमरी की स्थिति आ गई है. पिछले दो सालों से काम सही नहीं चल रहा है. शादी ब्याह के सीजन में जब कमाई होती है, उसी समय लॉकडाउन से इन लोगों को जूझना पड़ रहा है.

'पिछले वर्ष भी घर पर पैसा नहीं भेज पाए और इस बार भी वैसे ही हालात हैं. जब काम ही नहीं मिल रहा तो आर्केस्ट्रा संचालक हम कलाकारों को बैठाकर कहां से खिलाएंगे. अब हमारे पास तो घर वापस जाने के लिए भी पैसे नही हैं.- राधिका, डांसर

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घर वापसी के लिए नहीं पैसे

कलाकारों की मांग
संचालकों समेत कलाकारों की मांग है कि दस दिन के लिए भी शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक की मोहलत दे दी जाती तो उनका खर्च निकल जाता और बेरोजगारी की समस्या दूर होती. लेकिन फिलहाल बिहार में कोरोना की दूसरी लहर को कम करने के लिए आर्केस्ट्रा, डीजे से प्रतिबंध हटना मुश्किन लग रहा है. ऐसे में संचालकों और कलाकारों की मुश्किल कम होती नहीं दिख रही.

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