पश्चिमी चंपारण: कोरोना संक्रमण की वजह से लागू लॉकडाउन के बाद सरकार ने इंडो नेपाल बॉर्डर को अगले आदेश तक के लिए बंद कर दिया है. बॉर्डर सील होने के बाद से दोनों देश के बीच आवाजाही पूरी तरह से बंद है. इस वजह से पर्यटन नगरी वाल्मीकिनगर के व्यवसाइयों के व्यापार पर बुरा असर पड़ा है. स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि यह बाजार नेपाल के ग्राहकों से गुलजार रहा करता था. अनलॉक 1 लागू होने के बाद दुकान तो खुला. लेकिन बॉर्डर अभी भी नहीं खुला है. जिस वजह से यहां के बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है.
तीन महीने पहले किया गया था बॉर्डर सील
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि इंडो-नेपाल सीमा के पास सटे होने के कारण यहा बड़ी मात्रा में नेपाल के लोग खरीदारी करने के लिए आते थे. तीन महीने पहले लॉकडाउन के साथ ही बॉडर को सील किया गया था. जिसके बाद से आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई थी. लॉक डाउन में दुकानें बंद रहने से व्यवसाई काफी परेशान थे. वहीं, लॉकडाउन में रियायत के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ है. सीमा सील होने के कारण नेपाल के लोग खरीदारी करने नहीं आ पा रहे हैं. जिस वजह से बिक्री नहीं हो पा रही है.
'नेपाली ग्राहकों पर आश्रित है बाजार'
दुकानदार संजय पटेल और सन्नी कुमार बताते हैं कि इंडो-नेपाल सीमा पर बसे वाल्मीकिनगर के व्यवसायी और दुकानदार पूरी तरह से नेपाली ग्राहकों पर ही निर्भर हैं. आसपास के ग्रामीण बगहा शहर से अपनी खरीदारी करते हैं. बॉर्डर इलाके में नेपाली लोग ही आकर खरीदारी करते हैं. लॉक डाउन की वजह से तीन महीने तक दुकान बंद रखना पड़ा था. अब अनलॉक 1 में दुकान तो खुला लेकिन ग्राहक अभी भी दुकान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिस वजह से व्यापार प्रभावित हुआ है.
सीमा पर तनाव की भी स्थिति
गौरतलब है कि नेपाल और भारत में सीमा विवाद को लेकर भी दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है. बता दें कि भारत हमेशा से ही नेपाल का मित्र रहा है. दोनों देशों के रिश्तों को 'बेटी-रोटी' का संबंध भी कहा जाता है. नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर उत्पन्न हुए हालात को लेकर भी दोनों देशों के व्यापार पर बुरा असर पड़ा है. नेपाल स्थित तराई क्षेत्र के व्यवसाइयों ने फोन के माध्यम से ईटीवी भारत संवाददाता को बताया कि भारतीय क्षेत्र के टंकी बजार से उनका राशन-पानी समेत अन्य जरूरत की वस्तुएं आती थी. लेकिन सीमा सील होने के कारण उन्हें लंबी दूरी तय कर नेपाल के बुटवल और नारायण घाट जाकर सामान लाना पड़ता है. जिस वजह से नेपाल के तराई क्षेत्र खासकर रानीनगर, त्रिवेणी, कुड़िया, केवलानी और गोपीगंज जैसे गांवों के व्यवसायियों की स्थिति भी दयनिय हो चली है.