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छठ पूजा में क्यों चढ़ाया जाता है केला, बाजारों में रहती है डिमांड, जानें क्या है इसके महत्व? - Etv Bharat Bihar

छठ पूजा 2023 की धूमधाम से तैयारी की जा रही है. बाजारों में फलों की जोर शोर से खरीदारी हो रही है. ऐसे में पश्चिम चंपारण में हरिछाल केला की डिमांड बढ़ी गई है. जानें क्यों खास है हरिछाल खेला?

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 18, 2023, 5:57 PM IST

छठ पूजा में क्यों चढ़ाया जाता है केला

बगहाः सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा में केला का महत्व काफी होता है. ऐसे में हरिछाल केले की डिमांड काफी बढ़ जाती है. पश्चिम चंपारण के बाजारों में हरिछाल केले की बिक्री खूब हो रही है. यहां के किसान भी पारंपरिक खेती को छोड़कर हरिछाल केले की खेती कर रहे हैं. आइये जानते हैं कि आखिर इस हरिछाल केले की डिमांड इतनी ज्यादा क्यों है.

इसलिए भगवान को प्रिया है केलाः माना जाता है कि हरिछाल केले सहित सभी केला हरि याना भगवान विष्णु का प्रिया होता है. केले के तना में भगवान विष्णु का वास होता है. पूजा के अवसर पर भगवान विष्णु को केला का भोग भी लगाया जाता है. ऐसे में सभी देवी देवताओं को इसे चढ़ाया जाता है. छठ पूजा के मौके पर भी केला चढ़ाया जाता है, यही कारण है कि इसकी डिमांड खूब हो रही है. बाजारों में केले की खुशबू फैल रही है.

धार्मिक मान्यताएंः पश्चिमी चंपारण के किसान पारंपरिक खेती छोड़ इस केले की कर दोहरा लाभ उठा रहे हैं. दियारा क्षेत्र के किसानों का रुझान केले की खेती की तरफ बढ़ा है. हरिछाल प्रजाति के केले की खेती से उनके जीवन में भी हरियाली आ रही है. पंडित हरिकृष्ण मिश्रा बताते हैं कि केले से धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी है. उन्होंने बताया कि सभी देवी देवता को केला का भोग लगाया जाता है.

"केले में भगवान विष्णु का वास होता है. यह उनका प्रिय भोग माना जाता है. विष्णु भगवान को सभी में श्रेष्ठ माना गया है. यहीं वजह है कि किसी भी देवी देवता को केला चढ़ाने पर भगवान विष्णु को प्रसन्नता होती है. बृहस्पति भगवान सूर्य देवता के गुरु हैं, लिहाजा छठी मईया को प्रसन्न करने के लिए केला चढ़ाया जाता है.कुछ लोग केला के घौंद से भी अर्घ्य देते हैं. इसलिए केला का महत्व बढ़ जाता है." - पंडित हरिकृष्ण मिश्रा

छठ पूजा में क्यों चढ़ाया जाता है केला
छठ पूजा में क्यों चढ़ाया जाता है केला

पारंपरिक खेती केला उपजा रहे किसानः बता दें कि दियारा के किसान धान और गेंहू जैसे पारंपरिक खेती को छोड़ केले की बंपर पैदावार कर रहे हैं. इससे उनको काफी मुनाफा भी हो रहा है. किसानों का कहना है कि इससे नकदी मुनाफा होता है. वे इसकी खेती मई जून माह में करते हैं. जब त्योहारों का सीजन आता है तो केले की डिमांड बढ़ जाती है. बिहार और यूपी के विभिन्न जिलों से व्यापारी आकर केला खरीदते हैं.

"दियारा के इलाकों में केले की अच्छी उपज होती है. यहां उपजने वाले केला ग्राहकों को भी काफी पसंद आता है. लिहाजा वे प्रतिदिन एक से दो ट्रक केला खरीदकर ले जाते हैं और बाजारों में सप्लाई करते हैं." - मुसाफिर गुप्ता, व्यापारी, गोपालगंज

बड़े पैमाने पर होती खेतीः किसान सुभान अंसारी बताते हैं कि यहां बड़े पैमाने पर केले की खेती की जाती है. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है. पिछले कई सालों से हरिछाल केले की खेती की जा रही है. पर्व त्योहर के समय व्यापारी आकर केला ले जाते हैं और उसे बाजार में बेचने का काम करते हैं.

