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वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के सेंसिटिव जोन में धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन, प्रशासन बेखबर

पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) के सेंसिटिव सेफ्टीजोन जोन में बालू और पत्थर खनन का कारोबार अवैध रूप से धड़ल्ले से हो रहा है. लेकिन प्रशासन को अभी तक इस बात की भनक तक नहीं लगी है. वन प्रमंडल पदाधिकारी के अनुसार खनन के कारण पर्यावरण और जंगली जानवर के सेहत पर असर पड़ रहा है.

वाल्मिकी नगर इलाके में अवैध खनन
वाल्मिकी नगर इलाके में अवैध खनन
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Published : Dec 14, 2021, 2:45 PM IST

पटना: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) जंगल से सटे हवाई अड्डा के निकट अवैध रूप से बालू और पत्थर खनन का कारोबार (Illegal Stone Mining Business) धड़ल्ले से जारी है. इलाके के ठाड़ी, कर्माबारी, विजयपुर और नेवाड़ पानी समेत आधा दर्जन जगहों पर अवैध रूप से बालू और पत्थर खनन का व्यवसाय धड़ल्ले से चल रहा है.

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बता दें कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 2017 में वाल्मीकि वन अभ्यारण्य (Valmiki Forest Sanctuary), वाल्मीकि व्याघ्र उद्यान और वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को इको सेंसेटीव जोन घोषित कर दिया था. इसके साथ ही अभ्यारण्य, उद्यान और टाइगर रिजर्व की सीमा के जीरो मीटर से 9 किलोमीटर के अंदर उत्खनन संबंधी किसी भी तरह के कार्यों पर पाबंदी लगा है.

वन विभाग ने 11 जनवरी 2018 को अधिसूचना जारी कर वीटीआर को इको सेंसिटीव जोन घोषित कर दिया था. साथ ही इस जोन में किसी तरह के उत्खनन कार्य बंद कराने की बात कही गई, लेकिन इसके बावजूद खनन नहीं रुका है और यहां के कुछ स्थानीय लोगों ने खनन को व्यवसाय बनाकर जेसीबी से बालू और पत्थर का अवैध खनन कर रहे हैं.

वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया है कि इको सेंसेटीव जोन के अंदर हो रहे बालू उत्खनन के कारण ट्रैक्टर-ट्रक और जेसीबी के संचालित होने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. ट्रैक्टर और जेसीबी के आवाज की वजह से वन्यजीवों का स्वछंद विचरण बाधित होने के साथ-साथ उसके सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. ऐसे में यह काफी गंभीर मामला है. साथ ही पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा-19 का खुलेआम उलंघन है. उन्होंने कहा कि खनन पदाधिकारी को इसमें संलिप्त कारोबारियों के खिलाफ त्वरित एक्शन लेना चाहिए.

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बता दें कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 2017 में वाल्मीकि वन अभ्यारण्य (Valmiki Forest Sanctuary), वाल्मीकि व्याघ्र उद्यान और वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को इको सेंसेटीव जोन घोषित कर दिया था. इसके साथ ही अभ्यारण्य, उद्यान और टाइगर रिजर्व की सीमा के जीरो मीटर से 9 किलोमीटर के अंदर उत्खनन संबंधी किसी भी तरह के कार्यों पर पाबंदी लगा है.

वन विभाग ने 11 जनवरी 2018 को अधिसूचना जारी कर वीटीआर को इको सेंसिटीव जोन घोषित कर दिया था. साथ ही इस जोन में किसी तरह के उत्खनन कार्य बंद कराने की बात कही गई, लेकिन इसके बावजूद खनन नहीं रुका है और यहां के कुछ स्थानीय लोगों ने खनन को व्यवसाय बनाकर जेसीबी से बालू और पत्थर का अवैध खनन कर रहे हैं.

वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया है कि इको सेंसेटीव जोन के अंदर हो रहे बालू उत्खनन के कारण ट्रैक्टर-ट्रक और जेसीबी के संचालित होने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. ट्रैक्टर और जेसीबी के आवाज की वजह से वन्यजीवों का स्वछंद विचरण बाधित होने के साथ-साथ उसके सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. ऐसे में यह काफी गंभीर मामला है. साथ ही पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा-19 का खुलेआम उलंघन है. उन्होंने कहा कि खनन पदाधिकारी को इसमें संलिप्त कारोबारियों के खिलाफ त्वरित एक्शन लेना चाहिए.

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