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पश्चिम चंपारण: यूपी में नहीं मिला लाइसेंस तो बिहार में चला रहे अवैध आरा मशीन, वन विभाग बना मूकदर्शक

धनहा थाना क्षेत्र में अवैध आरा मशीनों की बाढ़ सी आ गई है. जानकारी के अनुसार बिहार-यूपी सीमा पर बसे बरवा गांव में दर्जनों आरा मशीनें संचालित की जा रही है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने आरा मशीनों के नए रजिस्ट्रेशन पर पूर्णत: रोक लगा दी है. इसके बाद इन कारोबारियों ने बिहार का रुख किया. साथ ही अब वर्षों से आरा मशीनों का संचालन कर रहे हैं.

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Published : Aug 5, 2020, 9:52 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 9:34 PM IST

पश्चिम चंपारण
पश्चिम चंपारण

पश्चिम चंपारण: उत्तर प्रदेश के दर्जनों कारोबारी बिहार में अवैध आरा मशीन का धड़ल्ले से संचालन कर रहे हैं. घटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन हरियाली अभियान को आईना दिखा रहा है. दरअसल धनहा थाना क्षेत्र में सिर्फ एक लाइसेंसधारी आरा मशीन की आड़ में दर्जनों अवैध आरा मशीनें संचालित की जा रही हैं. वहीं पूरे मामले में वन विभाग सहित जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.

पश्चिम चंपारण
धनहा थाना क्षेत्र में अवैध आरा मशीन

सरकार के ग्रीन प्रोजेक्ट पर कुठाराघात
धनहा थाना क्षेत्र में अवैध आरा मशीनों की बाढ़ सी आ गई है. जानकारी के अनुसार बिहार-यूपी सीमा पर बसे बरवा गांव में दर्जनों आरा मशीनें संचालित की जा रही है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने आरा मशीनों के नए रजिस्ट्रेशन पर पूर्णत: रोक लगा दी है. इसके बाद इन कारोबारियों ने बिहार का रुख किया. साथ ही अब वर्षों से आरा मशीनों का संचालन कर रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकारी राजस्व को लग रहा चूना
सरकार पर्यावरण सरंक्षण के उद्देश्य से जल जीवन हरियाली अभियान चला रही है. वहीं दूसरी ओर वन विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से कीमती लकड़ियों की कटाई और तस्करी भी खूब परवान चढ़ रहा है. अनुमान है कि लकड़ी तस्करों का तार इन आरा मशीन के माफियाओं से जुड़ा हुआ है. जिससे लकड़ी माफिया और आरा मशीन संचालक मालामाल हो रहे हैं. वहीं सरकारी राजस्व को चूना लग रहा है.

'वन विभाग को दी गई सूचना'
आरा मशीन संचालक बांका यादव ने बताया कि यहां संचालित सभी चिरान अवैध हैं. प्रशासनिक कार्रवाई के नाम पर कभी-कभार छापेमारी हो जाती है. जिसको मैनेज कर लिया जाता है. वहीं मामले पर बगहा अनुमंडल पदाधिकारी विशाल राज ने कहा कि वन विभाग को मामले की सूचना दी गई है. विभाग की टीम आकर जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी.

पश्चिम चंपारण
आरा मशीन में काम करते मजदूर

काफी फल-फूल रहा है अवैध कारोबार
गौरतलब है कि यहां मौजूद दर्जनों अवैध आरा मशीन संचालकों के यहां भारी मात्रा में लोग सस्ते दर पर लकड़ियां चिरवाने पहुंचते हैं. वहीं इलाके के एक मात्र लाइसेंसधारी बगहा काष्ठ आरा मशीन पर ग्राहकों का कम आगमन होता है. जिस वजह से इन लोगों ने अब अपना व्यवसाय ही बदल लिया है. वन विभाग के अधिकारी इन अवैध आरा मशीनों पर अंकुश लगाने में विफल साबित हो रहे हैं. लाइसेंसधारी आरा मशीन संचालक ने बताया कि यूपी में अवैध आरा मशीनों पर पाबंदी लग गई. जिसके बाद वहां के लोगों ने बिहार में धंधा शुरू कर दिया है. साथ ही प्रशासनिक उदासीनता के कारण इनका अवैध कारोबार काफी फल-फूल रहा है.