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छठ पूजा में क्यों चढ़ाया जाता है केला

बगहाः सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा में केला का महत्व काफी होता है. ऐसे में हरिछाल केले की डिमांड काफी बढ़ जाती है. पश्चिम चंपारण के बाजारों में हरिछाल केले की बिक्री खूब हो रही है. यहां के किसान भी पारंपरिक खेती को छोड़कर हरिछाल केले की खेती कर रहे हैं. आइये जानते हैं कि आखिर इस हरिछाल केले की डिमांड इतनी ज्यादा क्यों है.

इसलिए भगवान को प्रिया है केलाः माना जाता है कि हरिछाल केले सहित सभी केला हरि याना भगवान विष्णु का प्रिया होता है. केले के तना में भगवान विष्णु का वास होता है. पूजा के अवसर पर भगवान विष्णु को केला का भोग भी लगाया जाता है. ऐसे में सभी देवी देवताओं को इसे चढ़ाया जाता है. छठ पूजा के मौके पर भी केला चढ़ाया जाता है, यही कारण है कि इसकी डिमांड खूब हो रही है. बाजारों में केले की खुशबू फैल रही है.

धार्मिक मान्यताएंः पश्चिमी चंपारण के किसान पारंपरिक खेती छोड़ इस केले की कर दोहरा लाभ उठा रहे हैं. दियारा क्षेत्र के किसानों का रुझान केले की खेती की तरफ बढ़ा है. हरिछाल प्रजाति के केले की खेती से उनके जीवन में भी हरियाली आ रही है. पंडित हरिकृष्ण मिश्रा बताते हैं कि केले से धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी है. उन्होंने बताया कि सभी देवी देवता को केला का भोग लगाया जाता है.

"केले में भगवान विष्णु का वास होता है. यह उनका प्रिय भोग माना जाता है. विष्णु भगवान को सभी में श्रेष्ठ माना गया है. यहीं वजह है कि किसी भी देवी देवता को केला चढ़ाने पर भगवान विष्णु को प्रसन्नता होती है. बृहस्पति भगवान सूर्य देवता के गुरु हैं, लिहाजा छठी मईया को प्रसन्न करने के लिए केला चढ़ाया जाता है.कुछ लोग केला के घौंद से भी अर्घ्य देते हैं. इसलिए केला का महत्व बढ़ जाता है." - पंडित हरिकृष्ण मिश्रा

छठ पूजा में क्यों चढ़ाया जाता है केला
छठ पूजा में क्यों चढ़ाया जाता है केला

पारंपरिक खेती केला उपजा रहे किसानः बता दें कि दियारा के किसान धान और गेंहू जैसे पारंपरिक खेती को छोड़ केले की बंपर पैदावार कर रहे हैं. इससे उनको काफी मुनाफा भी हो रहा है. किसानों का कहना है कि इससे नकदी मुनाफा होता है. वे इसकी खेती मई जून माह में करते हैं. जब त्योहारों का सीजन आता है तो केले की डिमांड बढ़ जाती है. बिहार और यूपी के विभिन्न जिलों से व्यापारी आकर केला खरीदते हैं.

"दियारा के इलाकों में केले की अच्छी उपज होती है. यहां उपजने वाले केला ग्राहकों को भी काफी पसंद आता है. लिहाजा वे प्रतिदिन एक से दो ट्रक केला खरीदकर ले जाते हैं और बाजारों में सप्लाई करते हैं." - मुसाफिर गुप्ता, व्यापारी, गोपालगंज

बड़े पैमाने पर होती खेतीः किसान सुभान अंसारी बताते हैं कि यहां बड़े पैमाने पर केले की खेती की जाती है. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है. पिछले कई सालों से हरिछाल केले की खेती की जा रही है. पर्व त्योहर के समय व्यापारी आकर केला ले जाते हैं और उसे बाजार में बेचने का काम करते हैं.

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