पश्चिमी चंपारण(बगहा): जिला के इंडो-नेपाल सीमा के तराई क्षेत्र चकदहवा में बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. बाढ़ के पानी में लोगों का घर डूब चुका है. काफी संख्या में लोग खुले आसमान के नीचे गुजर बसर कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो से बाढ़ का जायजा लिया और लोगों के दर्द को जानने की कोशिश की.
एसएसबी कैम्प समेत चार गांव जलमग्न
इंडो-नेपाल सीमा के तराई क्षेत्र के चकदहवां में बाढ़ का पानी कम होने के बाद फिर बढ़ने लगा है. अभी भी झंडू टोला स्थित एसएसबी कैम्प समेत चार गांव पूरी तरह जलमग्न हैं. कई परिवारों को बांध पर रातें गुजारनी पड़ रही है. लोगों को काफी समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है.
एसएसबी ने की प्रभावित लोगों की मदद
गण्डक नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण चकदहवां में शुक्रवार को अचानक बाढ़ आ गई. जिसमें चकदहवा सहित झंडू टोला, बिन टोली और कान्ही टोला के सभी घरों में पानी घुस गया. हालात ऐसे हो गए कि इस इलाके में अधिकतम 7 से 8 फीट पानी बहने लगा और मुख्य मार्ग से सम्पर्क बिल्कुल टूट गया. ग्रामीणों का कहना है कि मुख्य मार्ग पर जाने वाले रास्ते पर 5 फीट पानी भर गया था. एसएसबी ने मदद पहुंचाई है, लेकिन वह नाकाफी है.
बांध पर टेंट लगाकर रह रहे लोग
बगहा मुख्यालय से तकरीबन 50 किमी दूर लक्ष्मीपुर रमपुरवा पंचायत के झंडू टोला स्थित एसएसबी के कैम्प में भी 4 फिट पानी भर गया. जिससे एसएसबी जवानों को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही बाढ़ का पानी गांव में घुसा एसएसबी जवानों ने तत्काल नाव से उनलोगों को लाकर अपने कैम्प के सामने ही तटबंध पर रहने का इंतजाम किया. बता दें कि एसएसबी ने लोगों को तटबंध पर रहने के लिए ट्रैक्टर पर और बांध पर टेंट लगा दिया है.
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अब तक नहीं पहुंची प्रशासन की टीम
चकदहवां के एक तरफ गण्डक नदी है तो दूसरे तरफ बीहड़ जंगल और रास्ता बिल्कुल दुर्गम है. यहां पहुंचने के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ता है. इसके बावजूद ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची और लोगों का दुख दर्द साझा किया. ग्रामीणों का कहना है कि कुछ अनाज डूब गए और जो बचे उसको साथ लेकर आए हैं. इनका कहना है कि प्रशासन के लोग अब तक नही पहुंचे हैं. लेकिन प्रशासन की ओर से चूड़ा और गुड़ जरूर उपलब्ध कराया गया है.
नदी का जलस्तर 2 लाख 86 हजार क्यूसेक
इस तराई क्षेत्र में हर साल बाढ़ आती है और लोग परेशानियों से जूझते हैं. इस बार भी जब गण्डक नदी का जलस्तर 2 लाख 86 हजार क्यूसेक पहुंचा तो गांव में बाढ़ आ गई. हालांकि जैसे ही जलस्तर कम हुआ एक गांव से पानी निकल गया और चार गांव के सैकड़ों घरों में बाढ़ का पानी अभी भी है. वहीं, जैसे ही गण्डक नदी का जलस्तर दोबारा बढ़ना शुरू हुआ, वैसे ही बाढ़ के पानी में भी वृद्धि देखने को मिली है.
बीडीओ ने कहा- भेजा गया है राशन
बीडीओ प्रणव गिरी का कहना है कि पूरे हालात पर प्रशासन की पैनी नजर है और लोगों को किसी तरह की समस्या नही आने दी जाएगी. प्रशासन को खबर लगते ही सूखा राशन उपलब्ध कराया गया है और अब भी सैकड़ों परिवारों के लिए राशन की खेप भेजी जा रही है. हालांकि ताजा हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस समस्या का जल्द कोई निदान हो पाना मुश्किल है.