पश्चिम चंपारण: उत्तर प्रदेश के दर्जनों कारोबारी बिहार में अवैध आरा मशीन का धड़ल्ले से संचालन कर रहे हैं. घटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन हरियाली अभियान को आईना दिखा रहा है. दरअसल धनहा थाना क्षेत्र में सिर्फ एक लाइसेंसधारी आरा मशीन की आड़ में दर्जनों अवैध आरा मशीनें संचालित की जा रही हैं. वहीं पूरे मामले में वन विभाग सहित जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.

पश्चिम चंपारण
धनहा थाना क्षेत्र में अवैध आरा मशीन

सरकार के ग्रीन प्रोजेक्ट पर कुठाराघात
धनहा थाना क्षेत्र में अवैध आरा मशीनों की बाढ़ सी आ गई है. जानकारी के अनुसार बिहार-यूपी सीमा पर बसे बरवा गांव में दर्जनों आरा मशीनें संचालित की जा रही है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने आरा मशीनों के नए रजिस्ट्रेशन पर पूर्णत: रोक लगा दी है. इसके बाद इन कारोबारियों ने बिहार का रुख किया. साथ ही अब वर्षों से आरा मशीनों का संचालन कर रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकारी राजस्व को लग रहा चूना
सरकार पर्यावरण सरंक्षण के उद्देश्य से जल जीवन हरियाली अभियान चला रही है. वहीं दूसरी ओर वन विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से कीमती लकड़ियों की कटाई और तस्करी भी खूब परवान चढ़ रहा है. अनुमान है कि लकड़ी तस्करों का तार इन आरा मशीन के माफियाओं से जुड़ा हुआ है. जिससे लकड़ी माफिया और आरा मशीन संचालक मालामाल हो रहे हैं. वहीं सरकारी राजस्व को चूना लग रहा है.

'वन विभाग को दी गई सूचना'
आरा मशीन संचालक बांका यादव ने बताया कि यहां संचालित सभी चिरान अवैध हैं. प्रशासनिक कार्रवाई के नाम पर कभी-कभार छापेमारी हो जाती है. जिसको मैनेज कर लिया जाता है. वहीं मामले पर बगहा अनुमंडल पदाधिकारी विशाल राज ने कहा कि वन विभाग को मामले की सूचना दी गई है. विभाग की टीम आकर जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी.

पश्चिम चंपारण
आरा मशीन में काम करते मजदूर

काफी फल-फूल रहा है अवैध कारोबार
गौरतलब है कि यहां मौजूद दर्जनों अवैध आरा मशीन संचालकों के यहां भारी मात्रा में लोग सस्ते दर पर लकड़ियां चिरवाने पहुंचते हैं. वहीं इलाके के एक मात्र लाइसेंसधारी बगहा काष्ठ आरा मशीन पर ग्राहकों का कम आगमन होता है. जिस वजह से इन लोगों ने अब अपना व्यवसाय ही बदल लिया है. वन विभाग के अधिकारी इन अवैध आरा मशीनों पर अंकुश लगाने में विफल साबित हो रहे हैं. लाइसेंसधारी आरा मशीन संचालक ने बताया कि यूपी में अवैध आरा मशीनों पर पाबंदी लग गई. जिसके बाद वहां के लोगों ने बिहार में धंधा शुरू कर दिया है. साथ ही प्रशासनिक उदासीनता के कारण इनका अवैध कारोबार काफी फल-फूल रहा है.

Last Updated : Aug 19, 2020, 9:34 PM IST
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