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लैंप रिपेयरिंग कर ये जीविका दीदी कर रही हैं अपना जीवन रोशन

बेतिया में जीविका दीदीयां आत्मनिर्भर बन रही हैं. वे हाथों में सोल्डिंग आयरन उठाकर सोलर लैंप रिपेयरिंग कर अपना और अपने परिवार के भरण-पोषण कर रही हैं.

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Published : Jun 22, 2020, 6:15 PM IST

बेतिया: एक समय था जब महिलाएं चूल्हे-चौके तक सीमित थी. लेकिन, बदलते समय के साथ अब बहुत कुछ बदल गया है. कभी बिजली से डरने वाली महिलाएं आज निडर होकर इलेक्ट्रिक यंत्रों के रिपेयरिंग का काम कर रही हैं.

दरअसल, महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार प्रयासरत्त है. जीविका की ओर से भी अहम योगदान दिया जा रहा है. इसके लिए भारत सरकार की ओर से कई कार्यक्रम चलाए गए हैं. भारत सरकार के 70 लाख सौर ऊर्जा लैंप योजना के तहत जीविका दीदियों को रोजगार मिलने लगा है.

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सोलर लैंप बनाकर महिलाएं कर रही जीविकोपार्जन

जीविका दीदियां बना रहीं सोलर लैंप
योजना के तहत जिले में कुल 3 लाख 50 हजार सोलर लैंप बनाए गये थे. जिसकी 1 वर्ष की गारंटी दी गई थी. इस बीच खराब होने पर सोलर लैंप को नि:शुल्क ठीक किया जा रहा है. यह काम जीविका दीदियों के जिम्मे ही आया है. इससे उन्हें फिर से रोजगार मिला है.

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आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं

पठन-पाठन के लिए किया गया था वितरण
पश्चिमी चंपारण में बने इन सोलर लैंपों को सरकारी, प्राइमरी और उच्च विद्यालयों में वितरण किया गया था. योजना का उद्देश्य था कि स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अब बिजली पर आश्रित नहीं रहना होगा. उस दौरान जीविका दीदियों की ओर से सोलर लैंप बनाने का काम किया गया था. जिसकी 1 साल की गांरटी भी दी गई थी.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

जिले में चयनित किए गए 48 सेंटर
गारंटी पीरियड में सोलर लैंप खराब होने पर उसे ठीक करने के लिए जिले के 10 प्रखंड में 48 सेंटर का चयन किया गया. यह सेंटर जीविका दीदियों की ओर से चलाया जाता है. जहां सोलर ऊर्जा लैंप योजना के तहत बनाए गए लैंपों की नि: शुल्क रिपेयरिंग की जाती है. इसके एवज में जीविका दीदियों को 4400 रुपये मानदेय के रूप में दिया जाता है.

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जीविका दीदियों को मिला रोजगार

खिले उठे चेहरे
भारत सरकार की योजना से जीविका दीदियों को रोजगार मिलने से वे काफी खुश हैं. कल तक घर का कामकाज संभालने वाली महिलाएं आज हाथों में बिजली का सोल्डिंग आयरन लेकर डिजिटल स्टडी लैंप बना रही है. काम कर रही जीविका दीदियों का कहना है कि पहले हमें बिजली के काम से डर लगता था, लेकिन अब नहीं लगता. बता दें कि भारत सरकार की इस योजना का एकमात्र उद्देश्य यह है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को बिजली पर आश्रित ना रहना पड़े. उनकी पढ़ाई में कोई बाधा आए.

बेतिया: एक समय था जब महिलाएं चूल्हे-चौके तक सीमित थी. लेकिन, बदलते समय के साथ अब बहुत कुछ बदल गया है. कभी बिजली से डरने वाली महिलाएं आज निडर होकर इलेक्ट्रिक यंत्रों के रिपेयरिंग का काम कर रही हैं.

दरअसल, महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार प्रयासरत्त है. जीविका की ओर से भी अहम योगदान दिया जा रहा है. इसके लिए भारत सरकार की ओर से कई कार्यक्रम चलाए गए हैं. भारत सरकार के 70 लाख सौर ऊर्जा लैंप योजना के तहत जीविका दीदियों को रोजगार मिलने लगा है.

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सोलर लैंप बनाकर महिलाएं कर रही जीविकोपार्जन

जीविका दीदियां बना रहीं सोलर लैंप
योजना के तहत जिले में कुल 3 लाख 50 हजार सोलर लैंप बनाए गये थे. जिसकी 1 वर्ष की गारंटी दी गई थी. इस बीच खराब होने पर सोलर लैंप को नि:शुल्क ठीक किया जा रहा है. यह काम जीविका दीदियों के जिम्मे ही आया है. इससे उन्हें फिर से रोजगार मिला है.

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आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं

पठन-पाठन के लिए किया गया था वितरण
पश्चिमी चंपारण में बने इन सोलर लैंपों को सरकारी, प्राइमरी और उच्च विद्यालयों में वितरण किया गया था. योजना का उद्देश्य था कि स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अब बिजली पर आश्रित नहीं रहना होगा. उस दौरान जीविका दीदियों की ओर से सोलर लैंप बनाने का काम किया गया था. जिसकी 1 साल की गांरटी भी दी गई थी.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

जिले में चयनित किए गए 48 सेंटर
गारंटी पीरियड में सोलर लैंप खराब होने पर उसे ठीक करने के लिए जिले के 10 प्रखंड में 48 सेंटर का चयन किया गया. यह सेंटर जीविका दीदियों की ओर से चलाया जाता है. जहां सोलर ऊर्जा लैंप योजना के तहत बनाए गए लैंपों की नि: शुल्क रिपेयरिंग की जाती है. इसके एवज में जीविका दीदियों को 4400 रुपये मानदेय के रूप में दिया जाता है.

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जीविका दीदियों को मिला रोजगार

खिले उठे चेहरे
भारत सरकार की योजना से जीविका दीदियों को रोजगार मिलने से वे काफी खुश हैं. कल तक घर का कामकाज संभालने वाली महिलाएं आज हाथों में बिजली का सोल्डिंग आयरन लेकर डिजिटल स्टडी लैंप बना रही है. काम कर रही जीविका दीदियों का कहना है कि पहले हमें बिजली के काम से डर लगता था, लेकिन अब नहीं लगता. बता दें कि भारत सरकार की इस योजना का एकमात्र उद्देश्य यह है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को बिजली पर आश्रित ना रहना पड़े. उनकी पढ़ाई में कोई बाधा आए.

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