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दर्द से घंटों तड़पती रही मासूम.. अस्पताल से नदारद रहे डॉक्टर.. फिर इलाज कराने जाना पड़ा UP - बिहार अस्पताल व्यवस्था

बगहा में स्थित मधुबनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एक बड़ी लापरवाही सामने आयी है. जहां दवा और डॉक्टर के नहीं होने से एक 4 वर्षीय मासूम का इलाज नहीं हो सका. बच्ची काफी देर तक दर्द से तड़पती रही. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Oct 16, 2021, 12:52 PM IST

बगहा: आबादी के हिसाब से भारत के तीसरे सबसे बड़े राज्य बिहार का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर (Health Infrastructure In Bihar) वर्षों से मानकों से काफी नीचे है. समय-समय पर इसको लेकर हाय-तौबा मचती रही है, लेकिन परिस्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं आया. आज भी बिहार के अस्पतालों में चिकित्सकों और पारामेडिकल स्टाफ की भारी कमी या दवा उपलब्ध नहीं होने की समस्या पायी जाती है. ताजा मामला बिहार के बगहा जिले का है. जहां अस्पताल में डॉक्टर और दवा उपलब्ध नहीं होने की वजह से 4 साल की बच्ची दर्द से घंटों कराहती रही.

इसे भी पढ़ें: डीएमसीएच में नर्सों की हड़ताल दूसरे दिन भी रहा जारी, अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

मामला अनुमंडल के मधुबनी प्रखंड स्थित मधुबनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Madhubani Primary Health Center) का है. खलवापट्टी गांव निवासी मुकेश नट का आरोप है कि चार वर्षीय बच्ची सुमन कुमारी का पैर आग से जल गया था. जिसके इलाज के लिए वे सीएचसी में लेकर गए. जहां मौके पर स्वास्थ्य कर्मी नदारद रहे. परिजनों ने अस्पताल में सभी जगह देखा, लेकिन मौके पर कोई नहीं मिला. इस घटना को लेकर परिजन शोर मचाने लगे. जिसके बाद डॉक्टर आए. लेकिन इमरजेंसी में दवा नहीं होने के कारण बगैर इलाज के वापस लौटा दिया गया.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: नर्सों की चंद घंटों की हड़ताल से चरमराई DMCH की स्वास्थ्य व्यवस्था

बच्ची जलन और दर्द से चीखती रही. बच्ची का रोना सुनकर अगल-बगल के लोग भी पहुंच गए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की संवेदना नहीं जगी. ग्रामीणों ने इमरजेंसी में दवा नहीं होने की शिकायत सीएस वीरेन्द्र चौधरी को फोन कर किया. सीएस ने भी यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि यह स्थानीय डॉक्टर बताएगा. इसके बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता. परिजन बच्ची को लेकर यूपी चले गए. जहां सरकारी अस्पताल में बच्ची का इलाज किया गया. वहीं, डॉ नासिर हुसैन ने बताया आने में थोड़ा विलंब हो गया था. दवा नहीं होने के कारण बच्ची का इलाज नहीं हो पाया.


बता दें कि इस सीएससी में 6 डॉक्टर नियुक्त हैं. जिसमें से एक डेंटल के डॉक्टर हैं. वहीं, पीएससी के अंतर्गत 30 एएनएम, 3 जीएनएम, 1 फार्मासिस्ट, 1 एंबुलेंस चालक और 4 डाटा ऑपरेटर की बहाली हुई है. इतना सब कुछ होने के बाद भी अस्पताल का कमरा बंद मिलता है या कर्मी गायब रहते हैं. लिहाजा इमरजेंसी में भी मरीज वापस हो जाते हैं.

'हमारे पास जो दवा थी उसे दिया गया था. कुछ दवा को बाहर से लेना था. जिसके बाद बता दिया गया था कि ये सभी दवा बाहर से लेना होगा. हमारे यहां टिटनेस की सुई बाहर से लेनी पड़ती है. मेरी डॉक्टर से बात हुई है. वे लोग अस्पताल में ही थे.' -नासिर हुसैन, स्वास्थ्यकर्मी

बगहा: आबादी के हिसाब से भारत के तीसरे सबसे बड़े राज्य बिहार का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर (Health Infrastructure In Bihar) वर्षों से मानकों से काफी नीचे है. समय-समय पर इसको लेकर हाय-तौबा मचती रही है, लेकिन परिस्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं आया. आज भी बिहार के अस्पतालों में चिकित्सकों और पारामेडिकल स्टाफ की भारी कमी या दवा उपलब्ध नहीं होने की समस्या पायी जाती है. ताजा मामला बिहार के बगहा जिले का है. जहां अस्पताल में डॉक्टर और दवा उपलब्ध नहीं होने की वजह से 4 साल की बच्ची दर्द से घंटों कराहती रही.

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मामला अनुमंडल के मधुबनी प्रखंड स्थित मधुबनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Madhubani Primary Health Center) का है. खलवापट्टी गांव निवासी मुकेश नट का आरोप है कि चार वर्षीय बच्ची सुमन कुमारी का पैर आग से जल गया था. जिसके इलाज के लिए वे सीएचसी में लेकर गए. जहां मौके पर स्वास्थ्य कर्मी नदारद रहे. परिजनों ने अस्पताल में सभी जगह देखा, लेकिन मौके पर कोई नहीं मिला. इस घटना को लेकर परिजन शोर मचाने लगे. जिसके बाद डॉक्टर आए. लेकिन इमरजेंसी में दवा नहीं होने के कारण बगैर इलाज के वापस लौटा दिया गया.

देखें रिपोर्ट

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बच्ची जलन और दर्द से चीखती रही. बच्ची का रोना सुनकर अगल-बगल के लोग भी पहुंच गए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की संवेदना नहीं जगी. ग्रामीणों ने इमरजेंसी में दवा नहीं होने की शिकायत सीएस वीरेन्द्र चौधरी को फोन कर किया. सीएस ने भी यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि यह स्थानीय डॉक्टर बताएगा. इसके बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता. परिजन बच्ची को लेकर यूपी चले गए. जहां सरकारी अस्पताल में बच्ची का इलाज किया गया. वहीं, डॉ नासिर हुसैन ने बताया आने में थोड़ा विलंब हो गया था. दवा नहीं होने के कारण बच्ची का इलाज नहीं हो पाया.


बता दें कि इस सीएससी में 6 डॉक्टर नियुक्त हैं. जिसमें से एक डेंटल के डॉक्टर हैं. वहीं, पीएससी के अंतर्गत 30 एएनएम, 3 जीएनएम, 1 फार्मासिस्ट, 1 एंबुलेंस चालक और 4 डाटा ऑपरेटर की बहाली हुई है. इतना सब कुछ होने के बाद भी अस्पताल का कमरा बंद मिलता है या कर्मी गायब रहते हैं. लिहाजा इमरजेंसी में भी मरीज वापस हो जाते हैं.

'हमारे पास जो दवा थी उसे दिया गया था. कुछ दवा को बाहर से लेना था. जिसके बाद बता दिया गया था कि ये सभी दवा बाहर से लेना होगा. हमारे यहां टिटनेस की सुई बाहर से लेनी पड़ती है. मेरी डॉक्टर से बात हुई है. वे लोग अस्पताल में ही थे.' -नासिर हुसैन, स्वास्थ्यकर्मी

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