बेतिया: बिहार के बेतिया के आईटीआई में नवरात्रि के नवमी के मौके पर कन्या पूजन (Kanya Poojan in ITI Bettiah) किया गया. मान्यता हैं कि 9 साल उम्र तक की कन्याएं देवी मां के शक्ति का स्वरूप होती है. शास्त्र मत के अनुसार कन्या के जन्म का एक वर्ष बीतने के पश्चात कन्या को कुंवारी की संज्ञा दी गई है. दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन को त्रिमूर्ति, चार को कल्याणी, पांच वर्ष को रोहिणी, छह को कालिका, सात को चंडिका, आठ वर्ष को शांभवी, नौ वर्ष को दुर्गा और दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा माना गया है.
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ऊर्जा का प्रतीक होती है कन्या: नवरात्र में कन्या एक तरह की अव्यक्त ऊर्जा का प्रतीक होती है और उसकी पूजा से यह ऊर्जा सक्रिय हो जाती हैं. इनकी पूजा करने से सभी देवियों का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है. नवमी तिथि के दिन 'कन्या पूजन' श्रेष्ठ माना गया है. पूजन से पहले घर को साफसुथरा किया जाता है. आने वाली कन्या स्वयं माता का स्वरूप मानी जाती हैं. कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ एक बालक का पूजन करना उत्तम होता है. कन्या पूजन में कन्याओं और बालक के पैर दूध या फिर पानी से अपने हाथों से साफ किए जाते हैं.
ऐसा होती है कन्या पूजा: कन्याओं की सेवा करना मतलब स्वयं देवी मां की सेवा करना माना जाता है. पैर साफ कर कन्याओं साफ स्थान पर बैठाते हैं. कन्याओं को खीर-पूड़ी, हलवा-चना इत्यादि खिलाया जाता है, फिर माथे पर अक्षत, फूल, कुमकुम का तिलक लगाते हैं. इसके बाद उनको दान में रूमाल, लाल चुनरी, फल, खिलौने आदि भेंट स्वरूप दें और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें. इसके बाद उनको खुशी-खुशी विदा करें. ऐसा कहा गया है कि विधि विधान से कन्या पूजन करने से नवरात्र के व्रत का पूर्ण फल मिलता है और माता रानी प्रसन्न होकर सभी मनोकामना पूरी करती हैं.
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